- वहीं से बैठकर करता था करोड़ों रुपए के टेंडर को मैनेज, 10 परसेंट वसूलता था रंगदारी

- कभी एमआर का जॉब करने वाले इस कुख्यात के जुर्म की है लंबी फेहरिस्त

PATNA : टेंडर के खेल में बड़े-बड़ों को मात देनेवाला मोस्ट वांटेड मंटू शर्मा उर्फ मंटून एक बार फिर पटना पुलिस की गिरफ्त में है। पहली दफा उसे साल ख्0क्फ् में एसटीएफ की टीम ने पकड़ा था। इस बार उसे स्पेशल टीम ने लखनऊ से गिरफ्तार किया। जहां वो पहचान बदलकर रह रहा था। ये वही कुख्यात अपराधी है, जो सीपीडब्ल्यूडी का टेंडर अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच में मैनेज कराता था।

हर एक टेंडेर को मैनेज कराने के लिए ठेकेदारों से क्0 परसेंट की रंगदारी लेता था। जिस ठेकेदार ने इसकी बात नहीं मानी, उसे रास्ते से हटा देता था। इसके गिरफ्तार होने से बिहार के कई ठेकेदारों ने राहत की सांस ली होगी। मंटू के बारे में पटना पुलिस को सूचना मिलने के बाद एसएसपी मनु महाराज की देख-रेख में एक स्पेशल टीम बनी। टीम को सिटी एसपी पटना सेंट्रल चंदन कुशवाहा लीड कर रहे थे। टीम में स्पेशल यूनिट के इंस्पेक्टर आनंद कुमार, त्रिलोक कुमार मिश्रा, दिवाकर कुमार विश्वकर्मा और रोहन कुमार सहित कई पुलिस वाले शामिल थे।

- दो गुर्गे भी आए हाथ

मंटू शर्मा भले ही दूसरे स्टेट में बैठा था। लेकिन हर पल उसकी नजरें पटना सहित बिहार के हर जिले में जारी होने वाले सीपीडब्ल्यूडी के टेंडर पर ही टिकी होती थी। ऐसे तो गैंग में कई अपराधी हैं। लेकिन पटना में इसके दो गुर्गे सतीश कुमार ठाकुर और संजय कुमार ठाकुर पल-पल की खबर देते थे। ये दोनों भाई हैं और वैशाली के पहैतिया गांव के रहने वाले हैं। फिलहाल ये दोनों पटना के नेहरू नगर इलाके में रह रहे थे। पुलिस ने मंटू शर्मा की निशानदेही पर इन्हें भी गिरफ्तार कर लिया है।

- इस तरह रखी जा रही थी नजर

मंटू शर्मा और उसके गैंग पर पुलिस की कई दिनों से नजर थी। हर पल के मूवमेंट की खबर पुलिस तक पहुंच रही थी। ये सब संभव तब हुआ जब मंटू के गुर्गे रंजीत कुमार को दो-तीन महीने पहले पकड़ा गया। पूछताछ में उसने कई राज उगले थे। इसके बाद से ही कुख्यात मंटू के गिरफ्तारी का खाका तैयार किया गया था।

- कईयों को उतार चुका है मौत के घाट

छपरा के बहालोलपुर गांव का रहने वाले मंटू ने क्98ब् में मैट्रिक किया। छपरा से ही आईएससी किया। फिर बीएचयू से ग्रेजुएशन। बतौर एमआर इसने पहली बार नौकरी की। लेकिन नौकरी उसे रास नहीं आई। क्990 में कुमार इंटरप्राइजेज के नाम से कंपनी बनाई। क्99फ् में मुन्ना शुक्ला के भाई भुटकन शुक्ला के संपर्क में आया और फिर शुरू हो गई नई पारी। उसी साल आ‌र्म्स के साथ मुजफ्फरपुर में पकड़ा गया, इसके लिए उसे जेल भी जानी पड़ी। बाद में वो भुटकन शुक्ला से क्999 में अलग हो गया। सीपीडब्ल्यूडी की ठेकेदारी मैनेज कराने लगा। टेंडर के कारण ख्00ख् में पटना में शरद साहू, ख्00ब् में राम नरेश सिंह, ख्009 में मुजफ्फरपुर के लीची अनुसंधान के गार्ड की गोली मारकर हत्या कर दी। गोलियों की बौछार एके-ब्7 से की जाती थी। इसके खिलाफ बिहार और यूपी सहित करीब दो दर्जन से भी अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।

लखनऊ में बैठकर बिहार के कई जिलों में इसने हाल ही में करोड़ों रुपए के टेंडर को मैनेज किया था। पुलिस टीम हर पल की अपडेट ले रही थी। इसकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी कामयाबी है।

- मनु महाराज, एसएसपी, पटना