RANCHI : जिलों में सीडब्ल्यूसी के गठन से लेकर उसके कामकाज की प्रक्रिया में न सिर्फ नियम-कायदे ताक पर रख दिए गए, बल्कि सदस्यों ने इसे अपना 'पॉकेट संस्था' भी बना रखा था। लोहरदगा सीडब्ल्यूसी में पति-पत्नी तो बोकारो सीडब्ल्यूसी में भाई-बहन कोबतौर सदस्य नियुक्ति कर दिया गया। इतना ही नहीं, खूंटी में सीडब्ल्यूसी के एक मेंबर ने अपनी पत्नी व पारा शिक्षक को सदस्य बनवा लिया। खास बात है कि समाज कल्याण विभाग की ओर से भी इन्हें सदस्य बनाए जाने के दौरान किसी तरह की कोई जांच नहीं की गई।

मेंबर चला रहे एनजीओ व स्कूल

सीडब्ल्यूसी में कार्यरत कुछ मेंबर्स अपना एनजीओ तो कुछ स्कूल चला रहे हैं। कई मेंबर्स के दो-दो स्कूल हैं। इतना ही नहीं, वे बतौर मेंबर रहते हुए स्कूल की संचालिका भी बनी हुई हैं। वहीं, एक मेंबर तो मैट्रिक पास भी नहीं है, लेकिन उसे सीसीआई का लाइसेंस भी दे दिया गया है। सीडब्ल्यूसी में एक एकाउंटेंट की पत्‍‌नी को भी मेंबर बना दिया गया है। एक मेंबर ने समाज कल्याण विभाग में सर्टिफिकेट दिया है, जिसकी मान्यता ही नहीं है। गुमला में कमिटि में शामिल मेंबर के परिजनों को उपकृत कर दिया गया।

धनबाद चेयरमैन हो चुके हैं सस्पेंड

गौरतलब हो कि एनजीओ चलाने में धनबाद के सीडब्ल्यूसी चेयरमैन अनिल सिंह को समाज कल्याण विभाग ने कुछ माह पूर्व सस्पेंड कर दिया है। उन पर आरोप था कि वे धनबाद में अपना एनजीओ चलाते हैं।

एक्ट में क्या है प्रॉविजन

एक्ट के मुताबिक, यदि आप सीडब्ल्यूसी के मेंबर हैं तो कोई अन्य काम नहीं कर सकते हैं। पति-पत्‍‌नी एक साथ एक कमिटि के आधार पर सीडब्ल्यूसी का मेंबर नहीं बन सकते। सीडब्ल्यूसी के मेंबर बनने के लिए समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में दक्ष होना जरूरी है। मेंबर बनाने के लिए एक रिटायर्ड जस्टिस कमिटि में होते हैं, लेकिन वह केवल डमी की भूमिका निभाते हैं। कमिटि में शामिल लोगों के परिजनों को भी उपकृत किया गया है।