RANCHI: मुख्यमंत्री पद की दौड़ में जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र से जीत दर्ज करनेवाले पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवर दास सबसे आगे माने जा रहे हैं। मौजूदा सियासी समीकरण में कई बातें उनके पक्ष में हैं तो कई ऐसे भी कारक हैं, जो उनकी राह में रोड़े अटका सकते हैं। वैसे भारतीय जनता पार्टी में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में कई नाम शामिल हो गए हैं। रांची सीट से लगातार पांचवी बार जीत हासिल करनेवाले सीपी सिंह, गुमला सीट से जीत दर्ज करनेवाले शिव शंकर उरांव, पार्टी के सीनियर लीडर सरयू राय और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा का नाम भी चर्चा में है।

प्लस क्या है

। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी के गुड बुक में माने जाते हैं।

2. लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं। अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी को 70 हजार मतों के फासले से हराया। पूरे राज्य में उनसे ज्यादा अंतर से सिर्फ बोकारो के भाजपा प्रत्याशी बिरंची नारायण जीते।

3. अब तक आदिवासी चेहरों को सीएम बनाती रही भाजपा इस बार गैर आदिवासी सीएम के फार्मूले पर चल सकती है।

4. वैश्य समाज से आते हैं। वैश्य समाज के कुल नौ लोगों को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। इनमें से आठ जीते।

5.राज्य के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। दो-दो बार प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रहे।

माइनस क्या है

1. भाजपा ने आदिवासी चेहरे को ही सीएम की कुर्सी सौंपने का निर्णय लिया तो पत्ता कट सकता है। चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी आदिवासी हित की बातें सबसे प्रमुखता से कहते रहे।

2.अर्जुन मुंडा राज्य के सबसे प्रभावशाली भाजपा नेता माने जाते रहे हैं। वे भले चुनाव हार गए हैं, लेकिन उनके खेमे के विधायक रघुवर के नाम का विरोध कर सकते हैं।

3.भाजपा नेतृत्व हरियाणा और महाराष्ट्र की तरह प्रमुख दावेदारों को दरकिनार कर किसी नए चेहरे को बतौर सीएम पेश कर सकता है

4. गठबंधन का सहयोगी आजसू रघुवर दास के नाम पर विरोध कर सकती है।