- सिटी के कॉन्वेंट स्कूलों में डिक्लेयर होने लगे हैं रिजल्ट

- रिजल्ट डिक्लेयर होने के बाद पैरेंट्स कर रहे बच्चों के साथ मानसिक उत्पीड़न

GORAKHPUR: बेटा रोहन आज तो तुम्हारा रिजल्ट आया होगा. हां, पापा. कितने परसेंट मा‌र्क्स आए? पापा 89 परसेंट. इतना कम क्यों आया है? मैथ का पेपर अच्छा नहीं हुआ था. यह तो महज एक उदाहरण है. सिटी के स्कूल्स में रिजल्ट निकलने के साथ ही तमाम पैरेंट्स ने बच्चों पर इस तरह का मेंटल टॉर्चर शुरू कर दिया है. एक तरफ जहां समझदार पैरेंट्स अपने बच्चे के कम मा‌र्क्स आने पर उन्हें और बेहतर परफॉर्म करने की सलाह देते हैं तो वहीं सिटी के तमाम पैरेंट्स ऐसे भी हैं जो लाडले के हाई परसेंटेज पाने पर भी संतुष्ट नहीं दिख रहे. हाई एक्सपेक्टेशन वाले ऐसे पैरेंट्स अपने लाडले को पड़ोसी के बच्चे से कंपेयर करने तक से बाज नहीं आ रहे. लाडले की पढ़ाई में कहां क्या दिक्कत आ रही है, उसे क्या समझ में नहीं आ रहा, इस पर फोकस करने के बजाय उसे मानसिक प्रताड़ना से गुजरने को मजबूर कर रहे हैं.

क्या कहते हैं एक्सप‌र्ट्स

काउंसलर माधवी त्रिपाठी बताती हैं कि ज्यादातर स्कूलों के रिजल्ट आने शुरू हो गए हैं. सीबीएसई और सीआईएससीई बोर्ड में परसेंटेज का अहम रोल होता है. लेकिन जिन बच्चों के परसेंटेज कम आते हैं उनके पैरेंट्स के एक्सपेक्टेशन कहीं न कहीं हाई नजर आते हैं. आलम ये है कि वे अपने बच्चों को जीनियस बनाने के चक्कर में उन्हें कहीं न कहीं मानसिक प्रताड़ना दे रहे हैं जो बेहद गलत है. काउंसलर माधवी त्रिपाठी बताती हैं कि डेली उनके पास इस तरह के 8-10 केस आ रहे हैं जिनकी वह काउंसलिंग करती हैं. वे बताती हैं कि रिजल्ट डिक्लेयर होने के बाद से बच्चों को और बेहतर परफॉर्म करने की सलाह देने के बजाय उन्हें उन्हीं के क्लास के बच्चों से कंपेयर किया जाना बेहद गलत है.

पैरेंट्स के लिए जरूरी निर्देश

- बच्चों को डिमॉलराइज न करें.

- कम मा‌र्क्स आने पर उसकी कमियों को पकड़ें और सुधार करें.

- किस सब्जेक्ट में मा‌र्क्स कम आए उस सब्जेक्ट पर छुट्टी होने के बाद भी उसे रिवीजन कराएं.

- मैथ और हिंदी जैसे सब्जेक्ट में कम मा‌र्क्स आने पर बच्चों के कमजोरी पर फोकस करें.

फैक्ट फिगर

सिटी में सीबीएसई स्कूल - 85

सीआईएससीई स्कूल - 19

बेसिक शिक्षा विभाग के इंग्लिश मीडियम स्कूल - 215

वर्जन

बच्चों की मानसिक प्रताड़ना करना बेहद गलत है. बच्चे के अगर कम मा‌र्क्स आ रहे हैं तो जो कमियां आ रही हैं उन्हें पैरेंट्स को दूर करने की जरूरत है.

- सुनीत कोहली, काउंसलर