हज हाउस में सिस्टम दिखा 'दिव्यांग'

-पहले दिन खाने का तरसे हज यात्री, भटकते रहे खिदमतगार

-हाथ से कमजोर बच्चे से उठवाया जा रहा है भार

LUCKNOW: भारी अव्यवस्था के बीच इस साल हज के लिए जाने वाले यात्रियों के लखनऊ पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। अव्यवस्था कुछ ऐसी कि अलग-अलग जिलों से आये हज यात्रियों को सुबह से शाम तक खाने को कुछ नसीब नहीं हुआ। 12 बेड के बनाये गये अस्थायी हास्पिटल में बेड पर कर्मचारी और अधिकारी आराम फरमा रहे थे। कहने को हज कमेटी की ओर से वेज और नान वेज कैंटीन की व्यवस्था की गयी है लेकिन कैंटीन में सिर्फ सब्जी और पूड़ी व चाय बिस्किट नजर था। हज यात्रियों की खिदमत के लिए जो कुर्सी थी उसपर बैठना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन था।

चाइल्ड से लिया जा रहा था काम

हज हाउस में किसी के भी जाने के लिए पास की जरूरत है। यहां तक कि हज कमेटी और व्यवस्थाओं में लगे लोगों को अपना आईडी कार्ड और बाकी लोगों के लिए पास जारी किए गये हैं। लेकिन यहां चाइल्ड लेबर के लिए कोई रोक टोक नहीं है। कैंटीन में ऐसे आधा दर्जन से अधिक बच्चे किचन में लगाये गये हैं। मजे की बात यह कि यहां तमाम सुरक्षा कर्मियों से लेकर प्रशासनिक अफसरों तक की ड्यूटी लगायी गयी है। अल्प संख्यक व हज मंत्री मोहम्मद आजम खां के निजी सचिव खुद यहां कैंप कर रहे हैं। बावजूद धड़ल्ले से चाइल्ड लेबर का इस्तेमाल हज हाउस में किया जा रहा है।

बच्चे के हाथ में फ्रेक्चर, उठवाया रहे बोझा

हज हाउस की कैंटीन में एक बच्चा ऐसा मिला जिसका हाथ बचपन में टूट गया था और टेढ़ा हो गया था। लगभग आठ साल के इस बच्चे का नाम फरमान है और वह इलाज के लिए बहराइच से लखनऊ आया था। बच्चे का पिता खुद उस बच्चे से कोल्ड ड्रिंक की भरी रैक उठवा रहा था। यहां ना तो ठेकेदार नजर आया और ना ही कोई दूसरा व्यवस्थापक।

बेड पर सोते मिले डॉक्टर साहब

हज हाउस में अस्थाई आकस्मिक चिकित्सा कक्ष बनाये गये हैं। पांच बेड पुरुषों के लिए और पांच बेड महिलाओं के लिए रखा गया है। दो बेड टीकाकरण के लिए रखा गया है। इन बेड पर यहां ड्यूटी पर लगाये गये अधिकारी और कर्मचारी पहले दिन आराम करते मिले। टीकाकरण कक्ष में डॉक्टर साहब सो रहे थे। यही हाल महिला वार्ड और पुरुष वार्ड का भी था।

हाजी बाहर उतारें चप्पलें, निगम के कर्मचारी अंदर

हज हाउस में व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए दर्जनों नगर निगम के कर्मचारी लगाये गये हैं। यहां हाजियों को रुकने के लिए भी सात बड़े बड़े हाल का इंतजाम है। इन हाल में दरी और गद्दे हाजियों के लिए लगाये गये हैं। हज यात्रियों को बाहर चप्पल और जूते उतारने की हिदायत है। वहीं हज यात्रियों के आने से पहले इन गद्दों पर कर्मचारी आराम फरमा रहे थे। कर्मचारियो के जूते और चप्पल हाल के अंदर उनके गद्दे के पास ही पड़े थे।

तीन किलोमीटर तक ढूंढते रहे खाना

हज पर जाने वाले यात्रियों और उनके खिदमतगारों के लिए हज हाउस में खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। कैंटीन की व्यवस्था तो है लेकिन वहां खाना नहीं है। हज यात्रियों के साथ आये खिदमतगारों को खाने की तलाश में घंटों भटकना पड़ा। अधिकारियों से पूछे जाने पर बताया गया कि आज रात से हज यात्रियों और खिदमतगारों के लिए कैंटीन में निर्धारित दरों में खाना उपलब्ध होगा।

पेट भरने के लिए लंबा सफर

हज पर जाने वाले यात्रियों में ऐसे यात्रियों की संख्या कम नहीं हैं जिनकी उम्र 70 और 75 साल से अधिक हो। हज हाउस में व्यवस्थापकों ने इसका भी ख्याल नहीं रखा। बुजुर्ग हो या जवान खाना खाने के लिए 20 सीढि़यां चढ़कर फ‌र्स्ट फ्लोर तक जाना होगा। जबकि हज यात्रियों की सुविधा के लिए शुरू से लेकर अब तक दावे ही किये जाते रहे हैं।

हज यात्रियों के लिए सभी जरूरी इंतजाम किये गये हैं। खाने के लिए कैंटीन की व्यवस्था की गयी है। जहां तक चाइल्ड लेबर की बात है, यह बिल्कुल गैर कानूनी है, ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

जुबैर अहमद, सचिव, उत्तर प्रदेश हज कमेटी