मेरठ की बात

मेरठ में करीब 45 प्रोफेशनल कॉलेजों में साढ़े बारह हजार सीटें हैं। इनमें से करीब 70 परसेंट सीटें खाली रह गई है। वहीं बहुत से कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें दस से कम एडमिशन हुए हैं। खुल कर तो कोई सामने नहीं आ रहा है। लेकिन बताया जाता है कि मेरठ के हालात से परेशान होकर करीब चार कॉलेजों संचालकों ने संस्थान बंद करने के लिए एआईसीटीई से परमीशन मांगी है।

ये हैं बाहरी सिच्वेशन

171 कॉलेजों ने दिया बंद करने का आवेदन मेरठ ही नहीं, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे देश के दो बड़े राज्यों में मैनेजमेंट कॉलेजों की 50 परसेंट से ज्यादा सीटें इस साल खाली रह गई हैं। दो साल में राजस्थान के 22 मैनेजमेंट कॉलेज बंद हो गए हैं। बाकी देश में भी हालात ऐसे ही हैं। कुछ कॉलेज तो खुद ही बंद होने का आवेदन ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन को भेज रहे हैं।

दो बड़ी वजह

कॉलेजों के बिगड़ते दिनों के पीछे दो वजह हैं। पहली छोटे कॉलेजों में न तो फैकल्टी ठीक है और न ही प्लेसमेंट को लेकर कोई भविष्य। दूसरी वजह है कि छात्रों की लॉ, मीडिया स्टडजी, हॉस्पिटैलिटी जैसे प्रोफेशनल कोर्सेज में बढ़ती रुचि।

यहां सबसे बुरे हालात

इस साल गुजरात के मैनेजमेंट कॉलेजों की बीस हजार 455 सीटों के लिए सिर्फ 6 हजार 493 छात्रों ने ही आवेदन किया। 13 हजार 961 सीटें खाली हैं। माना जा रहा है कि दूसरी और तीसरी काउंसलिंग के बाद भी करीब 11 हजार एमबीए सीटें यहां खाली रहेंगी। महाराष्ट्र के मैनेजमेंट कॉलेजों की 45 हजार 700 सीटों में से करीब 32 हजार सीटें अब भी खाली हैं। गुजरात में कम से कम 32 ऐसे कॉलेज हैं जिनमें एक-एक छात्र ने ही एडमिशन लिया है। राजस्थान में पिछले साल 16 और इस साल 16 मैनेजमेंट कॉलेज बंद हो गए हैं।

सब जगह बंदी

एआईसीटीई के मुताबिक पिछले साल की तुलना में करीब 23.9 परसेंट कॉलेजों ने अपने संस्थान बंद करने का फैसला लिया है। कुछ 171 क्लोजर एप्लीकेशंस आई हैं। जिनमें से 124 कॉलेजा को बंद होने के परमीशन दे दी गई है। सबसे ज्यादा 37 कॉलेज आंध्रप्रदेश में, 13 उत्तर प्रदेश में और 9 गुजरात में बंद होने हैं। आंध्रप्रदेश और उत्तर प्रदेश में देश के आधे से भी ज्यादा बी-स्कूल्स हैं।

शायद बदले सूरत

छात्र लगभग पांच लाख रुपए फीस देकर फुलटाइम एमबीए की डिग्री करने की बजाए पार्ट टाइम एमबीए और जॉब कर रहे हैं। हालांकि सेंट्रलाइज्ड एमबीए एग्जाम होने के बाद छात्रों की संख्या में शायद इजाफा हो सकेगा।

स्टेट - 2012-13  -  2013-14

बंद हुए कॉलेजों की संख्या

आंध्र प्रदेश - 31 - 37

उत्तर प्रदेश - 11 - 13

राजस्थान - 16 - 6

गुजरात - 4 - 9

महाराष्ट्र - 4 - 7

'लो स्टैंडर्ड के कॉलेज जो सिर्फ मुनाफाखोरी  के लिए खोले जाते हैं। ऐसे कॉलेज ज्यादा दिन तक अपना अस्तित्व बना कर नहीं रख पाते हैं। जो क्वालिटी और प्लेसमेंट देते हैं, वहीं मौजूदा दौर में टिक पाते हैं.'

प्रो। इकराम हुसैन, डायरेक्टर, आरजीजीआई

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