- उरी में शहीद गणेश शंकर यादव के छह वर्षीय बेटे ने दी मुखाग्नि

- राजकीय सम्मान के साथ पाली स्थित सिसई घाट पर दी गई अंतिम विदाई, हजारों की भीड़ ने लगाए 'गणेश शंकर यादव अमर रहें' के नारे

GORAKHPUR: जम्मू कश्मीर के उरी में सेना के कैम्प पर हुए आतंकवादी हमले में शहीद जवान गणेश शंकर यादव का पार्थिव शरीर मंगलवार को जैसे ही संतकबीरनगर स्थित उनके गांव घुरापाली पहुंचा, एक बार फिर पूरा गांव रो पड़ा। सबको इस सपूत की शहादत पर गर्व तो है लेकिन उसके खोने का गम भी उससे कम नहीं। 60 साल की बूढ़ी मां बार-बार बोल रही थीं कि उन्हें कोई उनका लाल लौटा दे। पत्‍‌नी गुडि़या कह रही थीं कि उन्हें उनके पति नहीं लौटा सकते तो दुश्मनों का सिर ला दें। हर तरफ गम और गुस्सा का भाव था। घर ही क्या, गांव के किसी घर में चूल्हा नहीं जला। किसी तरह घर वालों को नाते-रिश्तेदारों और गांव वालों ने संभाला। यहां से हजारों की भीड़ अंतिम विदाई देने के लिए सहजनवां के पाली स्थित सिसई घाट पर पहुंची। राजकीय सम्मान के साथ सिसई घाट पर नम आंखों से शहीद को विदाई दी गई। इस दौरान गणेश शंकर अमर रहे, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से घाट गूंजता रहा। मौके पर मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में राज्य मंत्री राधेश्याम सिंह, खाद्य एवं रशद मंत्री लक्ष्मीकान्त उर्फ पप्पू निषाद, संतकबीरनगर के सांसद शरद त्रिपाठी मौजूद रहे। सेना के असफरों ने गार्ड आफ ऑनर दिया।

हजारों की भीड़ गई घाट तक

शहीद का पार्थिव शरीर दोपहर 1 बजे सेना की गाड़ी से घुरापाली ले जाया गया। वहां संतकबीरनगर के डीएम सुरेश कुमार व सेना के जवानों ने अपने कंधे पर रखकर घर तक पहुंचाया। इसके बाद अंतिम दर्शन के लिए कुछ देर रखने के बाद सेना की गाड़ी से ही सिसई घाट ले जाया गया। पीछे-पीछे हजारों लोग शहीद गणेश अमर रहे, पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाते हुए चल रहे थे। शहीद के 6 बर्षीय बेटे ने मुखाग्नि दी तो घाट पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई।

बेटा भी बनेगा फौजी

शहीद की पत्‍‌नी गुडि़या ने बिलखते हुए कहा कि शहीदों की शहादत पर कोई राजनीति नहीं हो। दुश्मनों को हर हाल में सजा मिलनी चाहिए। सरकार उन्हें उनका पति लौटा दे, नहीं लौटा सकती तो उनके दुश्मन को ही सामने ला दे। गुडि़या ने कहा कि मुख्यमंत्री उनके घर आकर उनकी, बच्चों की और घर वालों की हालत देख लें। उन्हें इंसाफ दिलाने में मदद करें। गुडि़या बोली कि उनकी इच्छा थी कि बेटा भी फौजी बने। वह अपने बेटे को भी फौज में भेजेंगी। सरकार नहीं तो बेटा बदला जरूर लेगा।

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अधूरे रह गए ख्वाब सारे

गणेश शंकर यादव ने घर वालों के साथ कई ख्वाब देखे थे। वे सारे अब अधूरे रह गए। वे न तो छोटी बहन की शादी में शामिल होने आ पाएंगे और न ही उसे विदा कर पाएंगे। जुलाई में 10 दिन की छुट्टी पर आए गणेश ने कैम्पियरगंज के मछली गाव में छोटी बहन इंद्रावती की शादी तय की थी। 19 जुलाई को ड्यूटी पर जाते समय मां और पत्‍‌नी से कहा था कि बहन की शादी की डेट फिक्स हो जाए तो बता देना। अपनी 60 बर्षीय मां को समझाते हुए कह गए थे कि चिंता मत करना। शादी में जो भी पैसा लगेगा, उसके खर्चे का बंदोबस्त हो जाएगा। वे आएंगे तो सब ठीक कर देंगे।