- यूपी कैबिनेट का फैसला, अप्रैल 2017 से होगा लागू

- आर्थिक मदद के साथ सरकारी नौकरी भी देने का वादा

LUCKNOW : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट ने सीमा पर शहीद होने वाले यूपी के सैनिकों के परिजनों को सरकारी नौकरी देने का ऐतिहासिक फैसला लिया। राज्य सरकार ने शहीदों के बलिदान के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए विगत एक अप्रैल 2017 के बाद इसे लागू करने पर मुहर लगा दी। सेना के तीनों अंग थलसेना, वायुसेना और नौसेना और अ‌र्द्धसैनिक बलों के शहीद जवानों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाएगी हालांकि यह नियम लोक सेवा आयोग के दायरे में आने वाले पदों पर लागू नहीं होगा।

आर्थिक मदद के साथ नौकरी भी

राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा शहीदों के परिजनों को दी जाने वाली बीस लाख रुपये की आर्थिक सहायता के अलावा सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। सरकारी नौकरी में शहीद के रक्त संबंधियों को वरीयता दी जाएगी। राज्य सरकार द्वारा मृतक आश्रितों को दी जाने वाली नौकरी के नियम इसमें भी लागू होंगे। इसके लिए सैनिक कल्याण विभाग और गृह विभाग को पत्र भेजना होगा जिसके बाद विभागों में रोस्टर प्रणाली के आधार पर उन्हें नौकरी दी जाएगी। लोक सेवा आयोग को इसके दायरे से बाहर किए जाने के बाद उन्हें समूह ग की नौकरी दी जाएगी।

ये भी शामिल

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस (आइटीबीपी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), असम राइफल्स और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स। वहीं इसका लाभ तीनों सेना समेत अ‌र्द्धसैनिक बल के उस लापता जवान या अफसर के आश्रित को भी मिलेगा जिन्हें सक्षम न्यायालय ने मृत घोषित कर दिया है।

अन्य कैबिनेट फैसले

सारी राशन की दुकानों में ई-पॉश मशीन

राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों की तरह ग्रामीण क्षेत्रों की सभी सरकारी उचित दर की राशन की दुकानों में पारदर्शी तरीके से राशन वितरण के लिए ई-पॉश मशीनें लगाने का फैसला भी लिया है। इन मशीनों को सिस्टम इंटीग्रेटर के माध्यम से लगाया जाएगा जिसका चयन यूपीडेस्को करेगा। इसके जरिए राशन वितरण की ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी की जा सकेगी। राज्य सरकार ने यह फैसला भी लिया है कि यदि किसी के पास आधार कार्ड नहीं है तो उसे बिना राशन वापस नहीं भेजा जाएगा। ऐसा करने वाले दुकानदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार पूरे प्रदेश में आधार कार्ड बनाने का अभियान भी चलाएगी। जून 2018 तक ग्रामीण क्षेत्र की सभी 67,628 दुकानों में ई-पॉश मशीने लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा।

वेंडर के जरिए नहीं लगेंगे स्वीड गवर्नर

कैबिनेट ने अखिलेश सरकार के वाहनों में वेंडर के जरिए स्पीड गवर्नर लगाने के फैसले को रद कर दिया है। ध्यान रहे कि विगत 16 फरवरी 2016 को सपा सरकार ने परिवहन वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाए जाने का निर्णय लिया था। दरअसल भारत सरकार ने सभी किस्म के परिवहन वाहनों में एक अक्टूबर, 2015 से स्पीड गवर्नर लगाया जाना अनिवार्य कर दिया था। यह बाध्यता दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया, साइकिल, अग्निशमन गाडि़यों, एम्बुलेन्स, पुलिस यान आदि में नहीं थी। तत्कालीन कैबिनेट ने स्पीड गवर्नर लगाए जाने के लिए परामर्शदाता का चयन और टेंडर के माध्यम से वेंडर का चयन करने का फैसला भी लिया था। इसके बाद दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टीमॉडल ट्रांजिट सिस्टम को परामर्शदाता के रूप में चुना गया था। राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि कैबिनेट ने टेंडर के जरिए वेंडर का चयन करने का पूर्व कैबिनेट का फैसला निरस्त कर दिया है लिहाजा परामर्शदाता की जरूरत भी खत्म हो गयी है। अब मार्केट से स्पीड गवर्नर खरीदकर लगवाने के बाद उसे आरटीओ से स्वीकृत कराना होगा।

दैवीय आपदा से प्रभावित लोगों को मुफ्त मकान

कैबिनेट ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में दैवीय आपदा का शिकार हुए गरीबों को मुफ्त आवास देने का फैसला भी लिया है। इसमें बाढ़, अग्निकांड इत्यादि को शामिल किया गया है। राजस्व विभाग द्वारा 95,100 रुपये तक आर्थिक मदद दिए जाने और प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभांवितों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। वहीं वनटांगिया, मुसहर के अलावा जेई, एईएस से प्रभावित परिवारों को भी मुफ्त आवास दिया जाना है। राज्य सरकार ने ऐसे करीब 25 हजार परिवारों को चिन्हित भी किया है। इन्हें करीब 1.20 लाख रुपये की लागत वाले मकान दिए जाएंगे।

अध्यादेश वापस लेगी सरकार

योगी कैबिनेट ने सपा सरकार के एक और फैसले को पलटते हुए उप्र स्थानीय स्वायत्त शासन विधि संशोधन अध्यादेश वापस लेने का निर्णय लिया है। ध्यान रहे कि यह अध्यादेश पिछली सरकार में नगर विकास मंत्री आजम खान द्वारा लाया गया था जिसे राज्यपाल ने मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया था। राष्ट्रपति द्वारा इस पर टिप्पणी की गयी थी कि यह संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है। दरअसल इस अध्यादेश में नगर निगमों के महापौरों तथा नगरपालिकाओं के अध्यक्षों से नगर निगमों और नगर पालिकाओं के विभिन्न श्रेणी के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार एवं स्थानीय निकायों के निदेशक में निहित किये जाने का प्रस्ताव किया गया था। इसके परीक्षण के दौरान राज्यपाल ने पाया कि अध्यादेश से इन संस्थाओं की स्वायत्तता प्रभावित होगी बल्कि प्रस्तावित संशोधन लोकतंत्र की मूल अवधारणा तथा संविधान के प्रावधानों के भी विरुद्ध है।

सात स्कूलों की सरकारी मदद खत्म

राज्य सरकार ने प्रदेश के सात स्कूलों को आर्थिक सहायता देने के पूर्ववती सपा सरकार के फैसले को पलट दिया है। इनमें मुरादाबाद का बीएस इंटर कॉलेज, बिजनौर का श्रीमती दुर्गिया रवि पब्लिक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, हाथरस का खुदीराम स्मारक इंटर कॉलेज, कासगंज का किरन देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बलिया का मातेश्वरी सोनकली देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, एटा का श्रीमती विमला देवी इंटर कॉलेज और बहराइच का शारदा सहायक परियोजना इंटर कॉलेज शामिल हैं।

पल्प पेपर इस्तेमाल करने की छूट

कैबिनेट ने कक्षा एक से आठ तक की पाठ्य पुस्तकों के मुद्रण और प्रकाशन के लिए पल्प पेपर के इस्तेमाल करने की छूट प्रदान की है। वर्तमान वर्ष में निर्धारित नीति के मुताबिक अब इसका मुद्रण और प्रकाशन किया जा सकेगा।

बलिया में बनेगा 400 केवी का उपकेंद्र

कैबिनेट ने बलिया के रसड़ा में 400 केवी के उपकेंद्र को बनाने की अनुमति प्रदान की है। यह 424.06 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा। यह कार्य 30 माह में पूरा कर लिया जाएगा।