देर से आना, पत्नी का ताना, इस जॉब का दुखभरा फसाना

प्राइवेट जॉब की टेंशन! ये master key दिलाएगी हर प्रॉब्‍लम से पेंशन

बीवी ने सुबह-सुबह ही कोसना शुरू कर दिया, 'अरे अब सुबह-सुबह ये लैपटॉप का हारमोनियम खोलकर क्या बैठ गए, जाओ दूध लेकर आओ चाय बनानी है।' 'अरे यार बेटू को बोल दो आज ये प्रेजेंटेशन देना मीटिंग में...' इससे पहले मैं अपनी बात पूरी करता बीवी किचन से निकल कर सामने बेलन दिखाते हुए बोली, 'देखो, ये ऑफिस का काम वहीं छोड़ कर आया करो। बेटू का एग्जाम चल रहा है। देर रात तक स्टडी कर रहा था। अब उसे नहीं उठाऊंगी। जाना है तो जाओ नहीं तो चाय मत मांगना, तुम्हीं चहासे रहते हो...' अब सुबह चाय न मिले तो जरा फ्रेश ठीक से नहीं हुआ जाता। इधर शर्ट पहन रहा था कि श्रीमती जी अभी भी किचन में रोटी के साथ धारा प्रवाह जबान बेलने में मशगूल थी, 'सामने शर्माजी हैं। सरकारी नौकरी करते हैं। रोज सूरज ढलने से पहले शाम को सब्जी-भाजी लेते हुए घर आ जाते हैं। ये जनाब लैपटॉप का बैग टांगे रोज देर से आएंगे। सब्जी जरा खराब हो जाए तो निवाला गले से नीचे नहीं उतरता। देर रात तक हारमोनियम पर प्रेजेंटेशन, एक्सेल बजते रहते हैं। सुबह-सुबह कोई काम कह दो तो आफत आ जाती है...' मैं शर्ट पहनते हुए बाहर निकल गया, दूध लाने।

बोरिंग मीटिंग, टारगेट अचीवमेंट, लो एंक्रीमेंट

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ऑफिस पहुंचा तो मेरे सेक्सन की पूरी रो में मुर्दानगी छाई हुई थी। बगल वाले कलीग अपने सिस्टम पर नजरें गड़ाए-गड़ाए मुझसे कह रहा था, 'देर से तुम आए हो, बॉस हम सबकी ले कर गया है। मूड बहुत खराब था। लगता है तुझे आज पेपर डालना ही पड़ेगा...' मेरा चेहरा उतर गया। दिल अंदर से बैठ गया। सुबह-सुबह पत्नी के तानों और ट्रैफिक ने पहले ही निचोड़ दिया था। अब पता नहीं क्या-क्या निचुड़ेगा? तभी चपरासी आया और बॉस के केबिन की ओर ईशारा करके चला गया। मूड तो पहले से ही खराब था, सोचा आज तो गई। मन ही मन अपनी सेविंग के बारे में सोचते हुए लैपटॉप उठा कर बॉस के केबिन की ओर चल पड़ा। दिमाग दौड़ा रहा था कि जितनी सेविंग कर रखी है उससे कितना दिन चल सकता है। एसआईपी तोड़नी पड़ी तो... वगैरह-वगैरह... अंदर आया तो बॉस ने बैठने का ईशारा किया। मेरे चेहरे की हवाइयां उड़ी हुईं थीं। बात करने के बाद फोन रखते हुए उन्होंने पूछा, 'प्रेजेंटेशन तैयार है?' मैंने कहा, 'यस सर!' दिखाने का ईशारा करते हुए बोले, 'देखो तुम्हारा काम ठीक है। थोड़ा और मेहनत करो। बहुत ऊपर जाओगे। मुझे तुम्हारे...' मैं सोचने लगा एप्रेजल के टाइम तो बड़ी कमियां निकाल रहे थे। अब ये क्या?? तभी बॉस ने कहा, 'वेलडन! लंच के बाद मीटिंग रूम में मिलते हैं।' सारी टेंशन दूर हो गई थी। मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे और आसपास सब मुंह लटकाए बैठे थे। सच कहूं तो मजा दोगुना हो गया था। तभी टेबल पर एक लेटर पर नजर पड़ी खोल कर देखा तो इंक्रीमेंट लेटर था, जो पिछले साल से भी कम लगा था। अब समझ आया कि बॉस गीता का उपदेश क्यों दे रहा था।

सवाल ए जीवन-मरण, पहुंचा बाबा की शरण

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मीटिंग के तुरंत बाद सिर दर्द का बहाना बनाकर अपने एक दोस्त के घर निकल गया। वो मेरा बचपन का दोस्त था। एक दूसरी कंपनी में काम करता था। आजकल अकेला था। उसका टाइम मैनेजमेंट गजब का था। उसने घर और ऑफिस में जबरदस्त बैलेंस बना रखा था। उसका बॉस भी खुश रहता था पत्नी भी शाम को बाहें फैलाए उसका वेट करती थी। घंटी बजाया तो दरवाजा उसी ने खोला। अंदर आने के बाद दरवाजा बंद करते हुए पूछा, 'अबे, आज क्या हो गया? जनाब का मुंह क्यों लटका है...?' इससे पहले वह कुछ और बोलता मैंने उसे सारी आपबीती बता दी। उसने कहा, 'तुझे मेरे गांव वाले बाबा से मिलने की जरूरत है। मैं कुछ कहूंगा तो तू सुनेगा नहीं। चल संडे को उनके आश्रम चलते हैं। तेरी आउटिंग भी हो जाएगी और भाभी भी खुश हो जाएगी।' मैंने कहा, 'अबे बाबाओं...' बीच में मेरी बात काटते हुए मुझे बीयर की बोतल पकड़ा दी और कहा, 'बस! तुझे अब कुछ बोलने की जरूरत नहीं है। भाभीजी से बात हो गई है।' मैंने माथा पीटते हुए कहा, 'सत्यानाश! अबे तुम सब मिलकर मेरे ही पीछे क्यों पड़े रहते हो... सारा मजा किरकिरा कर दिया... धत्त...' खैर हम सब संडे को बाबाजी के आश्रम पहुंचे। आश्रम क्या था, ऐसा लग रहा था जैसे किसी ऊंट चराने वाले के यहां बाड़े में पहुंच गए हैं। खैर पत्नी और दोस्त ऊंट की सवारी करने में मस्त हो गए। मुझे भी साथ में लाद लिया। वे सेल्फी लेने लगे लेकिन मुझे बिल्कुल मजा नहीं आ रहा था। दिन भर मौज-मस्ती करने के बाद शाम बाबा की कुटिया में पहुंचे। अंदर का माहौल काफी शांतिपूर्ण लग रहा था। दोस्त ने बाबा से मेरा परिचय कराया। मैंने बाबा से कहा, 'बाबाजी! मैं...' बीच में काटते हुए बाबा बोले, 'काफी परेशान हो... काम ही खत्म नहीं होता... इंक्रीमेंट भी कम हुआ है... प्राइवेट नौकरी करते हो...' मैं बाबा के पैरों में गिरकर बोला, 'बाबाजी मुझे कुछ मंत्र दीजिए कि जीवन में शांति...'

सौ ऊंट सौ समस्या, सारी रात ऊंटों के बीच रोया

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बाबा बोले, 'बेटा तुझे कल सारी समस्याओं का शर्तिया उपाय बता दूंगा। बस आज रात तू मेरे सौ ऊंटों को बैठा कर आराम से सो जा। सुबह मिलना।' मैं खुशी-खुशी ऊंटों के बाड़े में चला गया। आधे तो पहले ही बैठे थे। कुछ को मैंने बैठा दिया। लेकिन इधर एक को बैठता तो दूसरा उठ खड़ा होता। सारी रात मैं परेशान रहा। एक बार में कभी भी सारे ऊंट नहीं बैठे। सुबह बाबा के पास हम सब गए। मेरा मन पहले ही खुंदस से भरा हुआ था। दरअसल दो साल पहले मेरे दोस्त का मुझसे भी बुरा हाल था इसी बाबा की वजह से सब पटरी पर आया था। सो मैं यहां चला आया था नहीं तो... तभी बाबा ने पूछा, 'बेटा, रात को अच्छी नींद आई?' मैंने कंट्रोल करते हुए कहा, 'बाबाजी, नींद कैसे आती। आपके सारे ऊंट एकबार में बैठे ही नहीं।' बाबा पहले तो खूब हंसे फिर पूछा, 'तो बेटा तुमने क्या किया?' मैंने उन्हें सारी बात सिलसिलेवार बता दी कि आधे तो पहले से ही बैठे थे। कुछ को मैंने बैठा दिया। फिर सारी रात इधर एक को बैठाता तो उधर कुछ खड़े हो जाते। ऐसे ही ऊंटों की उठक-बैठक में मेरी रात खराब हो गई।

लाईफ है तो प्रॉब्लम है, हर प्रॉब्लम का एक सॉल्यूशन है

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बाबा बोल रहे थे, 'देखो, सौ ऊंट मतलब सौ समस्याएं। शाम होते ही आधे ऊंट अपने आप बैठ गए मतलब समय आते ही आधी समस्याएं खुद खत्म हो जाती हैं। कुछ को तुमने प्रयास करके बैठा दिया। मतलब कुछ प्रॉब्लम तुम्हारे कोशिश करने से खत्म हो जाती हैं। इधर तुम कुछ ऊंट को बैठाते उधर कुछ उठ जाते, कभी पेशाब करने तो कभी गोबर करने या कभी ऐसे ही। मतलब तुम कितनी भी कोशिश कर लो कुछ प्रॉब्लम्स तो तुम्हारे जीवन में रहेंगी ही। समझ आया या नहीं?' मैंने कहा, 'जी, मैं समझ गया। मैं बेकार टेंशन ले रहा था अब तक। अपना काम टाइम पर करो। प्रॉब्लम सॉल्व करने की अपनी पूरी कोशिश करो बाकी टाइम पर छोड दो। टेंशन नहीं लेने का। घर का काम और जीवन के दूसरे काम भी उतने ही जरूरी हैं। बेकार टेंशन लेने अपना खून ही जलता है।' अब मुझे उस दिन सुबह की बात याद आ रही थी, चुपचाप दूध लेने चला जाता तो पत्नी की बात नहीं सुननी पड़ती। आखिर बात भी सुननी पड़ी और दूध भी मुझे ही लेने जाना पड़ा। मैंने बाबा के पैर छुए, पत्नी ने भी बाबा को प्रणाम किया और सब कार में बैठ कर घर आ गए। अब मैं ऑफिस का काम टाइम पर कर लेता हूं, घर में भी वाइफ की हेल्प कर लेता हूं। छुट्टी लेकर दोस्ती-रिश्तेदारी, और आउटिंग भी कर लेता हूं। जीवन मस्त पटरी पर है। जब से बाबा के यहां से आया हूं बॉस भी खुश, बीवी भी खुश।

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