-व्यापमं घोटाले के मास्टरमाइंड रमेश शिवहरे ने रेलवे, बैंकों में नौकरी दिलाने के लिए बुन लिया था जाल
-1000 से ज्यादा कैंडिडेट्स से ले चुका है नौकरी दिलाने का ठेका, इस बार अपने गैंग में शामिल किए कई बड़े आईटी इंजीनियर
-कानपुर की कोचिंग मंडी से बनाया सॉल्वरों का बड़ा जाल पूरे देश में फैलाया, सीएमएम कोर्ट ने 7 मई तक ट्रांजिट रिमांड पर भेजा
-आई नेक्स्ट के हाथ लगी खुफिया जानकारी, रमेश एक बार फिर व्यापमं से भी बड़ा घोटाला करने की फिराक में था
KANPUR: सीबीआई और यूपी एसटीएफ की कई टीमों के ज्वाइंट ऑपरेशन में पकड़े गये महोबा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के पति और व्यापमं घोटाले के मुख्य आरोपी रमेश शिवहरे ने बेहद कम उम्र में सरकारी नौकरियों में नकल कराने का सबसे बड़ा जाल बुन लिया था। उसे पकड़ने में सीबीआई जैसी नेशनल एजेंसी को भी तीन साल लग गए। जिस वक्त सीबीआई, यूपी एसटीएफ और मध्य प्रदेश की जांच एजेंसियां उसको पकड़ने के लिए जमीन आसमान एक कर रहे थे। उस समय वह एक और व्यापमं घोटाले को अंजाम देने की तैयारी कर रहा था।
आईटी के एक्सपर्ट्स भी शामिल
आई नेक्स्ट को लगी खुफिया जानकारी के मुताबिक रमेश बैंक, रेलवे समेत कई सरकारी विभागों की नौकरियों में नकल कराने का सबसे बड़ा रैकेट चला रहा था। इस बार रैकेट में उसने आईटी के कई एक्सपर्ट्स को शामिल कर लिया था। इसमें से कई देश के जाने-माने टेक्निकल इंस्टीट्यूट से ताल्लुक रखते हैं। उसके एक करीबी ने नाम न पब्लिश करने की शर्त पर आई नेक्स्ट को बताया कि इस बार उसने करीब एक हजार कैंडिडेट्स को सरकारी नौकरी दिलाने का ठेका ले लिया था। एक क्लर्क ग्रेड की नौकरी के लिए दस लाख की मोटी रकम वसूली गई। इस बार फिर करीब 100 करोड़ का 'खेल' उसने कर लिया था। एग्जाम में कैंडिडेट को पास कराने के लिए पूरा नेटवर्क उसने बना लिया था। उसके रैकेट में शामिल एक शख्स ने पहचान छिपाने की रिक्वेस्ट पर बताया कि विदेश से मंगाई गई चिप के सहारे वो कैंडिडेट्स को एग्जाम में पास करा था। वो चिप एक मशीन से कैंडिडेट के कान में इम्प्लान्ट कर दी जाती थी। जिसके बाद कंट्रोल रूम में बैठा आईटी एक्सपर्ट्स उसको सारे क्वैश्चन का ऑन्सर्स बताता था। इसके अलावा जो प्राइवेट कंपनीज पेपर कराती हैं उनके मुख्य लोगों को इसने खरीद लिया। जिससे कि कम्प्यूटर से पूरी की पूरी हार्ड डिस्क ही गायब करवा दी जाती थी, जिसके बाद उसमें दूसरी हार्ड डिस्क लगाकर अपने कैंडिडेट्स को पास करवा दिया जाता था।
टीम को लग गइर् थी भनक
रमेश के गैंग के एक और व्यापमं की तैयारी की भनक यूपी एसटीएफ को लग गई थी। लेकिन सपा से नाम जुड़ा होना भी एक वजह थी कि इतने साल तक वारंट और कुर्की के आदेश जारी होने के बाद भी वह महंगी एसयूवी में सपा का झंडा व हूटर लगा कर आराम से कल्याणपुर में रहता था। दरअसल रमेश की गिरफ्तारी के बाद अब व्यापमं को लेकर उसकी कहानी जहां खत्म हुई वहीं रेलवे की नौकरियों में उसके फर्जीवाड़े की परते अब खुलेंगी। बुधवार को सीबीआई की ओर से उसे सीएमएम कोर्ट में पेश किया गया जिसके बाद उसकी 3 दिन की ट्रांजिट रिमांड मंजूर कर दी गई।
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रेलवे अधिकारी भी शामिल
रमेश शिवहरे ने रेलवे की नौकरियों में नकल कराने का जो रैकेट शुरू किया जिसमें कुछ रेलवे के अधिकारियों को भी शामिल कर लिया। इसके लिए उनको 50 लाख से एक करोड़ रुपए दिए थे। इतना ही नहीं उसने रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड के कई सॉफ्टवेयर भी अपने कब्जे में ले लिए थे। उसके आईटी की टीम ने कई सरकारी विभागों के डाटा को चुरा लिया है। जिसके बाद प्लानिंग एक और व्यापमं की थी।