संविधान में है नौकरीपेशा महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान

केन्द्र सरकार की ओर से 6 महीने तक मैटरनिटी लीव की सुविधा

BAREILLY:

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश भारत में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा भी सबसे बड़े संविधान की निगरानी में होती है। संविधान ने नागरिकों के मिलने वाले इन अधिकारों में प्रसूताओं का भी ख्याल रखा है। संविधान के अनुच्छेद 42 के तहत कामकाजी महिलाओं को मां बनने पर तमाम अधिकार दिए गए हैं। इस कानून के तहत मां बनने पर कामकाजी महिलाएं मैटरनिटी लीव लेने का अधिकारी रखती हैं। मैटरनिटी लीव के दौरान महिला पर किसी तरह का आरोप लगाकर उसे नौकरी से नहीं निकाला जा सकता। अगर महिला का एम्प्लॉयर इस बेनिफिट से उसे दूर करने की कोशिश करता है तो महिला इसकी शिकायत कर सकती है।

मैटरनिटी लीव पर कानून

पार्लियामेंट ने 1961 में कामकाजी महिलाओं के मां बनने पर मैटरनिटी लीव के बाबत कानून बनाया था। इस कानून के तहत कोई भी महिला यदि सरकारी नौकरी में है या फिर किसी फैक्ट्री व किसी अन्य प्राइवेट संस्था में नौकरी करती है। जिसकी स्थापना इम्प्लॉइज स्टेट इंश्योरेंस एक्ट 1948 के तहत हुई हो, में काम करती है तो उसे मैटरनिटी बेनिफिट मिलेगा। इसके तहत महिला को 12 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलती है। जिसे वह अपनी जरूरत के हिसाब से ले सकती है। इस दौरान महिला को वही सैलरी और भत्ता दिया जाएगा जो उसे आखिरी बार दिया गया था।

अबॉर्शन में भी लीव

यदि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का अबॉर्शन हो जाता है तो भी उसे इस एक्ट का फायदा मिलेगा। इस कानून के तहत यह प्रावधान है कि यदि महिला प्रेग्नेंसी के चलते, समय से पहले बच्चे का जन्म होने पर या फिर मिसकैरिज होने की वजहों से यदि बीमार हो जाती है तो, मेडिकल रिपोर्ट आधार पर उसे एक महीने की एक्स्ट्रा लीव मिल सकती है। इस दौरान भी महिला के तमाम वेतन और भत्ते उसे मिलते रहेंगे। इतना ही नहीं डिलीवरी के 15 महीने बाद तक महिला को ऑफिस में रहने के दौरान दो बार नर्सिग ब्रेक मिलेगा।

730 दिनों की छुट्टी

मैटरनिटी लीव पर केन्द्र सरकार की ओर से भी कामकाजी महिलाओं के लिए राहत दी गई है। केन्द्र सरकार ने सुविधा दी है कि सरकारी महिला कर्मचारी, जो मां हैं या बनने वाली हैं तो उन्हें मैटरनिटी पीरियड में विशेष छूट मिलेगी। इसके तहत महिला कर्मचारियों को 135 दिन की जगह 180 दिन की मैटरनिटी लीव मिलेगी। इसके अलावा वह अपनी पूरी नौकरी के दौरान 730 दिन या करीब 2 साल की छुट्टी ले सकेंगी। यह छुट्टी बच्चे के 18 साल के होने तक वे कभी भी ले सकती हैं। यानी कि बच्चे की बीमारी या पढ़ाई आदि में भी इस लीव की सुविधा ली जा सकती है।

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