-हाईकोर्ट ने सिर्फ दो बच्चों पर दिए जा रहे मातृत्व अवकाश का नियम किया खारिज

नैनीताल: हाईकोर्ट ने दो से अधिक बच्चों के पैदा होने पर मातृत्व लाभ नहीं देने संबंधी प्रावधान को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद अब तीसरे बच्चे पर भी महिला को मातृत्व अवकाश दिया जाएगा। इस फैसले से राज्य की हजारों महिला कार्मिक लाभान्वित होंगी।

याचिका पर सुनवाई

सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) हल्द्वानी में कार्यरत स्टाफ नर्स उर्मिला मैसी ने 2015 में पांच माह के लिए मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया तो विभाग ने यह कहते हुए आवेदन निरस्त कर दिया कि तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश की अनुमति देने का नियम नहीं है। इसके बाद उर्मिला ने याचिका के माध्यम से उत्तर प्रदेश मौलिक नियम-153 को चुनौती दी। इसी नियम को उत्तराखंड सरकार द्वारा स्वीकार किया गया है। इस नियम के तहत दो से अधिक बच्चों वाली महिलाओं को मातृत्व अवकाश से वंचित किया गया है। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ ने शुक्रवार को मामले को सुनने के बाद तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश नहीं देने वाले नियम को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह नियम मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 की धारा-27 के प्रावधान के साथ ही संविधान के अनुच्छेद-42 की भावना के विपरीत है। कोर्ट ने कहा कि जब कोई प्रावधान इस कानून के प्रावधानों से मेल नहीं खाता तो उस स्थिति में अधिनियम के प्रावधानों को तरजीह दी जाएगी। साथ ही कहा कि सरकार के प्रावधान अनुच्छेद-42 की भावना के खिलाफ नहीं होने चाहिए। कोर्ट ने रुकसाना बनाम हरियाणा राज्य एवं अन्य मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले का संदर्भ देते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने इसी तरह पंजाब सिविल सेवा नियम के एक नियम को खारिज कर दिया था, क्योंकि तीसरे बच्चे के होने पर मातृत्व लाभ देने से मना किया गया था। यहां बता दें कि राज्य में करीब डेढ़ लाख सरकारी कार्मिकों में 75 हजार के करीब महिलाएं हैं। विशेषकर स्वास्थ्य विभाग, बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग में महिला कार्मिक अधिक हैं। यह भी उल्लेख किया गया है कि मातृत्व अवकाश रेगुलर कर्मी के साथ ही संविदा,-आउट सोर्स, दैनिक रूप से कार्यरत महिला को देय है।