फिल्म देखकर खुश हैं मैथ्यू

इस फिल्म में अक्षय कुमार का रोल मैथुनी मैथ्यू के जीवन पर आधारित था। जिन्होंने सच में वहां के हालातों को झेला था। फिल्म में कहीं भी मैथ्यू को क्रेडिट नहीं दिया गया है। इसके बावजूद मैथ्यू के बेटे जो उस वक्त उनके साथ थे उनका कहना है कि 'मेरे पापा इस फिल्म में नजर नहीं आए, अक्षय कुमार का भी नाम इस फिल्म में पापा के नाम से अलग रखा गया। फिर भी पापा काफी खुश हैं कि लोग अब उनके बारे में जानते हैं और वहां बसे भारतीयों ने जो झेला इसके बारे में भी लोगों को पता चला'।

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वो जिदंगी-मौत के 59 दिन

मैथुनी मैथ्यू कुवैत के एक बिजनेसमैन थे। उनका नाम टोयोटो सनी भी था क्योंकि वह अल-शायर ग्रुप की मालिकाना कह वाली टोयोटा एजेंसी में एमडी के पद पर कार्यरत थे। कुवैत में जब युद्ध के हालात बने तो सबसे ज्यादा परेशानी भारतीयों को हुई। मैथुनी मैथ्यू चाहते तो बड़े आराम से अपने परिवार के साथ वहां से निकल जाते। लेकिन उन्होंने 1 लाख 70 हजार भारतीयों को वहां से निकालने का जिम्मा उठाया। यह ऑपरेशन करीब 59 दिनों तक चला था और सभी भारतीय सुरक्षित वापस आ गए थे।

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