14 दिसंबर के बाद शुरू हो जाएगी तैयारी
फिलहाल इंस्टीट्यूट मेंं 8 से 14 दिसंबर तक छठवां साइंस कॉन्क्लेव ऑर्गनाइज किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि इसके खत्म होते ही सबकुछ शांत हो जाएगा। तुरंत बाद ही 2014 के कॉन्क्लेव की प्रिपरेशन शुरू हो जाएगी। और यह पहली बार नहीं है। हर साल यही होता है और इसी का रिजल्ट है कि देश का एकमात्र विज्ञान महाकुंभ आईआईआईटी इलाहाबाद द्वारा लगातार ऑर्गनाइज किया जा रहा है।

Feedback से लिया जाता है सबक
किसी भी बड़े इवेंट को सक्सेज बनाना है तो फीडबैक पर वर्क  होना जरूरी होता है। 2008 में पहले कॉन्क्लेव के बाद से ही इंस्टीट्यूट लगातार फीडबैक में मिली गलतियों में तेजी से सुधार किया है। इसी का रीजन है कि साल दर साल क्राउड मैनेजमेंट बढ़ाने में सफलता मिली है। इसके अलावा इवेंट में नए डायमेंशंस भी जोड़े गए हैं। इंस्टीट्यूट ने फीडबैक कलेक्शन के लिए बकायदा एक कमेटी बना रखी है जो इवेंट के पॉजिटिव और निगेटिव रिस्पांस पर वर्क करती है।

बनाए जाते हैं पर्सनल एस्कार्ट
साइंस कॉन्क्लेव के दौरान विश्वभर से आने वाले नोबल साइंटिस्ट्स को हॉस्पिटेलिटी सर्विसेज प्रोवाइड कराना और सिक्योरिटी एक बहुत बड़ा चैलेंज होता है। सबसे ज्यादा मेहनत इसी पर की जाती है। नोबल लॉरिएट्स को शार्टलिस्ट कर उनसे ईमेल के जरिए कांटेक्ट किया जाता है। एक साथ 25 से अधिक साइंटिस्ट्स को इंविटेशन भेजने के बाद इसमें से सात या आठ लाइनअप होते हैं। कन्फर्मेशन होने के बाद वाया फ्लाइट दिल्ली आते ही इनको रिसीव करने के लिए पर्सनल एस्कार्ट भेजा जाता है। जिसका काम इन्हें पूरे एहतियात के साथ इलाहाबाद तक लाना होता है। इस दौरान उनकी जरूरतों का विशेष ध्यान रखा जाता है।

25 committees के कंधों पर होता है दारोमदार

इस मेगा इवेंट को ऑर्गनाइज कराने का जिम्मा इंस्टीट्यूट में बने सेक्रेटेरिएट का होता है। यहां पर कॉन्क्लेव से जुड़ी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाता है। हर साल सितंबर में कुल 25 कमेटियां बनाई जाती हैं। प्रत्येक का अपना वर्क होता है। हर कमेटी में चार से पांच मेंबर्स इनवॉल्व होते हैं। खुद डायरेक्टर पर वीक कमेटी की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब करते हैं। सितंबर से लेकर कॉन्क्लेव स्टार्ट होने तक डायरेक्टर प्रो। एमडी तिवारी और कमेटी मेंबर्स के बीच कम से कम 20 मीटिंग होती हैं। आइए कमेटियों के बारे में भी जानते हैं-

1- रजिस्ट्रेशन कमेटी
2- फूडिंग एंड हॉस्पिटेलिटी कमेटी
3- पैरेलल सेशन कमेटी
4- इंटरेक्टिव आफ्टरनून सेशन कमेटी
5- एकेडमिक प्रोग्राम कमेटी
6- फीडबैक कमेटी
7- वीवीआईपीज एंड जनरल मेन्यू, फूड एंड हॉस्पिटेलिटी कमेटी
8- प्री कॉन्क्लेव इन्फ्रास्ट्रक्चर कमेटी
9- ट्रांसपोर्ट कमेटी
10- नाइट स्काइंग कमेटी
11- कम्युनिकेशन सेंटर कमेटी
12- इंडिकेटर कमेटी
13- हेल्थ केयर कमेटी
14- साइट सीइंग कमेटी
15- फाइनेंस कमेटी
16- ऑडियो लाइट कमेटी
17- रैप अप कमेटी
18- इरेक्शन, डेवलपमेंट ऑफ स्टेज एंड ऑल वेन्यूज फ्राम एकोमेडेशन टू रैप अप कमेटी
19- स्टेज शो एंड कल्चरल कमेटी
20- एकोमेडेशन कमेटी
21- एस्कार्ट कमेटी
22- प्रिंटिंग पब्लिकेशन कमेटी
23- मीडिया कमेटी
24- रिसोर्स सप्लाई चेन कमेटी
25- मे आई हेल्प यू कमेटी

Graduate students देते हैं service
इस बार कॉन्क्लेव में 8 नोबल लॉरिएट्स और 40 फॉरेन साइंटिस्ट्स आए हुए हैं। ये सभी ऑनर्ड गेस्ट्स में आते हैं। इनकी रूम सर्विस से लेकर फूडिंग तक सभी इंतजाम होटल मैनेजमेंट के ग्रेजुएट स्टूडेंट्स करते हैं। बकायदा इसकी जानकारी गेस्ट्स को भी दी जाती है। हर बार की तरह इस बार भी देहरादून स्थित ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के 30 स्टूडेंट्स और तीन फैकल्टी मेंबर्स को हायर किया गया है। इनका काम पल-पल गेस्ट्स की जरूरतों का ख्याल रखना है।

Credit नहीं बल्कि dedication है  must
एक गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट होने के बावजूद आईआईआईटी के स्टाफ, टीचर्स और वालेंटियर्स बिना किसी क्रेडिट की चाहत के पूरे डेडिकेशन के साथ एक वीक तक 24 ऑवर्स वर्क करते हैं। साइंस कॉन्क्लेव के सक्सेज का मूल मंत्र भी यही है। इस बार भी कुल 80 वालंटियर्स बनाए गए हैं। इनको अप्वाइंट करने से पहले इनकी स्क्रूटनी और इंटरव्यू लिए जाते हैं। इसी प्रॉसेस पर सेलेक्शन होता है। वालंटियर्स छोटे से लेकर बड़ा सभी तरह के काम को अंजाम देते हैं।

खाली करा लिए जाते हैं  hostels
साइंस कॉन्क्लेव से ठीक पहले सेमेस्टर हॉलीडेज डिक्लेयर कर दिया जाता है, ताकि हॉस्टल्स खाली हो जाएं। इसके बाद आने वाले पार्टिसिपेंट्स और गेस्ट्स को इनमें ठहराया जाता है। देश और विदेश के पार्टिसिपेंट्स को जहां स्टूडेंट हॉस्टल में रोका जाता है वहीं ऑनर्ड गेस्ट्स को विजिटर हॉस्टल थ्री में ठहराया जाता है। ये ऐसा हॉस्टल है जहां फाइव स्टार होटल की सभी सुविधाएं मौजूद हैं।

Management funda

Health
 इंस्टीट्यूट के अपने हेल्थ सेंटर पर एक दर्जन डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को अपाइंट किया गया है। इसके अलावा एसआरएन और नाजरेथ सहित कुछ हॉस्पिटल्स में बेड रिजर्व किए गए हैंं।

Traveling
नोबल लॉरिएट्स के लिए स्पेशली इनोवा गाड़ी हायर की गई हैं। ओल्ड एज साइंटिस्ट्स के लिए लो फ्लोर व्हीकल रखे गए हैं। ऑनर्ड गेस्ट्स के लिए भी पर्सनल व्हीकल मौजूद हैं। इसके अलावा व्हीकल पूल से भी इमरजेंसी में गाडिय़ा हायर की जा सकती हैं।

Security
 होम मिनिस्ट्री के रिस्ट्रक्शंस के अनुसार सिक्योरिटी के इंतजाम किए गए हैं। पुलिस फोर्स सहित प्राइवेट 40 गार्ड भी हायर किए गए हैं। इनको बकायदा ऑनर्ड गेस्ट्स से पेश आने की ट्रेनिंग भी दी जाती है।

Media centres
 कवरेज के लिए 24 ऑवर्स मीडिया सेंटर बनाया गया है। दिल्ली-मुंबई से आए मीडिया पर्सन्स के लिए वीआईपी इंतजाम किए गए हैं, जिसकी जिम्मेदारी इंस्टीट्यूट के पीआरओ पंकज मिश्रा को सौंपी गई है।

What‘s next
अब तक ऑर्गनाइज हो चुके सिक्स साइंस कॉन्क्लेव में सार्क, आशियान और नेरेबियन कंट्रीज को इनवाइट किया गया है। नेक्स्ट ईयर ये यूरोपियन कंट्रीज को इन्वॉल्व करने की तैयारी की जा रही है, ताकि यूरोपियन पार्टिसिपेंट्स भी यहां आकर नोबल लॉरिएट्स की संगत पा सकें। इसकी तैयारी अभी से शुरू हो गई है।

कहां से आया idea
इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रो। एमडी तिवारी ने ही विज्ञान महाकुंभ की इस अनोखी श्रंृखला की शुरुआत की है। वह बताते हैं कि 1969 में जर्मनी के लिंडाऊ में होने वाले विज्ञान समागम में पार्टिसिपेट करने गए थे। तब से उनके मन में इंडिया में साइंस कान्क्लेव कराने आइडिया था। आईआईआईटी में 2008 से उन्होंने इसकी शुरुआत की जो अभी तक जारी है।

हमारा जो सपना था वह पूरा हो गया। अपने सेशन में खुद नोबल साइंटिस्ट क्रोटो ने साइंस कॉन्क्लेव केा एप्रिशिएट किया और उन्होंने इसका कम्पेरिजन लिडाऊ के विज्ञान समागम से की है। यह उन सभी लोगों के लिए एप्रिशिएशन है जो इस मेगा इवेंट को ऑर्गनाइज करने में दिनरात कड़ी मेहनत करते हैं।
डॉ। अनुरिका वैश्य, मेंबर, कोर कमेटी, साइंस कान्क्लेव