यह मांग मंगलवार को विधान सभा में वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए पेश अनुपूरक बजट में की गई है। सरकार ने 108 अरब से अधिक रुपयों के लिए अनुपूरक बजट पेश किया है। मायावती को मॉल एवेन्यू इलाक़े का यह बंगला वर्ष 1995 से आबंटित है, जब वे पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी।

मायावती जितनी बार मुख्यमंत्री बनीं, उतनी बार 13, मॉल एवेन्यू बंगले में नया निर्माण और विस्तार होता गया और बंगले की चारदीवारी ऊँची होती गई। इस समय बंगले की चारदीवारी लाल क़िले से भी ऊँची है। इसी बंगले के सामने दो-तीन पुराने बंगलों को तोड़कर बहुजन समाज पार्टी का कार्यालय भी बनाया गया है।

साज-सज्जा

इस बार वर्ष 2007 में सरकार बनते ही बगल का गन्ना आयुक्त कार्यालय और पीछे का एक बंगला भी ख़ाली कराकर 13, मॉल एवेन्यू में मिला लिया गया। निर्माण में लगे कर्मचारी बताते रहते हैं कि किस तरह मायावती नए कमरे, किचेन, बाथरूम और तहखाना वगैरह बनवाती हैं और फिर उन्हें तोडकर नए सिरे से बनवाती हैं। बंगले की साज-सज्जा में भी महंगे सामान और उपकरण लगते हैं और फिर बदले जाते हैं।

अनुपूरक अनुदान के पेज नंबर 122 में लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मायावती के बंगले के लिए इस वर्ष आकस्मि निधि से उधार लेकर 20 करोड़ रूपए से अधिक ख़र्च कर दिए हैं। अब आकस्मि निधि में यह धन वापस करने के लिए सरकार विधान सभा से मोहर लगवाना चाहती है। यह भी कहा गया कि इस बंगले में विभिन्न कार्यों के लिए दो करोड़ 37 लाख रुपयों की और आवश्यकता है। विपक्ष के नेता शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि अब तक इस बंगले पर 150 करोड़ रूपए ख़र्च हो चुके हैं। इसके अलावा अनुपूरक बजट में मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कारें और सिग्नल जैमर ख़रीदने के लिए भी 26 करोड़ रुपयों की मांग की गई है।

सुरक्षा

मायावती अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित रहती हैं। उन्होंने सचिवालय एनेक्सी मुख्यमंत्री कार्यालय में जाने के लिए पीछे से एक अलग रास्ता बनवाया है। जब वह शहर में निकलती हैं बड़ी तादाद में पुलिस तैनात होती है। उनके साथ क़रीब दो दर्जन गाड़ियां और एम्बुलेंस वगैरह चलती है। मायावती के प्रिय स्मारकों के निर्माण और रख-रखाव के लिए भी और धनराशि की मांग अनुपूरक बजट में की गई है। इनमें गोमती तट पर निर्माणाधीन 32 करोड रूपए और कांशीराम इको गार्डन के लिए अतिरिक्त 41 करोड़ रूपए की मांग की गई है।

याद दिला दें कि मायावती के प्रिय स्मारकों और मूर्तियों आदि पर कई हज़ार करोड़ रूपए ख़र्च हो चुके हैं। इन स्मारकों के 161 करोड़ रुपयों के कार्पस की व्यवस्था पहले से है। विधान सभा में नेता विरोधी दल शिवपाल सिंह यादव और कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने इन सब कार्यों को फ़िजूलख़र्ची और जनता के पैसे का दुरूपयोग बताया है। लेकिन सबको मालूम है कि मायावती विपक्ष की आलोचनाओं की परवाह नही करती।

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