RANCHI : रांची की मेयर आशा लकड़ा अपने पति राजेंद्र धान की हत्या मामले में गवाही देने से मुकर गई हैं। सोमवार को आशुतोष दूबे की अदालत में सुनवाई के दौरान मेयर ने अपने पति के हत्या में शामिल आरोपियों की पहचान करने से इंकार कर दिया। उन्होंने अदालत को बताया कि जैसे ही पति की हत्या की जानकारी मिली, मैं होश गंवा बैठी। कई दिनों तक बदहवास हालत में थी। ऐसे में उन्हें किसने और क्यों मारा, इसकी कोई जानकारी नहीं है।

एक साल में उजड़ गया था सुहाग

शादी के एक साल बाद ही आशा लकड़ा का सुहाग उजड़ गया था। 25 अप्रैल 2012 को आशा के पति राजेंद्र धान की पीएलएफआई के नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। राजेन्द्र धान मांडर के विधायक रह चुके देवकुमार धान के छोटे भाई थे। पति की हत्या के वक्त आशा लकड़ा भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय मंत्री थीं। लेकिन, इस घटना से वह पूरी तरह टूट चुकी थीं। पति की हत्या के सदमे को वह बर्दाश्त नहीं कर पाई थीं। 15 दिनों तक उनका इलाज हॉस्पिटल में चला था।

नक्सली जेठा कच्छप ने की थी हत्या

मेयर के पति राजेंद्र धान की हत्या पीएलएफआई के एरिया कमांडर जेठा कच्छप ने की थी। चार अगस्त 2014 को तुपुदाना एरिया में मुठभेड़ के दौरान पकड़े जाने के बाद जेठा ने खुद पुलिस के समक्ष इसका खुलासा किया था। उस दौरान जेठा के पास से पुलिस ने दो नाइन एमएम की पिस्टल, देसी कट्टा, गोली, एके 47 रायफल और लेवी के 50 हजार रुपए बरामद किए थे। जेठा के खिलाफ रांची और खूंटी के विभिन्न थानों में 62 से अधिक मामले दर्ज हैं। जेठा को सुप्रीमो दिनेश गोप का दाहिना हाथ माना जाता है। उसपस सरकार ने तीन लाख रुपए का इनाम रखा था।

2012 में हुई थी राजेंद्र धान की हत्या

रांची की मेयर आशा लकड़ा के पति राजेंद्र धान की हत्या 25 अप्रैल 2012 को लापुंग थाना क्षेत्र के छुपाटोली में कर दी गई थी। पीएलएफआई के एरिया कमांडर जेठा कच्छप के गिरोह पर हत्या करने का आरोप लगा था। राजेंद्र धान कांग्रेस से जुड़े थे।