RANCHI उनकी आंखों से नींद गायब है औैर उनके उज्जवल भविष्य पर बदनामी की कालिख पुतने का डर सता रहा है। ये और कोई नहीं, बल्कि रिम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे मुन्ना भाई स्टूडेंट्स हैं। रिम्स के स्टूडेंट्स फिक्रमंद इसलिए हैं, क्योंकि सबसे ज्यादा फर्जी नामांकन होने की निगरानी जांच के दायरे में रिम्स के ही ब्7 स्टूडेंट्स हैं। निगरानी ब्यूरो राज्य के तीन मेडिकल कॉलेजों, रिम्स रांची, एमजीएम जमशेदपुर और पीएमसीएच धनबाद में फर्जी तरीके से हुए एडमिशन की जांच कर रहा है। निगरानी जांच के दायरे में राज्य के तीन मेडिकल कॉलेजों के 9क् स्टूडेंट्स हैं।

सीएम ने दिया जांच का आदेश

राज्य के तीन मेडिकल कॉलेजों में हुए फर्जी एडमिशन की जांच विजिलेंस ख्008 से कर रही है, पर इसमें अब तक बहुत धीमी प्रगति हुई है। फर्जी एडमिशन की विजिलेंस जांच में हुई देरी से नाराजगी जाहिर करते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने तीन सप्ताह में फर्जी एडमिशन की जांच पूरी करने का निर्देश विजिलेंस को दिया है। वहीं निगरानी एसपी विपुल शुक्ला ने बताया कि बिना फाइल देखे इस मामले में कोई कमेंट करना उचित नहीं होगा।

जांच के गुजर गए पांच साल

मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन घोटाले की जांच ख्008 में शुरू हुई थी। ख्008 में ही फर्जी एडमिशन का मामला गर्माया था और उस समय क्08 स्टूडेंट्स दूसरे के नाम पर एग्जाम देते पाए गए थे। ख्008 में शुरू हुई निगरानी की यह जांच पांच साल पूरे होने के बाद छठवें साल में भी अब तक कोई रिजल्ट नहीं दे सकी है। वहीं फर्जी तरीके से एडमिशन पाए कुछ छात्र जहां अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं, वहीं कुछ पूरी करने की प्रक्रिया में हैं। फर्जी एडमिशन की यह प्रक्रिया आगे भी चलाने की कोशिश की गई थी, पर झारखंड कंबाइंड में फोटो के मिलान की प्रक्रिया ने इस पर विराम लगा दिया था।

एग्जामिनी और स्टूडेंट अलग-अलग

एडमिशन घोटाले की जानकारी रखनेवाले एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने पर बताया कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए काफी सुनियोजित तरीके से काम होता था। जिस स्टूडेंट को एडमिशन लेना होता था, वह अपने से मिलते-जुलते चेहरेवाले तेज तर्रार स्टूडेंट की पहचान करता था। इसके बाद वह तेजतर्रार स्टूडेंट एडमिशन चाहनेवाले स्टूडेंट की जगह पर एग्जाम में बैठ जाता था। इस काम में क्0 से क्ख् लाख रुपए तक लिए जाते थे। एग्जाम पास कर जाने के बाद संबंधित स्टूडेंट कॉलेज में जाकर एडमिशन ले लेता था। ख्008 में भी किसी और के नाम पर परीक्षा देने के मामले भी सामने आए थे, जिसके बाद जांच का जिम्मा सरकार ने निगरानी को साैंपा था।

तो जाना पड़ेगा जेल

स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अगर जांच में किसी अधिकारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उसकी नौकरी खत्म हो जाएगी और वह जेल की सलाखों के पीछे जा सकता है। वहीं जो स्टूडेंट्स फर्जी तरीके से एडमिशन लेने में दोषी पाए जाते हैं, उनकी डिग्री तो छीन ही ली जाएगी, उन्हें कॉलेज से भी निकाल दिया जाएगा। कॉलेज से पढ़ाई खत्म कर लेने के बाद की स्थिति में भी उनके साथ यही होगा।

जो उचित होगा वह करुंगा

रिम्स डायरेक्टर डॉ तुलसी महतो ने फर्जी तरीके से रिम्स में एडमिशन लेनेवाले छात्रों की बाबत कहा कि पेपर से ही इसकी जानकारी मिली है और इस संबंध में जो भी उचित होगा, वह करेंगे। साथ ही दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।