पैरेंट्स भी देते हैं एकाउंट बनाने में साथ

मैकेफी की ये रिपोर्ट पैरेंट्स को एक तरह से कठघरे में खड़ा करती है क्योंकि इसके मुताबिक ट्वींस के 95 परसेंट सोशल नेटवर्किंग एकाउंट्स को उनके पैरेंट्स का भी अप्रूवल मिला हुआ है। 46 परसेंट ट्वींस का एकाउंट क्रिएट करने में उनके पैरेंट्स ने हेल्प की है हालांकि 92 परसेंट पैरेंट्स इन सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स पर अपने बच्चों की फ्रेंडलिस्ट में शामिल हैं और उनकी ऑनलाइन एक्टिविटीज पर नजर रखते हैं।

3-4 डिवाइसेज पर इंटरनेट एक्सेस करते हैं ट्वींस

मैकेफी की इस रिपोर्ट के मुताबिक टॅवींस इंटरनेट एक्सेस के लिए करीब 3-4 डिवाइसेज का यूज करते हैं जिनमें मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप और डेस्कटॉप सिस्टम शामिल हैं। 66 परसेंट ट्वींस अपने मोबाइल पर ही इंटरनेट एक्सेस करते हैं। मोबाइल डिवाइसेज यूज करने वाले करीब 77 परसेंट ट्वींस अपनी डिवाइस का यूज इंटरनेट एक्सेस करने के लिए ही करते हैं। रिपोर्ट?के अनुसार, ट्वींस गेमिंग और होमवर्क के दौरान सबसे ज्यादा इंटरनेट का यूज करते हैं।

देर रात तक रहते हैं ऑनलाइन

मैकेफी की इस रिपोर्ट में ट्वींस के ऑनलाइन बिहेवियर का एनालिसिस भी किया गया है। ये रिपोर्ट बताती है कि  ट्वींस डेली करीब डेढ़ घंटे इंटरनेट का यूज करते हैं जिसमें से 67 परसेंट यूसेज सोशल नेटवर्किंग के लिए होता है और बाकी फ्रेंड्स से चैटिंग या ऑनलाइन पिक्चर्स भेजने के लिए। रिपोर्ट के मुताबिक ट्वींस की सबसे पॉप्युलर वेबसाइट 'स्काइप' है जो वीडियो चैटिंग के लिए दुनिया भर में यूज होती है। इस रिपोर्ट?में ये भी जिक्र है कि हर चार में से एक बच्चे का फेसबुक पर एकाउंट है। मैकेफी की ये रिपोर्ट?ट्वींस के देर रात तक जागकर इंटरनेट यूज करने की ओर भी साफ इशारा करती है। इसके मुताबिक करीब 9 परसेंट ट्वींस रात 10 बजे के बाद भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ऑनलाइन रहते हैं।

अंजान लोगों से करते है दोस्ती

ट्वींस अपने सोशल नेटवर्किंग साइट्स स्ट्रेंजर्स से खूब गप्पे लड़ाते हैं। मैकेफी की इस रिपोर्ट में कहा गया है एफबी पर 13 परसेंट ट्वीन यूजर्स अपनी फ्रेंडलिस्ट के सभी लोगों को पर्सनली नहीं जानते हैं। हर पांच में से एक बच्चा किसी न किसी अजनबी से चैट करता है। करीब 39 परसेंट ट्वींस का पासवर्ड आसानी से हैक किया जा सकता है और 7 परसेंट ट्वींस अपनी पर्सनल इंफॉर्मेशन सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर शेयर करते हैं।

ट्वींस होते हैं साइबर बुलीइंग के शिकार

रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 25 परसेंट ट्वींस ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स पर अश्लील और हिंसात्मक कमेंट्स देखे हैं। यहीं नहीं, 76 परसेंट यूजर्स ने साइबर बुलीइंग का शिकार होने के बाद भी इन साइट्स को यूज करना जारी रखा। इस मामले में ट्वींस अपने पैरेंट्स को भी इंवॉल्व नहीं करते हैं। करीब 62 परसेंट ट्वींस ने साइबर बुलीइंग के बारे में अपने पैरेंट्स को नहीं बताया है।

इंटरनेट समय की डिमांड है और बच्चे समय के साथ चल रहे हैं। नेट यूज करने से बच्चों को रोकना नहीं चाहिए बल्कि पैरेंट्स को चाहिए कि इंटरनेट यूज करते समय बच्चों की हेल्दी मॉनिटरिंग करें।

डॉ। धनजंय कुमार, साइकोलॉजिस्ट

बच्चे के करियर के लिए उन्हें इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराई जाती है। पैरेंट्स कभी नहीं चाहते कि सुविधा का बच्चे गलत फायदा उठाएं। सोशल मीडिया पर कई ऐसी चीजें पब्लिश की जाती हैं जिसे देख कर बच्चे भटक जाते है।

गिरजेश मल्ल, पैरेंट्स

बच्चों को तेज चलती जिंदगी में आगे रखने के लिए इंटरनेट सबसे बढिय़ा जरिया है, लेकिन कोई भी अविष्कार जितना फायदा देता है उतना नुकसान भी करता है। इंटरनेट भी कुछ ऐसा ही है। अगर संभल कर यूज किया जाए तो दुनिया भर की जानकारी देता है और गलत तरीके से यूज किया जाए तो बच्चे बिगड़ भी सकते है।

हौसला सिंह, पैरेंट्स  

report by : mayank.srivastava@inext.co.in