GORAKHPUR: दीक्षात समारोह के मुख्य अतिथि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के एडवाइजर डॉ। अजय कुमार थे। उन्होंने बताया कि आज मेडिकल पेश का व्यावसायिक करण हो गया है। दवाएं भी बाजार में अन्य प्रोडक्ट की तरह बिक रही हैं। इसके बाद भी लोगों को इस पेशे से बहुत उम्मीदें हैं। इन सबके बीच यह कड़वा सच है कि इस पेशे कुछ ऐसे लोग भी जो इसे बदनाम कर रहे हैं। लोग डॉक्टर्स को इसलिए नहींजानते कि वह कितना कमाता है, वे उन्हें डॉक्टर की मरीजों के प्रति ईमानादारी से जानते हैं। अल्टीमेटली डॉक्टर तभी संतुष्ट हो सकता है जब उसका मरीज संतुष्ट हो।

हेल्थ और एजुकेशन फील्ड पिछड़ी

इस मौके पर दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी से वीसी प्रो। अशोक कुमार ने आडिटोरियम हॉल में मौजूद सभी आगंतुकों का स्वागत किया। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। केपी कुशवाहा का धन्यवाद देते हुए कहा कि एमडी और एमएस परीक्षा में पैटर्न बदलाव से स्टूडेंट्स को काफी राहत मिली है। वीसी ने चिंता जताते हुए कहा कि आज मेडिकल फील्ड काफी इग्नोर्ड है। सरकार और लोगों का सारा ध्यान कृषि, इंफ्रास्ट्रकचर और मिलिट्री पर है। आज यही वजह है कि आज हेल्थ और एजुकेशन फील्ड पिछड़ गई है। वीसी ने इस मौके पर डॉक्टरों को उनके पेशे की भावना याद दिलाई। उन्होंने कहा कि एक अच्छा डॉक्टर वही है जो मरीजों का दर्द महसूस करें। डॉक्टर्स को गांधीजी की लाइने, वैष्णव जन तो देने कहिए, पीर पराई जाने रे।

इस मौके पर प्राचार्य केपी कुशवाहा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल दिए गए। स्टूडेंट्स को अपनों के सामने मेडल मिलना एक अलग ही अनुभव है। इस मौके पर डॉ। रीना श्रीवास्तव, डॉ.मनोज यादव, डॉ। रीता, डॉ। जमाल, डॉ। वीना, डॉ। राजकुमार, डॉ। शैला, डॉ। बिन्दु, डॉ.शालिनी ने कार्यक्रम को सफल बनाया।