इंफ्रास्ट्रक्चर में कई कमियां नजर आती हैं

 एमजीएम मेडिकल कॉलेज में पीजी की पढ़ाई स्टार्ट होने और सीट्स की संख्या बढऩे का इंतजार कॉलेज मैनेजमेंट और स्टूडेंट्स करते
रह गए, लेकिन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने किसी चीज की इजाजत नहीं दी। कॉलेज मैनेजमेंट द्वारा अप्लीकेशन रिजेक्ट होने की वजह कॉलेज में टीचिंग स्टाफ की कमी बताई जाती है, पर एमसीआई के असेसमेंट रिपोर्ट पर नजर डालें तो कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर में और भी कई कमियां नजर आती हैं।

Operation theatreग में washing room तक नहीं है
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के ऑŽसटेट्रिक्स एंड गाइनिकोलॉजी डिपार्टमेंट के ऑपरेशन थियेटर में ना तो सेपरेट प्रिपरेशन रूम है ना
ही प्रीऑपरेटिव रिकवरी रूम। यहां तक कि ओटी में वाशिंग रूम, नर्सेज रूम, सर्जन एनेस्थेटिस्ट रूम तक मौजूद नहीं है। बात ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट की करें, तो यहां प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर के सभी पोस्ट खाली हैं। इसी तरह एमसीआई के असेसमेंट के दौरान दूसरे डिपार्टमेंट्स में
भी कई तरह कमियां पाई गयीं। एमसीआई ने नवंबर 2013 में कॉलेज का असेसमेंट किया था।

बगैर faculty के दिया course start करने का application
कॉलेज के रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में फैकल्टी नाम की कोई चीज नहीं है, लेकिन कॉलेज की तरफ से एमडी कोर्स स्टार्ट करने
का अप्लीकेशन दिया गया था। डिपार्टमेंट में ना तो एक भी प्रोफेसर है और ना ही एडिशनल प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर। डिपार्टमेंट का असेसमेंट करने वाले असेसर ने इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए डिपार्टमेंट को डिफंक्ट बताया है और कम्प्लीट ओवरहॉल की जरूरत बताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ एक मेडिकल ऑफिसर रेडियोलॉजी में एमडी डिग्री को गाइड कर रहे हैं। इसके साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव एटीट्यूड को भी कैजुअल और पैथेटिक बताया गया है।

MCI ने reject किया था application
कॉलेज द्वारा एमसीआई के पास 15 कोर्सेज में पीजी कोर्स स्टार्ट करने और तीन कोर्सेज में सीट्स की संख्या बढ़ाए जाने का अप्लीकेशन दिया गया था। एमसीआई ने फिजियोलॉजी और फॉर्माकोलॉजी में एमडी कोर्स के लिए सीट बढ़ाने के दिए गए अप्लीकेशन पर कॉलेज से क्लैरिफिकेशन की मांग की थी, वहीं नए कोर्स स्टार्ट करने के लिए दिए गए अप्लीकेशन को असेसमेंट के लिए कंसिडर किया था, लेकिन आखिरकार कॉलेज में कमियों को देखते हुए अप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया गया।

इंफ्रास्ट्रक्चर में जो छोटी-मोटी डिफिसिएंसीज हैंं, उन्हें दूर कर लिया जाएगा।
-डॉ एनएन मिश्रा
प्रिंसिपल, एमजीएम मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर

Report by : abhijit.pandey@inext.co.in