VARANASI

तीन ओलंपिक खेलों में धूम मचाने वाले मो। शाहिद हम लोगों को छोड़ कर इतनी जल्दी खुदा के पास चले जाएंगे, इसकी उम्मीद नहीं थी। मैदान में विरोधी खिलाडि़यों को डॉज देने वाला हमारा दोस्त हमें डॉज देकर चल दिया। इसका अफसोस ताउम्र रहेगा। शाहिद के जनाजा में शामिल हुए उनके साथी खिलाडि़यों ने ऐसे ही शब्दों के साथ अपने पार्टनर को रुखसत किया। इस दौरान अपने भावनाओं को व्यक्त किया।

हमारी जोड़ी से डरते थे विरोधी : जफर इकबाल

पूर्व ओलंपियन जफर इकबाल ने बताया कि शाहिद उम्र में मुझसे छोटा था। मैं पिछले सप्ताह उनसे मिलने मेदांता हास्पिटल गया था, तब उन्होंने कहा था कि ठीक हो जाऊंगा भाई, परेशान मत हो। लेकिन वह चला गया। उन्होंने बताया कि क्980 मास्को ओलंपिक और क्988 लॉस एंजिल्स में हम साथ-साथ तो खेले ही साथ ही कई साल तक इंटरनेशनल खेल में साथ रहे। हमारी जोड़ी से विपक्षी टीम बहुत घबराती थी। शाहिद मैच वाले दिन बहुत चुपचाप रहते थे और मन ही मन मैच का प्लान बनाते थे और मैदान पर सबसे पहले तैयार होकर पहुंचते थे।

मैं भी उन जैसा बनना चाहता था : धनराज पिल्लई

मो। शाहिद को अपना गुरु मानने वाले हॉकी टीम के पूर्व कैप्टन धनराज पिल्लई ने बताया कि शाहिद भाई को मैदान पर खेलता देखकर बहुत अच्छा लगता था। उनकी ड्रिबलिंग और डॉज की कला बेमिसाल थी। शाहिद भाई जूनियर खिलाडि़यों से बहुत प्यार से बात करते थे। मैं पहली बार उनसे दिल्ली में साल क्99क् में मिला और उनकी सादगी देखकर उसी दिन से मैं उनका प्रशंसक बन गया। स्टिक वर्क में उनका कोई सानी नहीं था, मैं भी उन जैसा खिलाड़ी बनना चाहता था लेकिन बन न सका। मेरी सरकार से गुजारिश है कि वह मो। शाहिद के नाम पर शानदार हॉकी टूर्नामेंट करे, जिससे उनका नाम हमेशा जिंदा रहे।

सरकार बड़ा सोच रही है: खेल मंत्री

यूपी सरकार मो। शाहिद के लिए बड़ा काम करेगी। चाहे वह उच्चस्तरीय हॉकी टूर्नामेंट हो या उनके नाम पर स्पो‌र्ट्स कालेज खोले। मो। शाहिद के जनाजा में शामिल होने आए यूपी के खेल मंत्री रामसकल गुर्जर ने कहा कि शाहिद बहुत बड़े खिलाड़ी थे। उनका जाना सिर्फ हॉकी का नहीं देश का नुकसान है। मुख्यमंत्री ने मुझे और खेल निदेशक डॉ। आरपी सिंह को खास तौर पर मेदांता हास्पिटल भेजा था। सरकार ने उन्हें बचाने का हर संभव प्रयास किया। शाहिद के परिवार को और खेलप्रेमियों को विश्वास दिलाता हूं कि जल्द ही मुख्यमंत्री मोहम्मद शाहिद के कद के बराबर कुछ घोषणा करेंगे।

शाहिद के नाम पर हो स्टेडियम का नाम: सुजीत कुमार

हॉकी का ये भगवान फिर नहीं आयेगा, जिसकी कद्र किसी ने न समझी। मो। शाहिद के साथ दस सालों तक खेलने वाले उनके अजीज दोस्त और इंडियन टीम के पूर्व कप्तान सुजीत कुमार ने कहा कि मेरी नजर में वो हॉकी का जादूगर ही था। उस जैसा खिलाड़ी दोबारा नहीं मिलेगा। ये दुर्भाग्य है कि इतना बड़ा प्लेयर जिसका उसके राज्य की सरकार ने ही ध्यान नहीं रखा। अगर सरकार कुछ कर सकती है तो इतना कर दे कि मो। लालपुर में बने एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम को शाहिद के नाम पर उसके नाम पर कर दें। उनका कहना है कि उनके जैसा खिलाड़ी का यूपी में पैदा होना ही दुर्भाग्य है। क्योंकि इस स्टेट में इतने बड़े टैलेंट की कद्र नहीं हुई और वो यू ही जाया हो गया। उनके अनुभव से आज के युवा हॉकी प्लेयर को कुछ नहीं मिला।

शानदार दोस्त : अशोक कुमार

मैदान में वो जैसा खेलते थे उसी तहर वह दोस्ती में भी बेमिसाल थे। उनके जैसा दोस्त मिलना भी मुश्किल है। जितने अच्छे खिलाड़ी उतने बढि़या इंसान, यह कहना है हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के बेटे पूर्व ओलंपियन अशोक कुमार का। उन्होंने बताया कि एक बात हो तो बताई जा सके। गाना गाने और शायरी सुनाने में माहिर शाहिद के बिना पार्टी पूरी ही नहीं होती। मैदान में जिस तरह से वह ड्रिबलिंग कर बॉल को लेकर आगे बढ़ते थे, वह देखने लायक होता था।