आई एक्सक्लूसिव

-शासन ने एमडीए को दिया सात करोड़ का कंपाउंडिंग टारगेट

-वीसी ने कसें पेंच, टारगेट से पिछड़ा तो होगी कार्रवाई

Meerut। अवैध निर्माण को लेकर एमडीए भले ही सॉफ्ट कॉर्नर रखता हो, लेकिन शासन ने इस पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। यही वजह है कि समस्त प्राधिकरणों में मेरठ विकास प्राधिकरण को फाइनेंशियत ईयर के लिए सात करोड़ राजस्व वसूली का लक्ष्य मिला है। वहीं शासन द्वारा निर्धारित टारगेट को हिट करने में प्राधिकरण के पीसने छूट रहे हैं।

चारों जोन में बटा लक्ष्य

एमडीए वीसी योगेन्द्र यादव ने प्रवर्तन खंड के चारों जोनल अफसरों की बैठक बुलाकर 15 मार्च तक टारगेट पूरा करने के सख्त निर्देश दिए हैं। यही नहीं किसी भी जोन में टारगेट पूरा न होने पर कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है। उधर, एक माह के भीतर मेजर टारगेट पूरा करने में प्राधिकरण अफसरों के पसीने छूट रहे हैं।

वसूलना होगा कपाउंडिंग शुल्क

दरअसल, एमडीए की अधिकांश आय कंपाउंडिंग शुल्क पर निर्भर करती है। यह आय बिल्ड़र द्वारा स्वीकृत नक्शे के विपरीत कराए गए निर्माण को नियमित करने के लिए वसूली जाती है। लेकिन प्राधिकरण प्रवर्तन विभाग के इंजीनियर्स की शह पर बिल्ड़र अंधाधुंध अवैध निर्माण में जुटे रहते हैं। ऐसे में ये निर्माणकर्ता बजाए प्राधिकरण में कंपाउंडिंग शुल्क जमा करने के क्षेत्र के इंजीनियर्स को एप्रोच कर उनको ऑब्लाइज कर देते हैं, जिससे प्राधिकरण को आय को फटका लगता रहता है।

545 से भी अधिक निर्माण

शहर में इस समय 2500 से भी अधिक अवैध इमारतें खड़ी हैं। जबकि खुद एमडीए के रिकॉर्ड में इनकी संख्या 545 से अधिक है। ऐसे में सात करोड़ रुपए कंपाउंडिंग शुल्क जमा करना प्राधिकरण के लिए मुश्किल काम नहीं है, लेकिन निर्माणकर्ताओं से पहले ही सेवाएं प्राप्त कर चुके प्राधिकरण अफसर अब कंपाउंडिंग शुल्क के पेंच में बुरी तरह फंस चुके हैं।

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चालू वित्तीय वर्ष के लिए सात करोड़ कंपाउंडिंक शुल्क जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। यह राशि चारों जोन में बांटी गई है। निर्धारित लक्ष्य न लाने वाले अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी।

-अजीत त्यागी, एक्सीएन एमडीए