Meerut: दमा के जिन मरीजों का सही उपचार नहीं होता है, उनमें दमा के आक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है और अक्सर उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ जाती है। छाती व दमा रोग विशेषज्ञ डॉ। वीरोत्तम तोमर और शिशु रोग विशेष डॉ। राजीव प्रकाश ने ये बातें सोमवार को सिपला द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि यदि दमा के उपचार में आवश्यक दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए तो दमा को नियंत्रित करने की कीमत में काफी कमी लाई जा सकती है। डॉ। वीरोत्तम तोमर ने कहा भारत में दमा को लेकर जागरूकता का घोर अभाव है और इसे शुरुआती चरण में पता लगाना आसान नहीं होता है। देश के फ्0 मिलियन दमा रोगियों में से अधिकांश इसे जानते नहीं है और उनके रोग का ठीक से पता नहीं चल पाया है। डॉ। वीरोत्तम तोमर ने कहा कि दमा का शुरुआती चरण में पता लगाना बहुत जरूरी है, इससे फेफडे़ की स्थिति को नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है।