दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में जब पुलिस डिपार्टमेंट की वेटलिफ्टर सोनिया चानू ने इंडिया के लिए सिल्वर मेडल जीता तो प्रदेश में ही नहीं देश भर में खुशी की लहर दौड़ गई। जय हो जय हो के नारों से प्रदेश की राजधानी भी गूंज उठी। पुलिस विभाग के अधिकारियों ने उसे मेडल लाने की खुशी में प्रमोशन देने का फैसला लिया। सोनिया तो अगले मिशन की तैयारी मे लग गई लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट ने अभी तक उसका प्रमोशन नहीं किया जबकि सोनिया फिजिकली भी बिल्कुल फिट हैं.
अभी file चल रही है
इसी तरह से इंटरनेशनल रेसलर अनुज चौधरी ने भी मेडल हासिल किया तो उन्हें भी प्रमोशन का आश्वासन मिला। उन्होंने बताया कि फाइल चल रही है। ये कहानी सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती। कबड्डी के जसमेर और जूडोका राम आसरे का भी प्रमोशन नहीं हो पा रहा है। कभी नियमों की दुहाई दी जाती है तो कभी अप्रूवल ना मिलने का रोना रोया जाता है। इसी तरह यूपी पुलिस की फुटबाल टीम के कई प्लेयर्स प्रमोशन के लिए कोर्ट पहुंच चुके हैं।
दिन रात जुटे रहे practice में
किसी की तमन्ना सब इंस्पेक्टर बनने की है तो कोई सीओ बनना चाहता है। इसके लिए सालों साल स्टेडियम में पसीना बहाया। दिन रात एक कर दिया। घर परिवार से दूर रह कर सिर्फ अपने गेम की प्रैक्टिस में जुटे रहे। वक्त पडऩे पर पुलिस डिपार्टमेंट के लिए प्रदर्शन किया और उसका नाम कामयाबी के आसमान पर लिख दिया लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट की ओर से इन खिलाडिय़ों को प्रमोशन का सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिला। सरकारी फाइलों को चलाकर इनके ईनाम पर मुहर लगा दी गई लेकिन इन्हे प्रमोशन आज तक नहीं मिल सका.
पहुंच हो तो बात बने
उत्तर प्रदेश पुलिस कंट्रोल बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि यहां पर तमाम फुटबालर्स प्रमोशन की मांग को लेकर कोर्ट मूव कर गए हैं। यूपी पुलिस की फुटबाल टीम ने 2009 में नागालैंड में सीआरपीएफ को हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता और प्रमोशन की हकदार बनी। लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट ने इनकी ओर से आंखें फेर रखी हैं। इसके चलते कई खिलाडिय़ों ने कोर्ट का रुख कर लिया। तमाम खिलाडिय़ों ने बताया कि सिर्फ उन्हीं खिलाडिय़ों की सुनवाई होती है जिनकी पहुंच हो। कई बार तो खिलाड़ी प्रमोशन की चाहत लिए रिटायर हो जाते हैं।
मुझे नहीं मालूम
प्रादेशिक क्रीड़ाधिकारी पुलिस जगराज सिंह ने बताया कि लगभग 20 खिलाडिय़ों की सूची शासन में अप्रूवल के लिए भेजी गई है। जब वहां से अप्रूवल आ जाएगा तभी मैं आगे कुछ कह सकता हूं। इनमें कौन-कौन से खिलाड़ी शामिल हैं, यह मुझे नहीं मालूम है. 


विभागीय कार्यों में समय लग जाता है। इसी कारण मामले में देरी हो सकती है। साल के अंत में ही सभी खिलाडिय़ों की सूची तैयार अप्रूवल के लिए भेजी जाती है। कोर्ट जाने वाले खिलाडिय़ों के बारे में मुझे कुछ भी नहीं मालूम है। जो खिलाड़ी प्रमोशन की लिस्ट में शामिल होंगे, उन्हे जरूर आगे बढ़ाया जाएगा। नियम से बाहर कुछ भी नहीं हो सकता। पिछले एक-दो सालों का मामला ही लंबित हो सकता है, लेकिन उससे पहले का कोई भी मामला नहीं बाकी है।
भावेश कुमार (आईपीएस)
सचिव
उत्तर प्रदेश पुलिस स्पोट्र्स कंट्रोल बोर्ड