RANCHI: रिम्स में पीपीपी मोड पर पैथोलॉजी टेस्ट कर रही मेडाल द्वारा एकबार फिर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। इसमें मेडाल ने पहले मरीज का टेस्ट कैश लेकर कर दिया। इसके बाद जब मरीज ने अलाउ फ्री कराया तो पहले वाले टेस्ट का भी चार्ज जोड़कर रिम्स प्रबंधन को भुगतान के लिए बिल दे दिया। ऐसे में एजेंसी ने एक ही टेस्ट के लिए एक बार मरीज से और दोबारा रिम्स प्रबंधन से पैसा लेने के लिए बिल दिया है। इसका खुलासा तब हुआ जब मेडिकल आफिसर ने रजिस्ट्रेशन पर्ची पर सिग्नेचर के दौरान गड़बड़ी पकड़ी। इसके बाद मेडाल के अधिकारी को फटकार लगाते हुए जांच का आदेश दिया गया है। वहीं, पिछले दो महीने की रिपोर्ट मांगी गई है। बताते चलें कि मेडाल इससे पहले भी मरीजों के नाम पर फर्जीवाड़ा कर चुका है।

क्या है मामला

मेडिसीन ओपीडी में इलाज के लिए आई इंद्रमणि कच्छप को डॉक्टर ने कुछ टेस्ट कराने के लिए कहा। इसके बाद वह टेस्ट कराने के लिए अपना लाल कार्ड लेकर मेडाल गई। लेकिन वहां पर स्टाफ ने उसका टेस्ट करने के लिए कैश काउंटर में पैसे लेकर पर्ची काट दी और फिर सैंपल ले लिया। टेस्ट की रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने उन्हें दोबारा से कुछ टेस्ट लिखा। ऐसे में वह साइन कराने के लिए एमओ के पास पहुंची और फ्री टेस्ट के लिए मुहर लगवाई। इसके बाद मेडाल में उसका टेस्ट कर दिया गया और पहले किए गए टेस्ट का भी चार्ज जोड़कर रिम्स प्रबंधन के पास बिल जमा करा दिया।

लाल-पीला कार्ड वालों का फ्री टेस्ट

हॉस्पिटल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों में लाल और पीला कार्ड धारी का इलाज से लेकर जांच सब फ्री है। इसका फायदा मरीज रिम्स के अलावा मेडाल और हेल्थमैप में भी उठा सकते हैं। इसके लिए केवल डिप्टी सुपरिंटेंडेंट या मेडिकल आफिसर से अलाउ फ्री कराना होता है। वहीं इमरजेंसी में टेस्ट कराने के बाद भी पर्ची पर साइन कराने का प्रावधान है, ताकि किसी भी परिस्थिति में मरीज का इलाज प्रभावित न हो।

पिछले साल भी रोक दिया गया था पेमेंट

मरीजों को सुविधा देने के लिए राज्य सरकार ने पीपीपी मोड पर पैथोलॉजी टेस्ट का काम मेडाल एजेंसी को दिया था। ऐसे में पिछले साल भी मरीजों का टेस्ट करते-करते एजेंसी ने बिल में फर्जीवाड़ा कर दिया। इसके बाद भी एजेंसी की मनमानी नहीं रुकी तो डिप्टी सुपरिंटेंडेंट का फर्जी मुहर बनाकर मरीजों की जांच करनी शुरू कर दी। जिसका बिल रिम्स प्रबंधन को दिया जाने लगा। चूंकि मरीजों की फ्री जांच करने पर उसका पेमेंट सरकार कर रही थी। ऐसे में तत्कालीन डीएस डॉ। वसुंधरा ने गड़बड़ी पकड़ी और एजेंसी का पेमेंट रोक दिया। इसके बाद एजेंसी के पेमेंट का जिम्मा रिम्स प्रबंधन को दे दिया गया।

वर्जन

एजेंसी द्वारा गड़बड़ी करने का मामला सामने आया है। ऐसे में दो महीने से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। वहीं मरीजों के बिल में से रैंडम निकालकर चेक किया जा रहा है कि बिल ठीक है या उसमें गड़बड़ी की गई है। कुछ बिल में संदेह भी है जिसकी जांच कराई जा रही है। चूंकि अब पेमेंट का जिम्मा रिम्स प्रबंधन को दिया गया है तो हमलोग जांच के बाद ही एजेंसी को पेमेंट का भुगतान करेंगे।

-डॉ। विवेक कश्यप, सुपरिंटेंडेंट, रिम्स