i reality check

-सीएमओ ऑफिस में घंटों की कवायद के बाद बन पा रहा मेडिकल सर्टिफिकेट

-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जाना किस तरह परेशानी उठा रहे लोग

vineet.tiwari@inext.co.in

ALLAHABAD: मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन का दौर चल रहा है। इसमें तमाम डॉक्यूमेंट्स के साथ मेडिकल सर्टिफिकेट्स की भी जरूरत पड़ती है। अलग-अलग जॉब वैकेंसीज में भी इसकी जरूरत पड़ती है। लेकिन मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना इतना आसान नहीं है। मंगलवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने सीएमओ ऑफिस में अभ्यर्थियों बात कर जाना कि मेडिकल सर्टिफिकेट के चक्कर में कितना घनचक्कर होना पड़ रहा है

केस-1

यहां पर हमारी मुलाकात हुई बघाड़ा से आए कुंदन से। कुंदन को बीएड काउंसिलिंग के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करना है। अकेले रहकर परीक्षा की तैयारी करने वाले कुंदन सुबह से सीएमओ ऑफिस में लाइन लगाए खड़े हैं। काफी देर के बाद उन्हें टोकन मिला। लेकिन सर्टिफिकेट का चक्कर यहीं नहीं खत्म हो जाता। इसके बाद इन्हें फिर से बेली हॉस्पिटल जांच कराने जाना है।

केस-2

हंडिया से आए राघवेन्द्र शर्मा ने अपना दर्द बयां किया। राघवेन्द्र ने पहले बेली हॉस्पिटल में पर्चा बनवाया और फिर सीएमओ आफिस में लाइन लगाकर टोकन का इंतजार कर रहे थे। इसके बाद जांच कराने बेली जाना और और वापस फिर यहीं आना है। राघवेन्द्र का कहना था कि अगर यह सिस्टम एक जगह हो तो इतना परेशान नहीं होना पड़ेगा।

केस-3

धूमनगंज से आए दीपक खुद को खुशनसीब समझ रहे थे कि चार घंटे की कवायद के बाद आखिर उनका मेडिकल सर्टिफिकेट बन गया। उन्होंने बताया कि कई जगह दौड़ लगानी पड़ी। जिसके पास जाओ वह अगले काउंटर पर भेज देता है। इससे थोड़े वक्त में होने वाले काम में भी अच्छा खासा समय लग जाता है।

केस-4

झलवा से आए शिवम को डीएलएड में लगाना है मेडिकल सर्टिफिकेट। वह पिछले दो दिन से दौड़भाग कर रहे हैं। एक दिन पहले भी आए थे, लेकिन तब भीड़ अधिक होने से सर्टिफिकेट नहीं बन पाया। इसके चक्कर में आज फिर आना पड़ा है। सुबह से लाइन में लगे हैं लेकिन नंबर नहीं आया। अब निराश होकर वापस जा रहे हैं।

कई एग्जाम्स में जरूरी

वर्तमान में बीएड, बीटीसी, पालीटेक्निक, बीटेक समेत तमाम कोर्सेज में एडमिशन की कवायद चल रही है। इसके चलते रोजाना हजारों की संख्या में मेडिकल सर्टिफिकेट की डिमांड हो रही है।

इतना लंबा है प्रॉसेस

पूर्व में बेली हॉस्पिटल में एक रुपए का पर्चा बनवाने के बाद कैंपस में ही मेडिकल सर्टिफिकेट बन जाता था।

-अभ्यर्थियों को पहले बेली में पर्चा बनवाना पड़ता है।

-इसके बाद 200 मीटर दूर जाकर सीएमओ ऑफिस में लाइन लगाकर टोकन लेना पड़ता है।

-इसके बाद उन्हें आंख, बीपी, ब्लड आदि जांच के लिए वापस बेली हॉस्पिटल जाना पड़ता है।

-जांच की रिपोर्ट मिलने के बाद फिर से सीएमओ ऑफिस में लाइन में लगकर सर्टिफिकेट लेना पड़ता है।

कॉल्विन में बन रहा है

काल्विन हॉस्पिटल में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवा रहे हैं। लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा है कि यह हॉस्पिटल भी नाकाफी साबित हो रहा है। इसीलिए बेली में मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने की मांग चल रही है।