साथ ही इस टंकी से यह भी आस थी कि आसपास की करीब 30 हजार की आबादी को भी पानी की सप्लाई मिलेगी। टंकी को बनाने में उस वक्त लाखों रुपये की लागत आई। बावजूद इसके वाटर वक्र्स से चार किलोमीटर दूर इस टंकी में 40 साल बाद भी पानी की एक बंूद नहीं पहुंची। अब कॉलेज  एडमिनिस्टे्रशन ने टंकी को तोड़कर यहां पर पार्किंग बनाने की प्लानिंग की है।

डॉक्यूमेंट तक नहीं रखा

एसएन मेडिकल कॉलेज में 40 साल पहले आई डिपार्टमेंट के सामने टंकी को बनवाया था। मकसद था कि सभी वाड्र्स और आसपास के एरिया में पानी की कमी दूर करना। मगर, अब तक टंकी में वाटर सप्लाई शुरू नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं, कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन के पास टंकी से जुड़ा कोई डॉक्यूमेंट भी नहीं है।

कंप्लेन, फिर भी एक्शन नहीं

टंकी में पानी की सप्लाई को सुचारू करने के लिए कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने जल संस्थान को कई बार लिखित में कंप्लेन की। बावजूद इसके जल संस्थान के अधिकारी चुप्पी साधे रहे। नतीजतन टंकी में पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी।

अब बनेगी पार्किंग

कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन अब बेकार जगह घेरे खड़ी टंकी को तोड़कर वहां पर ओपीडी के लिए पार्किंग बनाने की प्लानिंग कर रहा है। सोर्सेज की मानें तो ईयर 2008 में टंकी को कंडम डिक्लेयर करने के लिए लैटर भी लिखा जा चुका है।

हर साल लाखों का पेमेंट

कॉलेज हर साल जल संस्थान को 60 लाख रुपए वाटर सप्लाई को सुचारू रखने के लिए डिपोजिट करता है। बावजूद इसके यहां पर पानी की प्रॉपर सप्लाई नहीं होती है.  पेशेंट्स को पानी के लिए परिसर में भटकना पड़ता है।

लाखों को मिल सकता है पानी

गौरतलब है कि पूरे शहर में मार्निंग और ईवनिंग में होने वाली पानी की सप्लाई करीब 200 एमएलडी की होती है। इस हिसाब से करीब 50 एमएलडी की इस टंकी से एक टाइम में करीब ढाई लाख लोगों को पानी की सप्लाई की जा सकती है.