- एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने मेडिकल स्टूडेंट्स की फीस बढ़ाने का फरमान लिया वापस

- स्टूडेंट्स का आंदोलन जारी, विधेयक वापस पर लिखित आश्वासन दे सरकार

DEHRADUN: स्टूडेंट्स और पैरेंट्स के चौतरफा विरोध के बाद एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने मेडिकल स्टूडेंट्स की फीस बढ़ाने का फरमान वापस ले लिया है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के मामले में हस्तक्षेप के बाद एसजीआरआर प्रबंधन ने यह फैसला लिया। इधर, कॉलेज के गेट पर धरना दे रहे स्टूडेंट्स ने कॉलेज के नोटिस जारी करने के बाद भी आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। स्टूडेंट्स ने राज्य सरकार से निजी कॉलेजों को दिए गए फीस बढ़ाने के अधिकार को वापस लेने की लिखित मांग की है।

स्टूडेंट्स का विरोध जारी

एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज द्वारा एमबीबीएस और एमडी-एमएस की फीस में 400 फीसदी तक बढ़ोतरी की गई थी। इसके बाद मेडिकल स्टूडेंट्स ने वेडनसडे से कक्षाओं का बहिष्कार कर कॉलेज गेट पर अनिश्चिकालीन धरना शुरू कर दिया था। फ्राइडे को एसजीआरआर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो। पिताम्बर प्रसाद ध्यानी ने मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा जारी आदेश को सुनाया। आदेश में कहा गया है कि 2016-17 बैच से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर फीस की समीक्षा व निर्धारण का आदेश दिया है। इसी तरह वर्ष 2017-18 बैच की फीस से जुड़ा मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है। ऐसे में एमबीबीएस व एमडी-एमएस की फीस के संबंध में पूर्व में जारी आदेश वापस ले लिया गया है। कुलपति ने छात्रों से अपील की कि वह हड़ताल खत्म कर दें। लेकिन स्टूडेंट्स ने इस मामले में राज्य सरकार से लिखित आश्वासन मिलने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही।

नहीं चलेगी मनमानी

सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बयान जारी कर बताया कि प्रदेश के निजी मेडिकल संस्थानों से हुई वार्ता के बाद उनके द्वारा फीस वृद्धि का निर्णय वापस ले लिया गया है। सीएम ने कहा कि निजी मेडिकल संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा पूर्व में उनसे मिलकर अवगत कराया गया था कि उन्हें संस्थानों की अवस्थापना सुविधाओं आदि के विकास के लिये बड़ी धनराशि व्यय करनी पड़ती है। इसके लिये उनके द्वारा मेडिकल छात्रों की फीस में वृद्धि का अनुरोध किया गया था। सीएम ने कहा कि मेडिकल संस्थानों द्वारा फीस में कई गुना वृद्धि किये जाने तथा कई अविभावकों द्वारा भी उन्हें फीस वृद्धि के संबंध में अवगत कराये जाने पर मेडिकल छात्रों के हित में संस्थानों को फीस वृद्धि वापस लेने को निर्देशित किया गया। जिस पर उनके द्वारा फीस वृद्धि वापस लेने का निर्णय लिया गया है। सीएम ने कहा कि प्रदेश में किसी को भी मनमानी नहीं करने दी जायेगी यदि कोई मनमानी करेगा तो उसके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज के छात्रों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जायेगा।

हरीश रावत पहुंचे स्टूडेंट्स के बीच

मेडिकल स्टूडेंट्स के विरोध को समर्थन देने फ्राइडे को पूर्व सीएम हरीश रावत भी पहुंचे। हरीश रावत ने सरकार से विधेयक को वापस लेने की मांग की। हरीश रावत ने कहा कि उनकी सरकार ने कॉलेजों की मनमानी को रोकने और मेडिकल को बिजनेस न बनाने के लिए एक कमेटी बनाई थी। जिसे वर्तमान सरकार ने बदल दिया। और प्राइवेट कॉलेजों को मनमानी करने के लिए छूट दे दी। उन्होंने कहा कि एक करोड़ में डॉक्टर बनने की चाह आम आदमी नहीं रख सकता है। उन्होंने दावा किया कि अगर इतनी फीस बढ़ाई गई तो उत्तराखंड से एक भी बच्चा डॉक्टर नहीं बन सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि जब कोई एक करोड़ फीस देकर डॉक्टर बनेगा तो वह इलाज की फीस कितनी लेगा आप अंदाजा लगा सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि बुखार जैसी बिमारियों के लिए भी हजारों रुपए खर्च करने पड़ेंगे।

अभिभावकों की राज्यपाल से गुहार

राज्य सरकार द्वारा बजट सत्र में पारित विधेयक में निजी विश्वविद्यालयों को फीस निर्धारण का अधिकार देने के बाद प्रदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई सपना बन कर न रह जाए इसको लेकर अभिभावक संघ ने अब राज्यपाल से भी गुहार लगाई है। अभिभावक संघ ने राज्यपाल को पत्र भेजकर इससे संबंधित विधेयक लौटाने का आग्रह किया है। निजी मेडिकल विश्वविद्यालय संयुक्त अभिभावक संघ के मुख्य संरक्षक रविंद्र जुगरान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व दिशा-निर्देश के विपरीत सरकार ने प्रवेश व शुल्क निर्धारण विनियम अध्यादेश-2006 को समाप्त कर संशोधित बिल पास कर दिया है। इसी का दुष्परिणाम है कि एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज ने चार गुना फीस बढ़ा दी। ऐसे में अब राज्यपाल को पत्र भेज उनसे बिल लौटाने का आग्रह किया गया है।

अभिभावकों की शिकायत पर मैंने मेडिकल कॉलेजों से फीस बढ़ाने का निर्णय वापस लेने को कहा है। जिसके बाद फीस बढ़ाने का फैसला वापस ले लिया गया है। प्रदेश में किसी की भी मनमानी नहीं चलने दी जाएगी।

त्रिवेंद्र सिंह रावत, सीएम