एनएमसी लागू होने के बाद प्राइवेट कॉलेजों में होगा 60 फीसदी मैनेजमेंट कोटा
allahabad@inext.co.inALLAHABAD: हर साल गिनती के स्टूडेंट ही होते हैं जिनको सरकारी मेडिकल कॉलेजेस में एमबीबीएस करने का मौका मिलता है। बाकी को बेहतर रैंक होने के बावजूद प्राइवेट कॉलेजों में दस्तक देनी पड़ती है। यह वह स्टूडेंट होते हैं जिनके पैरेंट्स मोटी रकम खर्च कर उन्हें एमबीबीएस की डिग्री दिला सकते हैं, लेकिन एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) बिल लागू होने के बाद यह आसान नहीं होगा। वजह, गवर्नमेंट प्राइवेट कॉलेजों का कोटा चार गुना तक बढ़ा देगी। इसके बाद डॉक्टर बनने का सपना अधिक मुश्किल हो जाएगा।

कोटा बढ़ा तो बढ़ जाएगी फीस
सरकार ने एनएमसी बिल लागू करने का फैसला किया है। इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। इसी क्रम में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटे की सीटें बढ़ाकर 60 फीसदी करने का निर्णय लिया गया है। जबकि इस समय यह कोटा 15 फीसदी ही है। इस तरह निजी मेडिकल कॉलेज मनमाने ढंग से फीस वसूलेंगे।

कहां से लाएंगे इतने पैसे
यूपी में इस समय 14 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और 25 प्राइवेट डेंटल कॉलेज संचालित हो रहे हैं। इनमें एमबीबीएस की फीस हर साल 10 से 11 लाख रुपए निर्धारित है। वही डेंटल की फीस भी पर इयर 8 से 9 लाख रुपए रखी गई है। जिनको सरकारी कॉलेज में सीट नहीं मिलती, उन्हें मैनेमजेंट कोटे से महंगी सीट लेनी पड़ती है। वहीं जब एनएमसी के तहत 60 फीसदी कोटा हो जाएगा तो एमबीबीएस की फीस भरना बेहद मुश्किल हो जाएगा।

वर्जन

सरकार मेडिकल शिक्षा में मैनेजमेंट कोटा बढ़ाकर गरीब बच्चों से एमबीबीएस करने का सपना छीन रही है। इसका विरोध किया जा रहा है। इतना महंगी शिक्षा गिनती के लोग ही ले पाएंगे।

-डॉ। अशोक अग्रवाल, उपाध्यक्ष, आइएमए

 

अभी भी बहुत से बच्चे प्राइवेट कॉलेजों में अधिक फीस के चलते एडमिशन नहीं ले पाते हैं। वह कई बार सरकारी कॉलेजों के लिए ट्राई करते हैं। एनएमएसी लागू होने के बाद उनका क्या होगा?

-डॉ। अनिल शुक्ला, अध्यक्ष, एएमए

 

प्राइवेट कॉलेजों का मैनेजमेंट कोटा बढ़ाया जाना वाकई सरकार का गलत कदम है। इसका आईएमए विरोध कर रहा है। उम्मीद है सरकार आम जनता की मांगों पर विचार करेगी।

-डॉ। आशुतोष गुप्ता, साइंटिफिक सचिव, एएमए