- इंटर्नशिप के लिए भटक रहे हैं मेडिकल कॉलेज स्टूडेंट

- सभी को नहीं मिलता है स्टाइपेंड, दूसरे जिले में जाने को मजबूर

<- इंटर्नशिप के लिए भटक रहे हैं मेडिकल कॉलेज स्टूडेंट

- सभी को नहीं मिलता है स्टाइपेंड, दूसरे जिले में जाने को मजबूर

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: प्लीज मेरी इंटर्नशिप करा दीजिए। अगर सीट नहीं मिली तो एमबीबीएस कंप्लीट कैसे होगा? एमएलएन मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट आजकल ऐसे ही हालात से गुजर रहे हैं। डिग्री पूरी करने के लिए उन्हें एक साल इंटर्नशिप की जरूरत है। अगर सीट मिल रही है तो स्टाइपेंड नहीं मिल रहा है। ऐसे में वह परेशान हैं। कभी नेता तो कभी टीचर्स का सोर्स लगा रहे हैं। बावजूद इसके सफलता नहीं मिल रही है। ऐसे में कहां जाएं और क्या करें, यह बहुत बड़ा सवाल है।

केवल भ्क् को ही मिलेगा स्टाइपेंड

एमबीबीएस स्टूडेंट्स को अपने साढ़े पांच साल के कोर्स में एक साल इंटर्नशिप करनी जरूरी होती है। एमएलएन मेडिकल कॉलेज में क्00 सीटें हैं और इनमें से केवल भ्क् को ही रैंक के आधार पर स्टाइपेंड मिलता है। बाकी ब्9 को फ्री में काम करना होगा। ऐसे में सवाल उठता है कि शहर के दूसरे गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स की सीटों में कैसे दाखिला लेकर इंटर्नशिप की जाए। बता दें कि गवर्नमेंट की ओर से एक साल की इंटर्नशिप के लिए साढ़े सात हजार रुपए पर मंथ स्टाइपेंड देने की व्यवस्था की गई है।

यहां पर हैं गिनती की सीटें

शहर के दूसरे गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में भी गिनती की ही पेमेंट सीटे हैं। इनमें से बेली हॉस्पिटल में पांच और काल्विन हॉस्पिटल में आठ शामिल हैं। कुल मिलाकर तेरह सीटे हैं और इनमें से कुछ भर चुकी है। बेली सीएमएस डॉ। सुरेश द्विवेदी कहते हैं कि हमारे यहां फ‌र्स्ट कम, फ‌र्स्ट सर्व का फंडा चलता है। जिसने पहले आवेदन कर दिया उसे सीट एलॉट कर दी जाती है। इसी तरह कॉल्विन एसआईसी डॉ। एआर सिंह कहते हैं हमारे यहां इंटर्नशिप करने वाले स्टूडेंट्स को बिना काम एनओसी नहीं दी जाती है। इसके अलावा दोनों हॉस्पिटल्स में ख्ख् सीटें नॉन पेमेंट की हैं, जिनमें प्राइवेट कॉलेजों के स्टूडेंट्स को दाखिला दिया जाता है।

नेताजी की सिफारिश के लिए लगी लाइन

पेमेंट सीट पर दाखिला हो जाए, इसके लिए स्टूडेंट्स राजनीतिक दलों के नेताओं के यहां चक्कर काट रहे हैं। उनकी एक सिफारिश से स्टूडेंट्स को अपना काम बनता नजर आ रहा है। ये स्टूडेंट्स केवल एमएलएन मेडिकल कॉलेज के ही नहीं हैं। इनमें वह भी शामिल हैं जो शहर के हैं लेकिन दूसरे जिलों के कॉलेज में एडमिशन लेकर एमबीबीएस कर रहे हैं। वह अपनी इंटर्नशिप यहीं से करना चाहते हैं। कुल मिलाकर एक अनार और सौ बीमार वाली स्थिति बनी हुई है। कोई स्टूडेंट बिना स्टाइपेंट लिए इंटर्नशिप करने को तैयार नहीं है।

नहीं करना चाहते क्लीनिकल प्रैक्टिस

एमएलएन मेडिकल कॉलेज के टीचर्स बताते हैं कि बाकी बचे हुए ब्9 स्टूडेंट में से कुछ तो बिना स्टाइपेंड के इंटर्नशिप करने को तैयार हो जाते हैं लेकिन कुछ क्लीनिकल प्रैक्टिस से बचने के लिए कहीं और चले जाते हैं। इनमें से कई तो पोस्ट ग्रेजुएशन इंट्रेंस क्वालिफाई करने के लिए कहीं और नॉन पेमेंट सीट पर दाखिला लेकर एग्जाम की तैयारी करते हैं। फिलहाल इस समय हॉस्पिटल्स की पेमेंट सीट पर दाखिला लेने के लिए एमबीबीएस स्टूडेंट्स जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। इनमें से कुछ को कामयाबी मिल चुकी है तो कुछ अभी भी कतार में हैं।