इसे मेडिकल साइंस का चमत्कार ही कहा जाएगा। जी हां, हाल ही में सिटी के महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में एडमिट क्रांती देवी का केस दून के सबसे क्रिटिकल केसेज में से एक साबित हुआ है, जिन्हें हाईपरपारा थायरॉयडिस्म ने तोड़ कर रख दिया था। दून के प्राइवेट क्लीनिक से लेकर दूसरे राज्यों में लाखों रुपए गवांने के बाद अब जाकर उन्हें अपने ही शहर में सस्ता और असरदार इलाज मिला है।

लगा, अंतिम समय आ गया

क्रांती देवी बताती हैं कि आज भी हाथों का वो दर्द याद है जो महज कंघी घुमाने पर ही महसूस होने लगता था। हड्डियों का ये मामूली दर्द कुछ ही दिनों में पैरालाइसिस में तब्दील हो गया और चलती-फिरती क्रांती देवी तीन साल के लिए बिस्तर पर जा पहुंची। क्रांती ने बताया कि सिटी के प्राइवेट हॉस्पिटल्स से लेकर दिल्ली, लखनऊ, चंडीगढ़ तक के हॉस्पिटल्स में लाखों रुपए गवांने के बाद भी मुझे कोई आराम महसूस नहीं हुआ तो मुझे लगा कि मेरा आखिरी वक्त आ गया है। चिंता सताने लगी कि मेरे बाद बच्चों का क्या होगा।

खुद ही टूट रही थी हड्डियां

अंत में महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में एडमिट हुई, जहां एंडोक्रॉइनोलॉजिस्ट डॉ। नीलकमल ने क्रांती देवी के केस को क्रिटिकल स्टेज करार दिया। उन्होंने बताया कि हाईपरपारा थायरॉयडिस्म एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की पसलियां और हड्डियां टूटने लगती हैं। इस केस में बॉडी में ब्लड और कैल्शियम की मात्रा बढ़ गई थी। नतीजतन पेशेंट की किडनी और पैनक्रियाज में स्टोन बनने शुरू हो गए। बीमारी कुछ इस कदर बढ़ी कि हड्डियों को हल्का सा भी दबाने पर वह खुद-ब-खुद टूटने लगतीं। यहां तक कि पेशेंट के पैरों की हल्की सी भी मालिश करने पर हड्डियों से कडक़ड़ाने की आवाजें लगतीं।

परफेक्ट रिकवरी

डॉ। नील कमल का कहना है कि आमतौर पर हाईपरपारा थायरॉयडिस्म का ऑपरेशन क्रिटिकल ही होता है। ऑपरेशन सक्सेफुल होने के बाद भी कुछ दिनों तक पेशेंट की परफेक्ट रिकवरी की कोई गारंटी नहीं होती। डॉक्टर बतातते हैं कि मुझे अभी भी याद है कि बेड पर इस 40 वर्षीय पेशेंट का वजन महज 25 किलो ही रह गया था, लेकिन सक्सेफुल ऑपरेशन के साथ ही महज 6 महीनों में क्रांती देवी 60 किलो वेट के साथ एक स्वस्थ स्वास्थ के साथ नॉरमल लाइफ से जुड़ गई.   

क्या है Hyperparathyroidism?

डॉ। नीलकमल का कहना है कि हाईपरपारा थायरॉयडिस्म बहुत ही रेयर डिजीज है, जो आम तौर पर सुनने में नहीं आती है। विदेशों में इस बीमारी के पेशेंट जीरो की गिनती में हैं, लेकिन हमारे देश में कुछ जगहों पर हॉईपरपारा थायरॉयडिस्म के पेशेंट्स देखने को मिलते हैं। दून में ये तीसरा केस डिटेक्ट किया गया है, लेकिन इस बीमारी का ऑपरेशन सिटी में पहली बार किया गया है।