क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ:सिटी की दवा दुकानों में खुलेआम जहर बिक रहा है. जिंदगी बचाने वाली दवाओं के साथ युवाओं को नशे में धुत्त करने वाली दवाइयां भी बिक रही हैं और जो अधिकारी इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहते हैं उन्हें रुपया, रसूख और धमकियों से डराया धमकाया तक जाता है. पंजाब में इन नशीली दवाओं के खिलाफ एक्शन लेते हुए दवा दुकान को सील करने वाली ड्रग इंस्पेक्टर नेहा सूरी की हत्या के बाद रांची के दवा व्यवसाय में भी जैसे भूचाल आ गया है. जहां एक तरफ दवा दुकानों में ताबड़तोड़ जांच शुरू हो गई है वहीं दूसरी तरफ ड्रग्स की जांच करने वाले अधिकारी भी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. इनपर कंट्रोल करने के लिए राज्य सरकार ने कई तरह के प्रावधान लागू किए हुए हैं, लेकिन इनका पालन नहीं किया जा रहा है. खुलेआम युवाओं को चंद रुपए के लालच में दवा दुकानों से नीले-पीले रंग की दवाइयां बेची जा रही हैं, जिनके असर से सेवन करने वाले लड़के घंटों नशे में धुत्त रहते हैं. इस नशे में रहने के दौरान वे लोग बड़े से बड़ा अपराध कर रहे हैं.

बिना प्रेसक्रिप्शन नहीं बेचनी है दवाएं

दरअसल, नींद के लिए प्रयुक्त होने वाली इन दवाओं का इस्तेमाल ही नशेड़ी लोग नशे के लिए करते हैं. स्वास्थ्य विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि इस तरह की दवाओं को बिना डाक्टर के प्रेसक्रिप्शन नहीं बेचा जाए, लेकिन कुछ दवा दुकानों के संचालकों द्वारा इस नियम का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है.

दवा रिकार्ड के साथ प्रेसक्रिप्शन जरूरी

नियमानुसार इस तरह की दवाई की बिक्री के बाद स्टॉक रिकार्ड के साथ प्रेसक्रिप्शन देना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा. राज्य भर में करीब 17 हजार दुकानें हैं जबकि मात्र 30 ड्रग कंट्रोलर हैं, सिटी में केवल 6 ड्रग कंट्रोलर हैं, जिसका लाभ इस तरह के दवा दुकानदारों को अनैतिक कार्य करने के लिए मिल रहा है.

इन दवाओं के इस्तेमाल में सावधानी

नींद की दवाइयों में शुमार सभी दवाओं के सेवन से जबरदस्त नशा हो जाता है. इनमें प्रमुख रूप से एन-10, एलप्रेक्स, ट्राइका, स्पैशमो प्रोक्सिवैन, एलजोलम, सीजेड पैम, कारेक्स, फैंसी डील समेत कोडीन केमिकल मिला हुआ किसी भी तरह की सिरप नशा का माध्यम हो सकता है.

.....

केस -1

युवक को महंगी पड़ी नींद की दवा

कांके रोड में रहने वाले आर्टिस्ट रौशन खलखो को रात में नींद नहीं आती थी. दिनभर के स्ट्रेस से बचने और रात में जल्दी सोने के लिए रौशन ने नींद की दवाईयां लेनी शुरू कर दीं. धीरे धीरे उसे इन दवाओं की ऐसी लत लगी कि अब वह 24 घंटे नशे में धुत्त रहने लगा. हालात खराब हो गए जिसके बाद परिजन उसे लेकर कांके मानसिक आरोग्यशाला गए, जहां उसका ईलाज किया जा रहा है. वह परिजनों के साथ तो है पर प्रतिदिन दवाइयों के सहारे ही उसकी जिंदगी बची है.

केस 2

नशे की लत ने मॉडल को पहुंचाया हॉस्पिटल

हरमू की जागृति (बदला हुआ नाम) को माडलिंग में करियर तलाशना था. वह काफी शो में भी पार्टसिपेट कर चुकी है. इसी दौरान साथियों के साथ पहले शराब-सिगरेट, फिर मैरिजुआना की लत लगी. धीरे धीरे करियर के चढ़ाव में तकलीफें शुरू हुईं, जिसके बाद 24 घंटे नशे की जरूरत पड़ने लगी. परिजनों को आशंका हुई तो घर में ही रहने को बाध्य किया गया. घर में पड़ी मां-बाप की नींद की दवाइयों पर हाथ डाला और उसकी ऐसी आदत लगी कि छोड़े नहीं छूट रही. इलाजरत है.

...

वर्जन

इस तरह के केस में पुलिस का रोल तभी होता है, जब स्वास्थ्य विभाग की तरफ से शिकायत मिले या पीडि़त व्यक्ति संबंधित फर्म के खिलाफ शिकायत करे. वैसे पुलिस लगातार इन दवा दुकान वालों की बैठक कर इन्हें चेतावनी देती है कि इस तरह बिना प्रेसक्रिप्शन की दवाइयां नहीं बेचे.

अनीश गुप्ता, एसएसपी, रांची

स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर अभियान चलाकर ऐसे मामलों में धरपकड़ की जाती है. इसके अलावा यदि कहीं से शिकायत मिलती है तो उसपर भी कड़ी कार्रवाई की जाती है. हमारी अपील है कि लोग भी जागरूक हों और इस तरह के मामलों की जानकारी विभाग को दें.

ऋतु सहाय, ड्रग कंट्रोलर