-अब बीमारी के दौरान जेल में ही होगा कैदियों का इलाज

-सीएमओ के नेतृत्व में गठित होगी मेडिकल टीम

-हर 15 दिन पर जेल में करेंगे कैंप, इमरजेंसी में 24 घंटे इलाज

GORAKHPUR: जेलों में बंद कैदी अब गंभीर बीमारी का बहाना बनाकर जेल की चहारदीवारी से बाहर नहीं आ सकेंगे। शासन ने अब जेल में ही बंदियों की जांच और गंभीर बीमारियों के इलाज की व्यवस्था कराने का निर्देश दिया है। सभी जिलों के सीएमओ ने सरकारी अस्पतालों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम भी तैयार करनी शुरू कर दी है। डॉक्टरों की टीम जेलों में जाकर हर पखवारे बंदी व कैदी का इलाज करेगी। साथ ही जेल अस्पतालों में भी सुविधाएं बढ़ाई जाएगी।

जिला अस्पताल व बीआरडी जाते हैं कैदी

अब तक जेलों में गंभीर बीमारी से पीडि़त बंदियों/कैदियों को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल भेजा जाता था। गोरखपुर जेल के बंदियों का इलाज जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में कराया जाता है। आपात स्थिति में जेल अस्पताल के ही डॉक्टर जेल में जाकर उनका इलाज करते हैं। लिहाजा कई बीमारियों का इलाज नहीं हो पाता था और बंदियों को जिला अस्पताल से लेकर मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में जेल प्रशासन को बंदियों को दूसरे अस्पतालों में भर्ती कराने के बाद उनकी सुरक्षा को लेकर काफी दिक्कतें आती थी। बंदी इलाज के बहाने बड़े अस्पतालों में जाकर मनचाही गतिविधियां न कर सके इसीलिए शासन ने जिलों के सीएमओ को डॉक्टरों की ऐसी टीम तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जिनमें सभी बीमारियों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।

हर 15 दिन पर पहुंचेगी टीम

डॉक्टरों की यह टीम पखवारे में एक बार जेल में पहुंचकर बंदियों का चिकित्सीय परीक्षण करेगी और वहीं उनका इलाज करेगी। सीएमओ ने डॉक्टरों की टीम गठित करने के लिए विशेषज्ञों का चयन करना शुरू कर दिया है। टीम में सभी रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ ही गायकोनोलॉजिस्ट भी होंगी। जेल में निरुद्ध महिला बंदियों का इलाज भी बाकी बंदियों की तर्ज पर करवाया जाएगा।

1800 कैदियों के इलाज में आती है दिक्कत

जेलों में ही बंदियों का इलाज कराने का फैसला सुरक्षा की दृष्टि से भी काफी अहम होगा। जिला जेल की हाई सिक्योरिटी सेल में जहां दर्जनों बड़े अपराधी बंद हैं, वहीं कई बैरकों में डकैतों से लेकर शातिर बदमाश व करीब 1800 अन्य बंदी भी सलाखों के पीछे हैं। बीमार होने की स्थिति में जेल प्रशासन को इन बंदियों को अस्पताल पहुंचाने व लाने में काफी कसरत करनी पड़ती है। इसके लिए सुरक्षा के भी कड़े बंदोबस्त करने पड़ते हैं। कई बार बंदी लचर सुरक्षा व्यवस्था का फायदा उठाकर भाग जाते हैं। यही नहीं पेशी पर आने या इलाज कराने अस्पताल पहुंचने पर ही शातिर बंदी आपराधिक षडयंत्र भी तैयार करते हैं।

माफिया भी नहीं बना सकेंगे बहाना

गोरखपुर जेल में इस समय पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी व उनकी पत्नी मधु मणि त्रिपाठी भी बंद हैं। इससे पहले अमरमणि बीमारी का बहाना कर लंबे समय तक मेडिकल कॉलेज में भर्ती भी रह चुके हैं। हालांकि बाद में शासन के निर्देश पर गठित मेडिकल टीम ने उन्हें फिट दिखाकर वापस जेल भेज दिया था। लेकिन यह सिलसिला अन्य कई कैदियों व माफिया का भी रहा है। ऐसे में जेलों में बंदियों की गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सीएमओ की ओर से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम गठित करने का शासनादेश जेल प्रशासन को मिला है। उसे सीएमओ को भेज दिया गया है।