खतरनाक: पीएमसीएच में यूज की हुई सुई और दवा की शीशी तक को यूं ही फेंक दिया जाता है

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PATNA: एक व्यक्ति अपने परिवार से बहुत प्यार करता था। वह हर मामले में वफादार था। जिंदगी खुशहाल थी लेकिन अचानक तबियत खराब हुई और जब जांच कराया तो रिपोर्ट में एचआईवी पॉजिटिव आया। परिवार वालों के तो होश ही उड़ गए जब ये पता चला कि पति-पत्नी के साथ एक बच्चा भी इस बीमारी का शिकार है। चूक कहां हुई ये तो नहीं पता चल सका लेकिन खामियाजा पूरे परिवार को भुगतना पड़ा। मौत से पहले पति ने आशंका जताई थी एक बार बुखार लगने पर गांव के एक झोलाछाप डॉक्टर ने इंजेक्शन दिया था। उसके बाद से शरीर में कई तरह की दिक्कतें शुरू हो गई थी। ये कहानी हम आपको इसलिए बता रहे हैं ताकि आप भी सावधान हो जाएं। पटना के अस्पतालों में मेडिकल वेस्ट को लेकर बरती जा रही लापरवाही कभी भी किसी को एचआईवी से लेकर हेपेटाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी दे सकती है। पटनाइटस को अलर्ट करने और अस्पतालों की लापरवाही पर अंकुश लगाने को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट मेडिकल वेस्ट पर बड़ा कैंपेन चलाने जा रहा है। हम अपनी इस मुहिम के तहत हर दिन किसी न किसी अस्पताल को स्कैन करेंगे जहां मेडिकल स्टोर को लेकर लापरवाही की जा रही है। पहली कड़ी में हम पटना मेडिकल कॉलेज की लापरवाही आपके सामने ला रहे हैं।

मुश्किल में होती है जान

पटना मेडिकल कॉलेज में मेडिकल वेस्ट को लेकर बड़ी लापरवाही है। यहां कोई भी ऐसा वार्ड नहीं है जहां मेडिकल वेस्ट से मरीजों को बचाने में प्रयास किया जा रहा हो। इमरजेंसी से लेकर वार्डो में हर जगह मेडिकल वेस्ट पड़े रहते हैं। आप पैदल चल रहे हैं और ध्यान नहीं दिया तो आपके पैर में मेडिकल वेस्ट का कोई न कोई कांटा चुभ सकता है। यहां नियम है कि मेडिकल वेस्ट को जमा किया जाए। इसके लिए डस्टबीन भी रखी गई है। इसके बाद भी यहां नियम का पालन नहीं होता है। मेडिकल वेस्ट इधर उधर पड़े रहते हैं इसमें इंजेक्शन की निडिल भी शामिल है जो काफी खतरनाक है।

मनमानी से बढ़ी परेशानी

यहां इनवायरमेंट केयर एंड सल्यूसन सर्विसेस को मेडिकल वेस्ट कलेक्ट कर नष्ट करने का जिम्मा है। अस्पताल में चार कन्टेनर का नियम बना है। अलग-अलग कलर में अलग-अलग प्रकार के मेडिकल वेस्ट डालने होते हैं लेकिन यहां कचरा मिक्स कर दिया जाता है और सफाई नहीं होने से वह इधर-उधर बिखर जाता है।

इंसीनेटर में भी हो रही लापरवाही

इंसीनेटर में भी बड़ी लापरवाही होती है। यहां हर तरह के कचरे को मिक्स करके लाया जाता है और फिर यहां कर्मचारी अलग अलग चुनकर सामान अलग करते हैं। सामानों को अलग करने वाले भी पूरी तरह से सावधान नहीं होते हैं। पैर में सूता नहीं और हाथ में बिना ग्लबस के ही सामान इधर उधर रखते हैं। कर्मचारियों के मुंह पर भी सुरक्षा को लेकर कोई मास्क नहीं होता है। इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सुरक्षा को लेकर बड़ी चूक हो रही है। पटना मेडिकल कॉलेज में जगह जगह मेडिकल वेस्ट पड़े होते हैं जो कभी भी किसी को परेशान कर सकते हैं।

एक नजर में जान लें नियम

लाल कंटेनर में

1. बेकार वैक्सीन और औसधियां

2. काटन, पट्टी प्लास्टर

3. दूषित प्लास्टिक

4. ड्रेसिंग मैटेरियल

5. प्लास्टिक बोतल

6. दस्ताने खून व यूरिन की थैली

पीला कंटेनर

1. मानव शरीर के कटे हुए अंग

2. प्लेसेंटा इत्यादि

3. प्रयोगशाला जांच हेतु मानव उत्तक नमूना

4. रक्त से दूषित कपड़े पट्टियां व अन्य वस्तु

नीला कंटेनर

1. चुभने वाले व धारदार सामान

2. सूई, सिरींज, स्केल्पेन

3. ब्लेड, शीशा और औजार

4. आईबी सेट कैथिटर

5. कन्यूला, राईल्स टयूब इत्यादि

काला कंटेनर

1. साधारण अपशिष्ट

2. गत्ते और धातु के डिब्बे

3. असंक्रमित प्लास्टिक

4. डिस्पोजेबल कप प्लेट गिलास बोतल आदि

5. औषधियों के रेपर, कवर एवं अन्य वस्तुएं