-जीएसटी लागू होने के बाद दवा व्यापारी नही दे रहे छूट

-10 से 15 परसेंट छूट न मिलने से मरीजों को महंगी पड़ रही दवाएं

<-जीएसटी लागू होने के बाद दवा व्यापारी नही दे रहे छूट

-क्0 से क्भ् परसेंट छूट न मिलने से मरीजों को महंगी पड़ रही दवाएं

BAREILLY BAREILLY

दवाओं पर डिस्काउंट अब पुरानी बात हो गई है। क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद दवा व्यापारी टैक्स में हेराफेरी नहीं कर पा रहे है। लिहाजा, अधिक मनमानी एमआरपी मरीजों को छूट देना बंद कर दिया है। ऐसे में, मरीजों को भी क्0 से क्भ् परसेंट महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।

ख्0 लाख से अधिक की सेल पर टैक्स

मेडिकल स्टोर ओनर्स को ख्0 लाख से अधिक की सेल पर टैक्स देने का प्रावधान है। जीएसटी से पहले शॉप के नाम से दवाएं परचेज कर लेते थे, जिससे सेल में हेरफेरी कर टैक्स का गोलमाल कर देते थे। टैक्स चोरी के एक हिस्से से व्यापारी मरीजों को दवा की खरीद पर क्0 से क्भ् परसेंट डिस्काउंट दिया करते थे। जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों को जीएसटीएन से ही माल खरीदना पड़ेगा। ऐसे में, वह सेल में हेराफेरी नहीं कर सकेंगे। लिहाजा, उन्होंने डिस्काउंट देना बंद कर दिया।

पहले अधिकतम क्ख् परसेंट टैक्स

अभी तक दवाओं और इलाज में प्रयोग होने वाले उपकरणों पर सिर्फ भ् से 9 प्रतिशत तक ही टैक्स लग रहा था। जीएसटी लगने के बाद बढ़कर क्ख् प्रतिशत से ख्8 प्रतिशत तक हो गया है। एमआरपी पहले से ही बहुत ज्यादा होने की वजह से दवा कंपनियों ने इसमें कोई इजाफा नहीं किया। ऊपर से दवा टैक्स की पाई-पाई का हिसाब देना होगा।

पहले मेडिकल पर दवा लेने जाते थे तो बिना कुछ कहे ही स्टोर वाला क्0 प्रतिशत तक का डिस्काउंट दे देता था। लेकिन अब मेडिकल वाले डिस्काउंट देने से साफ मना कर रहे हैं।

सचिन सूर्यवंशी

जीएसटी लगने के बाद से मेडिकल स्टोर्स ने सभी दवाओं पर डिस्काउंट बंद कर दिया है। ऐसे में हमें अब एमआरपी पर दवा खरीदनी पड़ रही है। अब इलाज कराना और भी महंगा हो गया है।

नितिन शर्मा

जीएसटी लगने के बाद दवाओं के एमआरपी पर कंपनियों ने कोई बदलाव नहीं किया है। ऐसे में, दवा विक्रेताओं का मार्जिन घट गया है। दवाओं की खरीद में व्यापारियों को अपनी मंथली सेल फिगर को देखना पड़ रहा है। इसलिए सभी विक्रेताओं ने डिस्काउंट देना बंद कर दिया है।

दिनेश मेहता, पूर्व अध्यक्ष, बरेली फार्मा एसोशिएशन