नंबर गेम

- 15 दिनों से कंपनियों ने सप्लाई पूरी तरह से रोकी

- 07 दिन का समय अभी और लग सकता है

- 65 फीसद दवाओं के रेट में कमी के आसार

- 20 करोड़ का कारोबार होता है लखनऊ में

- मार्केट में दवाओं की होने लगी किल्लत

- पिछले एक माह से दवाओं की सप्लाई कंपनियों ने रोकी

- घाटा होने के डर से नहीं मंगाई दवाएं

- कंपनियों ने भी दो हफ्ते से पूरी तरह रोकी सप्लाई

LUCKNOW:

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के साइड इफेक्ट अब दिखने लगे हैं। जीएसटी के चलते राजधानी की थोक मार्केट में पिछले दो हफ्ते से दवाएं ही नहीं आई हैं। जिसका सीधा असर पर रिटेलर्स पर दिखने लगेगा। इसका मेन कारण है कि दवा कंपनियों ने जीएसटी के कारण पिछले 15 दिनों से सप्लाई पूरी तरह से रोक रखी है। नई सप्लाई आने में अभी भी लगभग एक हफ्ते का समय लग सकता है।

बिहार और उत्तराखंड तक सप्लाई

यूपी केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार लखनऊ से रोजाना का 20 करोड़ से अधिक का मार्केट है। यहां से दवाएं पूरे यूपी सहित गोरखपुर बिहार, उत्तराखंड और अन्य कई राज्यों तक जाती हैं, लेकिन पिछले दो हफ्ते से राजधानी में थोक मार्केट से सप्लाई 70 परसेंट तक कम हो गई है। रिटेलर भी कीमतों को लेकर डरे हुए हैं और कंपनियां भी सप्लाई नहीं कर रही हैं। यूपी केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता सुरेश कुमार ने बताया कि कि फार्मा कंपनियों ने जीएसटी को लेकर दवा सप्लाई रोक रखी है। दुकानदार भी नुकसान होने के डर से दवाएं नहीं मंगा रहे थे। जिसके कारण बहुत सी दवाओं का स्टाक दुकानों में खत्म हो गया है।

इन कंपनियों की सप्लाई में संकट

दवा कंपनियों के सॉफ्टवेयर में बदलाव के चलते सप्लाई रोकी गई। इनमें ग्लैक्सो, एबट, नोवार्टिस, सन सहित अन्य मल्टी नेशनल कंपनियों की दवाएं पिछले लगभग 15 दिनों से न के बराबर आई हैं।

अब तक नहीं आई लिस्ट

केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन लखनऊ के प्रवक्ता विकास रस्तोगी ने बताया कि अब तक कंपनियों की ओर से दवाओं की कोई प्राइस लिस्ट नहीं आई है। इसके कारण भी दवा व्यापारियों में संशय बना हुआ है। दवा व्यापारी डिसाइड नहीं कर पा रहे हैं कि किस रेट पर दवा दें। कोई दिक्कत तो नहीं होगी जैसे सवाल भी परेशान किए हैं।

सस्ती हो सकती हैं दवाएं

व्यापारियों की मानें तो यूपी टैक्स कम होगा। क्योंकि जीएसटी की दर 12 परसेंट तक है, लेकिन इसका फायदा मरीजों को कितना मिलेगा यह समय ही बताएगा। अभी भी कंपनियां कई गुना अधिक दामों पर दवाएं बेचती हैं। उन्हें अब टैक्स अधिक देना पड़े या कम, मरीजों को फायदा तभी मिलेगा जब वह रेट कम करेंगी। हालंाकि इंसुलिन सहित कुछ अन्य जरूरी दवाओं के रेट कम करना अब कंपनियों की मजबूरी होगी।

कॉस्मेटिक प्रोडक्ट होंगे सबसे महंगे

खूबसूरती बढ़ाने वाली कॉस्टमेटिक क्रीम जीएसटी के कारण महंगी हो जाएंगी। क्योंकि इन पर टैक्स की दर दोगुनी तक बढ़ेगी। सरकार ने कॉस्मेटिक क्रीम पर जीएसटी 28 परसेंट तय की है।

तो पुराने माल की करेंगी भरपाई

दवा कंपनियों ने स्टॉकिस्ट और होल सेलर्स को आश्वासन दिया गया है कि पुराने माल पर लगने वाले जीएसटी का वे खुद भरपाई करेंगी। कुछ दवाओं पर जीएसटी की दर कम हुई है तो ज्यादातर पर टैक्स अधिक देना पड़ेगा। अधिक टैक्स का भुगतान अब इन होलसेलर्स को ही करना होगा।

साफ्टवेयर है बदलना

केमिस्ट्स के अनुसार दवा कंपनियों ने पहले ही बता दिया था कि 24 जून के बाद से सप्लाई बंद कर दी जाएगी। क्योकि कंपनियों के साफ्टवेयर में नए टैक्स के हिसाब से बदलाव करना है। साथ ही दवा भी आगे नए एमआरपी पर आएगी। जिसके कारण सप्लाई रोकनी थी। लेकिन कंपनियों ने इससे काफी पहले से ही दवा सप्लाई पूरी तरह से बंद कर दी। कुछ कंपनियां ऑर्डर के विपरीत 24 तक काफी कम दवाएं भेज रही थी। सूत्रों के अनुसार कंपनियों ने जून महीने से पहले बनी पुराने स्टाक की दवाएं ही सप्लाई की। उसके बाद दवाओं की खेप अब तक नहीं भेजी गई।

कम होंगे रेट्स

नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) के अधिकारियों के अनुसार 65 फीसद जरूरी दवाओं की कीमतें कम हो सकती हैं। यदि कोई दवा अब तक 100 रुपए की थी तो अब वह कम होकर 95.96 रुपए के आस पास होगी।

कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स पर -- 12 से बढ़कर अब 28 फीसद

बेबी फूड प्रोडक्ट्स और सप्लीमेंट्स--12 परसेंट से बढ़कर अब 18 परसेंट जीएसटी

जीवन रक्षक दवाओं पर अब 5 परसेंट जीएसटी (डायबिटीज, हार्ट, मलेरिया, टीबी सहित अन्य की दवाएं)

अन्य सामान्य दवाओं पर जीएसटी- 12 परसेंट