-मेडिकल कॉलेज में दो बार पकड़ी गई डंप की गई दवाएं

-हाल ही में ट्रामा सेंटर के जूनियर रेजीडेंट कक्ष में बैग मे मिली थी दवाएं

- पकड़ी गई दवाओं का नहीं खुला राज

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में महत्वपूर्ण दवाइयों से नॉट फार सेल गायब हो चुका है। इन दवाओं को इंडेंट के जरिए मरीज के नाम पर लिए जा रहे हैं, लेकिन इस पर किसी भी जिम्मेदार की नजर नहीं पड़ रही है। हाल में ट्रामा सेंटर के जूनियर रेजीडेंट कक्ष में दवाइयों से भरा बैग मिलने पर अफसरों के होश उड़ गए थे। सूत्रों की मानें तो पड़ताल में ज्यादातर दवाइयों पर नॉट फार सेल ही नहीं अंकित था। आलम यह है कि ड्रग स्टोर से इन दवाइयों को निकाल कर उन्हें ठिकाने लगाया जा रहा है। जिससे उनकी अच्छी खासी कमाई होती है। हालांकि ऐसे मामले कई बार आए हैं और जांच कमेटी भी गठित की गई। लेकिन रिपोर्ट आज तक नहीं सौंपी गई। जिससे ऐसे कार्यों में लिप्त कर्मी कारनामें करके बचते जा रहे हैं।

नहीं चेत रहा बीआरडी प्रशासन

मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अधिक से अधिक दवाएं मंगवाई हैं जिससे किसी को भी दिक्कत न झेलनी पड़े। लेकिन यूरिमेक्स डी के सहित अन्य कई दवायें हैं जिस पर नॉटफारसेल नहीं लिखा है। ये दवाएं काफी महंगी मिलती है। फिर भी इसे लेकर मेडिकल कॉलेज प्रशासन गंभीर नहीं है। इसी का नतीजा है कि मेडिकल कॉलेज में कई बार दवाइयों को बाहर ले जाते समय जूनियर रेजीडेंट व कर्मचारी पकड़े गए और उन्हें बिना किसी कार्रवाई के छोड़ दिया गया। बावजूद इसके मेडिकल कॉलेज नहीं चेत रहा है।

पिछले साल कमरे में डंप मिली थी दवाएं

पिछले साल बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बर्न वार्ड के बगल में स्थित जूनियर रेजीडेंट कक्ष में काफी मात्रा में दवाएं डंप की गई थी। इसकी जानकारी जब अफसरों को लगी तो वो मौके पर पहुंचकर कमरे का ताला तोड़ा तो अंदर बर्न और न्यूरो की अधिकांश दवाएं मिली। इसके बाद कमरे को सील कर दिया गया और मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई। लेकिन कुछ दिन बाद पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

ट्रामा सेंटर के जूनियर रेजीडेंट कक्ष में मिली दवाएं

मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर स्थित जूनियर रेजीडेंट कक्ष में चार मई की सुबह प्रिंसिपल की जांच में दवाइयों से भरा बैग मिली। बैग में कुछ मेडिकल कॉलेज और कुछ बाहर के निजी स्टोर की दवाएं मिली। सूत्रों की मानें तो मेडिकल कॉलेज की कई दवाइयों पर नॉटफारसेल नहीं लिखा था। तत्काल प्रिंसिपल ने कंस्ट्रेंट को बुलाकर मामले से अवगत कराया लेकिन इस मौके पर कोई कुछ भी नहीं बोल पाया।

वर्जन

मेडिकल कॉलेज में सप्लाई से आने वाली दवाइयों पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज का सील लगाने का निर्देश दिया गया है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो गलत है। जरूरत के हिसाब से वार्डो में इंडेंट द्वारा दवाएं भेजी जाती है। अगर इसमें कोई भी कर्मी कोताही बरतता है तो पकड़े जाने पर उस पर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल बीआरडी मेडिकल कॉलेज