लेकिन इसके तुरंत बाद ही हज़ारों लोगों ने फ़ेसबुक पर आकर मेदवेदेव की टिप्पणी की खिल्ली उड़ाई है.बताया जा रहा है कि दो-तिहाई टिप्पणियाँ उनके ख़िलाफ़ थीं। शनिवार को हज़ारों रूसी लोगों ने पुतिन की पार्टी की जीत के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए थे। रविवार को भी कुछ लोगों ने मॉस्को में रैली की।

रूसी राष्ट्रपति ये पहले ही मान चुके हैं कि पिछले रविवार को हुए संसदीय चुनाव में कई जगह चुनावी क़ानून का उल्लंघन किया गया। फ़ेसबुक पर जाकर उन्होंने चुनाव संबंधी सभी आधिकारिक रिपोर्टों की चेकिंग की बात कह डाली। लेकिन शनिवार को मॉस्को में हुए प्रदर्शनों पर मेदवेदेव की टिप्पणी पर लोगों ने ख़ासी नाराज़गी जताई है।

मेदवेदेव ने लिखा था, “रैलियों में इस्तेमाल होने वाले नारों और बयानों से मैं सहमत नहीं हूँ.” इस पर फ़ेसबुक इस्तेमाल करने वालों ने पूछा, “रैलियों का मुख्य नारा था ‘ ईमानदार चुनावों के लिए’, तो क्या आप इसके खिलाफ़ हैं.”

'बेहद झूठे'

मेदवेदेव पर एक व्यक्ति की टिप्पणी थी ‘बेहद झूठे’ जबकि कुछ लोगों ने तो रूसी राष्ट्रपति की टिप्पणी पर अभद्र भाषा में भी प्रतिक्रिया दी है। बीबीसी न्यूज़ वेबसाइट ने जिन 100 टिप्पणियों को पढ़ा उनमें से एक तिहाई मेदवेदेव के ख़िलाफ़ थीं। बाक़ी कॉमेंट या तो राष्ट्रपति के समर्थन में थे या निष्पक्ष थे।

मेदवेदेव सोशल मीडिया पर काफ़ी सक्रिय रहते हैं। वैसे कुछ दिन पहले ट्विटर पर भी उन्हें शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। दरअसल पिछले हफ़्ते मेदवेदेव के ट्विटर अकाउंट से एक अभद्र संदेश लिखा गया था जिसके लिए रूस सरकार ने एक कर्मचारी को दोषी ठहराया था। बाद में इस संदेश को हटा दिया गया लेकिन रूसी ब्लॉगरों ने इसका स्क्रीनशॉट लेकर आगे कई लोगों को इसे भेजा।

रूस में कथित चुनावी धाँधली का मुद्दा उठाने और विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में सोशल मीडिया का बड़ा हाथ रहा है.रूस के प्रधानमंत्री पुतिन इंटरनेट पर उतने सक्रिय नहीं हैं।

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