- पब्लिक स्कूलों में एनसीईआरटी की बुक्स न लगाने का मामला

- सीबीएसई ने भेजा देशभर के 200 से अधिक स्कूलों को नोटिस

- सबसे ज्यादा मेरठ के स्कूलों को भेजे गए 40 नोटिस

स्वाति भाटिया

मेरठ। स्कूलों में एनसीईआरटी की बुक्स न लगाने के लिए स्कूल खुद ही जिम्मेदार है। दरअसल, सीबीएसई के डिमांड मांगने के बावजूद भी स्कूलों ने सीबीएसई को एनसीईआरटी बुक्स की डिमांड के लिए सूची नहीं दी। ऐसे में साफ जाहिर है स्कूल प्राइवेट बुक्स के मोटी कमीशन के खेल में लिप्त हैं। सीबीएसई ने पब्लिक स्कूलों को स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस भेजा है।

स्कूलों को नोटिस

सीबीएसई ने देशभर के 200 से अधिक पब्लिक स्कूलों को नोटिस जारी किया है। वहीं मेरठ में 40 स्कूलों को नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में सीबीएसई ने स्कूलों को लिखा है कि बार बार कहने के बावजूद भी इन स्कूलों ने क्लास वाइस एनसीईआरटी बुक्स की डिमांड का आंकड़ा नहीं दिया है, जिससे साफ है कि पब्लिक स्कूल्स प्राइवेट बुक्स से मोटे कमीशन का खेल कर रहे हैं और सुधरना नहीं चाहते हैं। ऐसे में इन स्कूलों से स्पष्टीकरण मांगा गया है, इसके साथ ही स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कही हैं।

वसूला जाएगा जुर्माना

सीबीएसई ने स्कूलों को लिखा है कि अगर वो अपना स्पष्टीकरण नहीं देते हैं तो वो जुर्माना भरने के लिए तैयार हो जाए। दरअसल, ऐसे स्कूलों पर जुर्माना लगाने की तैयारी चल रही है।

इन स्कूलों को आया नोटिस

- एमपीजीएस मेरठ कैंट

- एमीपीएस मेन विंग मेरठ कैंट

- सिटी वोकेशलन पब्लिक स्कूल मेरठ

- जवाहर पब्लिक स्कूल, शास्त्रीनगर

- जीटीबी, मेरठ कैंट

- दर्शन एकेडमी

- मेरठ सिटी पब्लिक स्कूल

- सिटी लुक पब्लिक स्कूल

- शांति निकेतन पब्लिक स्कूल

- एसवीएस पब्लिक स्कूल, मवाना रोड

सब मोटे कमीशन का खेल

स्कूल संचालकों व पब्लिशर्स की मोटी कमीशन की सेटिंग का खेल होता है। जिसके चलते स्कूल्स उन्हीं पब्लिशर्स की बुक्स ही लगाना अलाउड करते हैं।

क्या कहते हैं स्कूल्स

अक्सर वो ही बुक्स लगाई जाती है, जिनकी एनसीईआरटी बुक्स मार्केट में नहीं है। वरना स्कूल्स एनसीईआरटी की बुक्स ही लगाते हैं।

-राहुल केसरवानी, सहोदय सचिव

स्पष्टीकरण दिया जाएगा, वेबसाइट की टेक्निकल प्रॉब्ल्मस के चलते रिप्लाई नहीं कर पाए। एनसीईआरटी की भी कुछ बुक्स लगाई है।

-प्रेम मेहता, प्रिंसिपल, सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल

हमने केवल वही बुक्स लगाई है जो बाजार में एनसीईआरटी नहीं है। जब हमसे परफार्मा में आंकड़ा मांगा गया तो किसी टेक्निकल प्रॉब्लम्स के चलते नहीं भेजा जा सका था।

-मधु सिरोही, प्रिंसिपल, एमपीजीएस

क्या कहते है पेरेंट्स

स्कूल अक्सर अपने बचने के लिए बहाने बनाते है, अब सीबीएसई की भी नहीं मान रहे हैं, खुद से बढ़कर किसी को नहीं मानते हैं।

-सतनाम

हमेशा यही होता है पहले तो स्कूल प्राइवेट बुक्स लगाने के लिए बहाने बनाते है, जब उस बहाने का तोड़ निकल जाता है तो टालमटोल में लग जाते हैं।

-जसविंदर

स्कूलों को एनसीईआरटी की किताबें लगानी ही नहीं है क्योंकि इनके मोटे कमीशन का खेल खत्म हो जाएगा। स्कूल बहुत खेल करते हैं।

-अलका