- गर्भाशय से फिलेफियन ट्यूब निकालने को पचा गई पुलिस

-अवैध हिरासत की धारा लगाने में भी किया गया खेल

-जबरन धर्मातरण की धारा से क्यों किया गया गुरेज

मेरठ : खरखौदा कांड में आरोपियों पर 19 धाराएं तो लगा दी गई, इसके बावजूद उन्हें बचाने की कोशिश की गई। ऑपरेशन कर गर्भाशय से फिलेफियन ट्यूब निकालने का जिक्र नहीं किया गया। साथ ही जबरन धर्मातरण को भी हल्का कर दिया गया। पुलिस विवेचना को कमजोर करने के लिए इस प्रकार का रवैया अपना रही है, ताकि अदालत में बहस के दौरान आरोपियों को फायदा पहुंचेगा।

फिर खेल कर गई पुलिस

खरखौदा कांड की विवचेना में पूरा खेल किया जा रहा है, या अंजान विवेचक कुछ समझ नहीं पा रही है। पुलिस ने अपहरण की वारदात को कमजोर करने के लिए धारा 342 लगाई है, जिसका मतलब है पीडि़ता को दो दिनों तक अवैध हिरासत में रखा गया, जबकि पीडि़ता 23 जुलाई से 27 जुलाई के बीच ऑपरेशन कराया गया। 29 जुलाई से अपहरण कर दो जुलाई को घर पहुंची। यानी दो किश्तों में नौ दिनों तक पीडि़ता को अवैध हिरासत में रखा गया है। उससे आरोपियों पर धारा 342 नहीं 344 बन रही है।

पीडि़त की पीड़ा भी बेअसर

पुलिस ने धारा 295क यानी धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाया, जबकि पीडि़ता का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। बाकायदा शपथ पत्र पर उसका नाम बुशरा जन्नत कर दिया था। इसलिए यहां धारा 505 का केस बनता है। पीडि़ता के पेट में नौ सेमी का ऑपरेशन कराकर गर्भाशय से फिलेफियन ट्यूब निकाल ली गई। पुलिस ने मुकदमे में इस आरोप को कहीं तक नहीं रखा। जबकि ऐसा करने पर आरोपियों ने धारा 326 भी लगी चाहिए थी। क्योंकि पीडि़ता के शरीर का अंग भंग हुआ है। अब उसके दोबारा मां नहीं बनने की आशंका तक जाहिर की जा रही है। ऐसे में पुलिस को चाहिए था कि धारा 326 का इजाफा होना चाहिए था।

गैंगस्टर एक्ट लगाने में भी बचाया

मेरठ : खरखौदा कांड़ को दस लोगों ने पूरा गैंग बनाकर अंजाम दिया है। इसके बावजूद भी उन पर गैंगस्टर एक्ट का केस नहीं बन रहा है। दरअसल, गैंगस्टर एक्ट लगाने के लिए पुलिस को इस मुकदमे में धारा 505 का इजाफा करना होगा। धारा 505 का मतलब है कि आतंक फैलाकर हिंदू लड़कियों के धर्म परिवर्तन कराना। इस धारा के बढ़ने के बाद पुलिस को आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा भी दर्ज करना होगा। कानून विशेषज्ञों की मानें तो पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर का मुकदमा नहीं लगाने के चलते ऐसा किया है।