- एयरपोर्ट से लेकर ईस्टर्न फ्रेट कॉरीडोर करेंगे मदद

- रैपिड रेल प्रोजेक्ट और आईटी हब जैसे प्रोजेक्ट भी पाइप लाइन में

- आने वाले पांच सालों में मेरठ आसपास बन जाएंगे दो लाख से अधिक मकान

Meerut : केंद्र सरकार का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट वाकई में काफी काबिलेतारिफ है। ख्0 लाख की आबादी के शहर में स्मार्ट सिटी बनाने की होड़ में मेरठ भी है, जिसमें स्मार्ट सिटी बनने की पूरी संभावनाएं हैं। सवाल ये है आखिर वो कौन-कौन से कारक हैं जो मेरठ को स्मार्ट सिटी की कैटेगरी में लाकर खड़ा कर सकता है। शहर में स्मार्ट सिटी बनाने का सपना कोई मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा बिल्कुल भी नहीं है।

एयरपोर्ट पर काम शुरू

स्मार्ट सिटी बनने का पहला काम एयरपोर्ट शुरू हो चुका है। प्रशासन द्वारा परतापुर हवाई पट्टी को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सौंपने के बाद एयरपोर्ट के बनने के हम थोड़ा तो पास तो आ ही गए हैं। एएआई ने अपना काम भी शुरू हो गया। धरातल पर बात करें तो हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के तौर पर विकसित करने के लिए एएआई को कुल भ्0फ् एकड़ भूमि की आवश्यकता है। ब्7 एकड़ भूमि सौंप दी गई है। वन विभाग की आपत्ति दूर करने के बाद और 7म् एकड़ भूमि जल्द सौंपी जाएगी। शेष भूमि का अधिग्रहण होगा।

एक्सप्रेस वे से भी बढ़ेगी शान

सिटी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए एक्सप्रेस वे भी काफी मददगार साबित होगा। इसके लिए मोदी केबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। अगर इस पर काम सही समय पर शुरू हो जाता है तो दिल्ली-मेरठ से दूरी महज क्भ्0 मिनट से महज 70 मिनट की रह जाएगी। करीब 7भ् किलोमीटर के इस एक्सप्रेस वे को बनाने के लिए एनएचएआई से जल्दी काम शुरू करने की संभावना है। एक्सपर्ट की मानें तो इस प्रोजेक्ट से मेरठ सूरत बदलनी तय है।

आईटी हब देगा रोजगार के अवसर

मेरठ में आईटी हब बनाने के सपने को साकार करने के लिए वेदव्यासपुरी में जमीन को चिह्नित कर लिया है। 7.भ् एकड़ जमीन पर आईटी हब बनाने के लिए काफी है। जो मेरठ को काफी आगे तक ले जाने के लिए काफी है। आईटी हब बनने के लिए हजारों युवाओं को रोजगार अवसर तो मिलेंगे ही। साथ ही अच्छी आईटी कंपनियों के आने से मेरठ की रेप्यूटेशन में भी इजाफा होगा। सिटी को स्मार्ट सिटी बनाने में ये प्रोजेक्ट काफी बड़ा इंपोर्टेट रोल प्ले करेगा।

रैपिड व्हील पर दौड़ेगा मेरठ

सरकारी अमले की नजर में इस प्रोजेक्ट को ख्0ख्क् तक पूरा करने की योजना है। खैर इसमें थोड़ा और वक्त लगना तय है। मेरठ से दिल्ली तक बनने वाले इस ट्रैक की लंबाई 90 किमी क होगी। इस ट्रेन की स्पीड क्म्0 किमी/ घंटा होगी, जिससे ये सफर सिर्फ म्ख् मिनट का हो जाएगा। वहीं स्टेशनों की क्7 रखी गई है। ख्भ् हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट से सिटी को स्मार्ट सिटी बनने से कोई नहीं रोक सकेगा।

ईस्टर्न फ्रेट कॉरीडोर होगा मददगार

मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाने में ईस्टर्न फ्रेट कॉरीडोर कम सहायक नहीं होगा। इसके लिए भले ही दोनों ही बजटों में कुछ नहीं कहा गया हो, लेकिन इस प्रोजेक्ट के शुरू होने में कोई शक नहीं है। मेरठ के हिस्से से आर्मी और फ्म् गांवों की जमीन को एक्वायर किया जाएगा। जहां से भी ये कॉरीडोर गुजरेगा उसके आसपास के इलाके को इंड्रस्ट्रीयल एरिया के तौर पर डेवलप किए जाने की योजना है।

बन रहे हैं स्मार्ट होम

मौजूदा समय में जो बूम वेस्ट यूपी के इस शहर में है वो किसी और शहर में नहीं है। सिटी के चारों ओर स्मार्ट होम बनाए जा रहे हैं। रियल एस्टेट से जुड़े जानकारों की मानें तो अगले पांच सालों में में दो लाख बनने जा रहे हैं। जो अपने आप में काफी बड़ी उपलब्धि है। परतापुर बाईपास के दोनों ओर कंकरखेड़ा, लोहियानगर, वेदव्यासपुरी ऐसी तमाम जगहें हैं जहां पर लोगों के लिए स्मार्ट होम हाई राइज बिल्डिंग में नजर आएंगे।

अच्छी होगी कनेक्टीविटी

मौजूदा समय में कई इलाकों को जोड़ने के लिए कनेक्टीविटी प्रोजेक्ट इनर रिंग रोड पर काम चल रहा है। करीब क्भ्0 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में भ्0 किलोमीटर की सड़क बनाई जानी है। इसमें भूमि अधिग्रहण का काम चल रहा है। जो जल्द ही पूरा होने वाला है। मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मानें तो शहर के अंदर नव विकसित कॉलोनियों को जोड़ते हुए ब्भ् मीटर चौड़ी सड़क होगी। यह रोड रूड़की रोड बाईपास पर बागपत चौराहा से शुरू होकर दिल्ली रोड के क्0.7ख् किमी, हापुड़ रोड के क्ख्.क्म् किमी, गढ़ मुक्तेश्वर रोड के 9.म्0 किमी, बिजनौर रोड के 9.8ब् किमी व बागपत रोड के 8.फ्ख् किमी होते हुए वापस रूड़की रोड पर कृषि यूनिवर्सिटी व दीवान टेक्सटाइल मे मर्ज हो होगी।

हेल्थ सेक्टर पर भी होगा काम

मेरठ में मौजूदा समय में आसपास के जिलों के मुकाबले हेल्थ सेक्टर में काफी मजबूत स्थिति में है। मेडिकल कॉलेज के अलावा इस शहर में एक दर्जन बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल भी हैं। मेट्रो और अपोलो जैसे बड़े नाम पहले ही शहर में एंट्री कर चुके हैं। वहीं इस सेक्टर में जेपी भी हाथ आजमाने की तैयारी कर चुका है। नोएडा के बाद मेरठ में भी एक हॉस्पिटल खोलने का प्लान हैं। वहीं कुछ और भी ब्रांड इसमें जुड़ सकते हैं। स्मार्ट सिटी की होड़ को और मजबूत बनाने के लिए हेल्थ सेक्टर भी काफी बड़ा इंपोर्टैट रोल अदा कर सकता है।

क्या है स्मार्ट सिटी के सामने रुकावट?

- मेरठ में सीवरेज सिस्टम पूरी तरह से खराब है। काफी सालों के बाद भी इसमें कोई सुधार नहीं आया है।

- अनियोजित विकास भी इस शहर के लिए बड़ी समस्या बन चुका है। कोई प्लानिंग ही नहीं की गई।

- पुराना शहर जहां दोबारा विकास करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। स्मार्ट बनाने में बड़ा रुकावट बन सकता है।

- शहर में ट्रैफिक को दुरुस्त करने के लिए कोई प्लान नहीं है। जिससे शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या बनी रहती है।

- रेलवे कनेक्टिविटी के लिहाज से मेरठ काफी पीछे है। आज भी बड़े स्टेशनों में जाने के लिए दिल्ली की ओर रुख करना पड़ता है।

- लोकल ट्रांसपोर्ट के लिहाज से भी सिटी में कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है। सिटी और प्राइवेट बसों की हालत काफी बुरी है।

सिटी के आसपास कई रियल एस्टेट डेवलपर्स लोगों के लिए मकान बना रहे हैं। आने वाले समय फ्लैट कल्चर ही चलेगा। अगले पांच सालों में दो लाख फ्लैट शहर के आसपास लोगों के लिए होंगे। सिटी को स्मार्ट बनाने में काफी बड़ा योगदान करेंगे।

- सुनील पाली, मेरठ कॉर्डिनेटर, अर्थ होम्स इंफ्रस्ट्रक्चर

स्मार्ट सिटी के लिए मेरठ पूरी तरह से फिट हैं। यहां पर कई ऐसे प्रोजेक्ट्स हैं, जो सिटी को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिला सकता है, लेकिन तभी पॉसिबल हैं जब आपके पास लैंड हो। इसके लिए लैंड एक्वीजिशन करिए सभी को भागीदार बनाइये।

- विवेक भास्कर, असिस्टेंट टाउन प्लानर, मेरठ डेवलपमेंट अथॉरिटी

मेरठ में हेल्थ सेक्टर में काफी संभावनाएं हैं। यहां पर व‌र्ल्ड क्लास मेडिकल फैसिलिटी देने की पूरी कोशिश की जा रही है। जो सिटी को आने वाले समय में स्मार्ट सिटी बनाने में काफी मददगार साबित होगा।

- सुनील गुप्ता, अध्यक्ष, आईएमए मेरठ

मेरी नजर में स्मार्ट सिटी पूरी तरह से वेल प्लांड होनी चाहिए। जैसे सिटी में एंट्री में हो पता चले कि हम एक खूबसूरत सिटी में एंटर कर रहे हैं। पॉवर की कोई प्रॉब्लम न हो। सर्राफा, स्पो‌र्ट्स, सीजर और तमाम तरह की इंडस्ट्री के अलग से स्पेसिफिक जगह हो। तभी हम स्मार्ट सिटी की कल्पना कर सकते हैं।

- पंकज गुप्ता, प्रदेश उपाध्यक्ष, आईआईए