तुम टॉपर बन गई हो

उसके पापा ने दुबारा कहा, यह सच है तुम टॉपर बन गई हो। तब जाकर उसे विश्वास हुआ। जूही ने सबसे पहले पापा-मम्मी, दादा-दादी के पांव छुए। उसके बाद भगवान की पूजा की। उसके चेहरे पर टॉपर बनने की खुशी देखते ही बनती थी। चाहकर भी वह अपनी हंसी को रोक नहीं पा रही थी। धीरे-धीरे यह बात आस-पास के लोगों को मालूम हुई तो सभी उसे बधाई देने के लिए पहुंचने लगे। फिर मिठाइयों का दौर चलने लगा।

12-14 घंटे तक स्टडी

कहते हैं टॉपर यूं नहीं बनते हैं। उसके लिए जरूरी होता है कि स्टूडेंट्स सही दिशा में काम करे। कड़ी मेहनत करे। दीघा की जूही ने भी वही किया। जूही एग्जाम टाइम में 12-14 घंटे स्टडी करती थी। वहीं रेगुलर 8-10 तक प्रैक्टिस करती थी। सुबह 3 से 3.30 बजे तक वह स्टडी करने बैठ जाती थी, 7 बजे तक उसका स्टडी चलता था। उसके बाद फ्रेश होकर ब्रेकफास्ट के बाद कोचिंग चली जाती थी। 7.30 से 11.30 बजे तक लगातार केमिस्ट्री, फिजिक्स और मैथ की क्लास करती थी। माइंड फ्रेश करने के लिए वह 12 से 2 बजे तक मूवी देखती थी। फिर खाना खाने के बाद 3 से 5 बजे तक स्टडी करने बैठ जाती थी। 6 से 7 बजे तक एक बार फिर ब्रेक लेती थी। उसके बाद 8 से 11 बजे तक स्टडी करने के बाद सो जाती थी। एग्जाम के समय तो उसे नींद ही नहीं आती थी। उन दिनों उसका ज्यादातर समय बुक्स व नोट्स के साथ बीतता था। I hate tv serials

जूही को मूवी देखना पसंद है। सीरियल देखना उसे पसंद नहीं है। वह कहती है कि मुझे एक था टाइगर फिल्म पसंद आई। आई हेट सीरियल्स। उसमें हर दिन नेक्स्ट एपिसोड का इंतजार करो। यह मुझसे नहीं होता। मूवी एंटरटेनमेंट का सबसे बेस्ट ऑप्शन है।

मम्मी के हाथ की कढ़ी-चावल

जूही कहती है कि इंडियन डिश में मुझे मम्मी के हाथ की कढ़ी और चावल बेहद पसंद है। स्टडी से जब भी मैं ऊब जाती थी तो मेरी मम्मी मुझे कढ़ी-चावल खाने के लिए देती थी। उसे देखकर मैं इतना खुश होती थी कि सारी थकान मिट जाती थी। इसके अलावा मुझे चाइनीज फूड भी पसंद है।

बुक्स ने किया हेल्प

जूही कहती है कि मैं स्टडी में केमिस्ट्री, फिजिक्स और मैथ के लिए कई बुक्स का यूज करती थी। इसमें केमिस्ट्री के लिए एबीसी केमिस्ट्री, प्रदीप केमिस्ट्री व फिजिक्स और मैथ के लिए केसी सिन्हा, आरएस अग्रवाल व आरडी शर्मा की बुक यूज करती थी। इन बुक्स ने मेरी काफी हेल्प की।

पूरी फैमिली है टीचिंग में

जूही की पूरी फैमिली टीचिंग बैकग्राउंड से है। उसके दादा जगदीप नारायण मिडिल स्कूल के रिटायर्ड टीचर हैं। पापा डॉ। विमल नारायण आर्या महंत हनुमान शरण स्कूल में प्रिंसिपल है साथ शिवम क्लासेज के डायरेक्टर व केमिस्ट्री के फैकल्टी भी हैं। उसकी मम्मी कमला कुमारी भी मिडिल स्कूल में टीचर हैं। जूही को इन सभी से काफी हेल्प मिली। किसी भी तरह की प्रॉब्लम के लिए उसे किसी का इंतजार नहीं करना पड़ता था। कोई भी उसकी प्रॉब्लम को सॉल्व कर देता था। खासकर उसके पापा स्टडी को लेकर ज्यादा ही एग्रेसिव थे।

सिस्टर प्रिया से मिली प्रेरणा

जूही की बड़ी बहन प्रिया भी सर गणेश दत्त मेमोरियल कॉलेज से साइंस की स्टूडेंट थी। 2010 में प्रिया ने बिहार में 5वां स्थान प्राप्त किया था। अभी वह निफ्ट, मुम्बई से फैशन डिजाइनिंग कर रही है और फाइनल ईयर की स्टूडेंट है। प्रिया ने जब 5वां स्थान प्राप्त किया तो इससे जूही इंस्पायर हुई। तभी उसने ठान लिया था कि टॉपर बनूंगी।

घर-घर जाकर पढ़ाते थे पापा

जूही के पापा ने टीचिंग की शुरुआत अपनी पढ़ाई के समय से ही की थी। तब वे घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाते थे। उसके बाद उन्होंने घर पर बैच शुरू किया। धीरे-धीरे स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ी और बड़ा इंस्टीट्यूट खड़ा कर लिया। उनके एक्सपीरिएंस का पूरा फायदा जूही को मिला।

sudhir.kumar@inext.co.in

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