जुलाई में शुरू किया था सफर, अब ऑस्ट्रेलिया पहुंचे

इंग्लैंड से बेल्जियम, लग्जमबर्ग, जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली, स्लोवेनिया, हंगरी, चेक रिपब्लिक, पोलैंड, यूक्रेन, रूस, मंगोलिया, चीन, हांगकांग, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया के रास्ते होते हुए इंग्लैंड के क्रिकेट फैन एड मिलर एशेज सीरीज में अपनी टीम को सपोर्ट करने आस्ट्रेलिया पहुंच गए हैं. बता दें कि मिलर ने इतने देशों की यात्रा हवाई जहाज से नहीं, बल्कि बाई रोड की हैं. इसके पीछे भी कई कारण है. पहला, उन्हें घूमने का शौक है और दूसरा वो टेस्टिकुलर कैंसर के प्रति दुनिया को अवेयर करना चाहते हैं. पेशे से टीचर एड मिलर ने एक साल पहले ही इस एशेज सिरीज को देखने का फैसला कर लिया था. उन्होंने इसके लिए एक साल पहले ही अपनी नौकरी छोड़ दी और आस्ट्रेलिया के लिए वो जुलाई में इंग्लैंड से निकल पड़े.

5 महीनों में 22 देशों की यात्रा कर एशेज देखने पहुंचा इंग्लैंड का फैन

चुनौतीपूर्ण रहा सफर

इंग्लैंड छोडऩे के दस दिन बाद ही मिलर को समझ आया था कि उनकी यात्रा चुनौतीपूर्ण होने वाली है. इस दौरान न तो उन्हें टीवी पर क्रिकेट देखने को मिला और न ही खाने को मनपसंद खाना. इतना ही नहीं, उन्हें कई मील का सफर पैदल भी तय करना पड़ा. वो कभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेते तो कभी लोगों से लिफ्ट मांगकर आगे बढ़ते रहे. कुछ जगह तो उन्हें पहाड़ों पर भी चढऩा पड़ा.इसके बाद उन्हें बर्फ और ग्लेशियर्स का भी सामना करना पड़ा.

लोगों का मिला सपोर्ट

इस सफर के दौरान कई जगह एड मिलर को कई लोगों का सपोर्ट मिला. खासतौर पर इंडोनेशिया और थाईलैंड की हॉस्पिटैलिटी ने उनका दिल जीत लिया. रूस के लोगों ने उनकी मनोबल बढ़ाई और कई लोगों ने तो उन्हें पैसों से भी मदद किया.

इंग्लैंड की जीत का दावा

मिलर अब आस्ट्रेलिया पहुंच चुके हैं और अब वो गाबा में गुरुवार से शुरू हो रहे पहले टेस्ट मैच को देखने के लिए तैयार हैं. वो पहले ही प्रेडिक्ट कर चुके हैं कि इस एशेज सिरीज में इंग्लैंड की टीम आर्क राइवल आस्ट्रेलिया को 3-2 से मात देगी. यही नहीं, उन्होंने जॉनी बेयरस्टो को सिरीज का अंडरडॉग भी करार दिया है.

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चैरिटी के लिए डोनेशन

क्रिकेट फैन होने के अलावा मिलर की यह यात्रा एक अवेयरनेस कैंपेन के लिए भी है. वो इस सफर के दौरान ऑडबाल्स फाउंडेशन के लिए फंड्स जमा कर रहे हैं. यह फाउंडेशन टेस्टिकुलर कैंसर के प्रति अवेयरनेस प्रोग्र्राम चलाता है. बता दें कि वो जिससे भी मिलते हैं, उससे इस प्रोग्र्राम के लिए डोनेशन मांगते हैं, जो हजारों या लाखों डॉलर नहीं, बल्कि कुछ सिक्के होते हैं.

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