-अब मोटी कमाई करने वालों से नगर निगम वसूलेगा अपना हिस्सा

-पार्षदों ने निगम के अधिकारियों के सेटिंग गेम से उठाया पर्दा

-पार्षदों के आगे नगर निगम के अधिकारियों की बोलती हुई बंद

-प्रस्ताव हुए पास तो भर जाएगा नगर निगम का खाली खजाना

ALLAHABAD: निगम के अफसरों ने तो नए फाइनेंशियल इयर में मीडिल क्लास पर टैक्स का बोझ बढ़ाने की पूरी तैयारी कर रखी थी। लेकिन, पार्षदों के आगे तेज-तर्रार अधिकारियों की एक न चली। महीनों बाद और चार बार टालने के बाद हो रही मिटिंग में पार्षद पूरे मूड में पहुंचे थे। उन्होंने निगम के अधिकारियों द्वारा महीनों में तैयार किए गए बजट का चंद घंटों में ही ऑडिट कर डाला और उसे खारिज भी कर दिया। अफसरों ने मोटी कमाई करने वाले जिन लोगों को बचाने की तैयारी कर रखी थी, पार्षदों ने उन्हीं पर इनकम बढ़ाने का लोड डालने का प्रस्ताव पास कर दिया। इससे नगर निगम का खजाना भी भरेगा और कॉमन मैन पर लोड नहीं पड़ेगा।

सवालों पर हुए निरुत्तर

पब्लिक की खरी-खोटी सुन कर थक चुके पार्षद सैटरडे को पूरी तैयारी से मिनी सदन की बैठक में पहुंचे थे। कार्रवाई शुरू होने पर जैसे ही नगर निगम का बजट प्रस्ताव पेश होने लगा, पार्षदों ने हर प्रस्ताव का काउंटर किया। मेयर अभिलाषा गुप्ता भी पार्षदों के प्रस्तावों से सहमत थी। इससे अधिकारियों की बोलती बंद हो गई। उनके पास पार्षदों के सवालों का कोई जवाब नहीं था।

कॉमर्शियल बिल्डिंग को क्यों छोड़ा

सीएफओ ने बजट में हाउस टैक्स का टारगेट ख्0क्ब्-क्भ् के लिए फ्फ् करोड़ रुपया बताया तो पार्षदों ने नगर निगम के अधिकारियों को सवालों से घेर लिया। पूछा, शहर में कितनी कामर्शियल बिल्डिंग हैं? उनसे कितना टैक्स लिया जाता है? सामान्य हाउस टैक्स बढ़ाने की बात कहने वाले अधिकारियों के पास इसका कोई जवाब नहीं था। पार्षदों ने कहा, टैक्स नहीं बढ़ाया जाए बल्कि हजारों कॉमर्शियल भवनों को टैक्स के दायरे में लाया जाए। पार्षदों की घेराबंदी पर नए सिरे से कामर्शियल भवनों के असेस्मेंट का प्रस्ताव पास हुआ।

होर्डिग्स का पैसा कौन वसूल रहा है

पार्षदों ने विज्ञापन के लिए शहर में लगी होर्डिग्स से नगर निगम में हो रहे करोड़ों के खेल से पर्दा उठाया। पार्षद शिवसेवक सिंह ने कहा कि ख्009 से विज्ञापन कर नियमावली बनी है। आज तक उसे लागू नहीं किया गया। अवैध तरीके से पूरे शहर में होर्डिग लग रही हैं। इनसे लाखों रुपए वसूले जा रहे हैं जो सीधे अधिकारियों की जेब में जा रहे हैं। चालू वर्ष में निगम ने इस मद से ढाई करोड़ इनकम का प्रस्ताव किया था। पार्षदों की आपत्ति के बाद इसे बढ़ाकर पांच करोड़ करने और विज्ञापन नियमावली लागू करने का प्रस्ताव पास हुआ।

स्टैंडवालों से रिश्तेदारी कैसी

सीएफओ ने साइकिल स्टैंड से ख्0क्ब्-क्भ् में ख्0 लाख टैक्स वसूलने का लक्ष्य बताया तो पार्षदों ने एक स्वर में इस टार्गेट को काफी कम बताया। उन्होंने नगर आयुक्त से पूछ लिया सिटी में कुल कितने साइकिल स्टैंड हैं? नगर आयुक्त जवाब नहीं दे सके। पार्षद राजीव शुक्ला ने कहा सैकड़ों कोचिंग संस्थान, मॉल वाले साइकिल स्टैंड से अवैध कमाई कर रहे हैं। निगम इन पर लगाम कसे तो इनकम बढ़ जाएगी। पार्षद ने कहा कि केवल पीवीआर में स्टैंड चलाने वाले की मंथली इनकम आठ लाख रुपए है। निगम ने पूरे साल में केवल ख्0 लाख रुपए वसूलने का लक्ष्य बनाया। आखिर कौन सी रिश्तेदारी निभाई जा रही है स्टैंड वालों से।

होटल-रेस्टोरेंट वाले बाबाजी हैं क्या

सीएफओ ने होटलों और रेस्टोरेंटों से क्0 लाख रुपए लाइसेंस शुल्क वसूलने का टारगेट बताया तो पार्षद फिर भड़क उठे। कहा, जो दो कमरे के मकान में रह रहे हैं उनसे मनमाना टैक्स और इन्हें रियायत। यह दोहरा रुख क्यों। पार्षद नेम यादव ने पूछा शहर में कितने होटल हैं तो अधिकारी ने जवाब दिया ख्00. पार्षद ने दावा किया कि भ्00 से कम होटल-रेस्टोरेंट शहर में मिले तो वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे। जिस पर अधिकारी चुप हो गए। मेयर ने व्यवस्था दी कि, दुबारा सर्वे कराएं कि शहर में कितने होटल रेस्टोरेंट हैं।

रोड कटिंग के नाम पर करोड़ों का खेल

सीएफओ ने रोड कटिंग से प्राप्त इनकम को 0 बताया तो फिर पार्षदों को मौका मिल गया। साफ कहा, कंपनियों ने रोड काटा, चेम्बर बनाए, ड्रिल करके पाइप लाइन, सीवर लाइन को क्षतिग्रस्त किया और नगर निगम ने कोई टैक्स नहीं लिया, ऐसा क्यों? सड़क काटने का खेल जारी है। 900 मीटर का पैसा जमा करके 9000 मीटर की खुदाई की गई और निगम खामोश रहा। वसूली के लिए पब्लिक ही बची है क्या?

सदन में पारित किए गए प्रस्ताव

-पार्षद नेम यादव के प्रस्ताव पर इक्का, टांगा से टैक्स हटाने का निर्णय

-हाउस टैक्स पर अगस्त तक क्0 परसेंट, सितंबर में आठ और अक्टूबर में छह परसेंट का मिलेगी छूट

-जुलाई से पहले जिन लोगों ने जमा किया है टैक्स, अगली बार टैक्स जमा करने पर मिलेगी क्0 परसेंट छूट

-एक पटल पर तीन साल से अधिक समय से जमे अधिकारी-कर्मचारियों का होगा स्थानांतरण।

-व्यावसायिक भवनों का होगा सर्वे। म्0 दिन में जोन वाइज सर्वे पूरा करने का लक्ष्य

-जिन भवनों का मूल्यांकन नहीं हुआ है, उनकी सर्वे रिपोर्ट एक माह में दी जाएगी

-जीआईएस सर्वे हुआ है या नहीं, इसकी रिपोर्ट संडे को दी जाएगी।

-शहर में मलबा फेंकने वालों से नगर निगम वसूलेगा चार्ज