स्पेशल न्यूज

-शहर में कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए तैयार किया जा चुका है खाका

-योजनाओं पर काम हुआ तो आने वाले कुछ साल में ही बदल जाएगी शहर की सूरत

अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले कुछ साल में शहर की सूरत बदली नजर आएगी। कई बड़े मैदानों पर ऐसे प्रोजेक्ट लगाने का खाका भी तैयार किया जा चुका है जो शहर के विकास में मील का पत्थर साबित होंगे। लेकिन इन प्रोजेक्ट के धरातल पर आने में कई अड़चनें भी हैं, जिससे शहर के विकास का पहिया थमा हुआ है। बरेली में पांच ऐसे बड़े मैदान हैं जो आगामी वर्षो में बरेली की तस्वीर बदल सकते हैं, लेकिन इनमें कुछ 'मैदान' पर जंग छिड़ी है। तो कहीं प्रस्तावों को लेकर पेच फंसे हुए हैं। मैदानों पर मेगा क्लस्टर, आईटी हब, मॉडर्न स्पो‌र्ट्स स्टेडियम समेत अन्य कई बड़े प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट आज आपको बताएगा कि आखिर मैदान कैसे संवार सकते हैं बरेली और क्या फंसे हैं पेंच। पढि़ए।

BAREILLY:

बेशकीमती जिला जेल की जमीन पर मेगा प्रोजेक्ट

सिविल लाइंस स्थित पुरानी जिला जेल वर्ष 2016 में शिफ्ट हुई। 85 एकड़ खाली पड़ी जिला जेल जमीन पर करीब दर्जन भर बड़े प्रोजेक्ट का खाका खींचा गया। जिसे वित्त मंत्री ने तैयार करवाए और सीएम के समक्ष इसे प्रस्तुत भी किया गया। करीब 900 करोड़ के इस मेगा प्रोजेक्ट पर मुहर लग जाए तो शहर महानगर की तर्ज पर अपनी पहचान बनाएगा। बता दें कि अब तक का यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है।

प्रोजेक्ट एक नजर में

- 15 एकड़ में आईटी पार्क

- 3 हजार की सीटिंग कैपेसिटी का ऑडिटोरियम

- ललित कला अकादमी, हैंडीक्राफ्ट मार्केट

- 3 एकड़ में मॉडर्न डिग्री कॉलेज

- 1 एकड़ में पहला फाइव स्टार होटल

- 2 लाख स्क्वॉयर फीट का पेडेस्ट्रियन मार्केट

- 10 एकड़ में हेरिटेज पार्क का निर्माण

- 11 एकड़ में स्पो‌र्ट्स स्टेडियम

- प्रोजेक्ट के बीचोंबीच झुमका चौक

पेंच

सीएम योगी आदित्यनाथ ने वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल से प्रोजेक्ट पर लास्ट इयर चर्चा की थी। सीएम ने सहमति भी जताई थी लेकिन प्रोजेक्ट कॉस्ट हजार करोड़ के होने के चलते फिलहाल इसे पेंडिंग रखे जाने की संभावना जताई जा रही है। दूसरी ओर, जिला जेल की जमीन पर महिला बंदी कारागार को हटाने को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है।

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रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर मैन्युफैक्चरिंग हब

रबड़ फैक्ट्री की 1250 एकड़ खाली पड़ी जमीन पर बड़ा प्रोजेक्ट लगाने की योजना प्रशासन ने बना रखी है। लास्ट इयर इसे मल्टी क्लस्टर के तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई। ताकि कंपनीज बरेली में अपना प्लांट लगाएं और यहां रोजगार के साधन जेनरेट हो सकें। इसमें इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग हब, फूड पार्क प्रस्तावित है। जिसका जिम्मा यूपीएसआईडीसी को सौंपा गया। परियोजना के बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए करीब 710 करोड़ रुपए का प्रपोजल पेंच खत्म होने की बाट जोह रहा है।

एक नजर में ।

- 1960 में बनी फैक्ट्री

- 1380 एकड़ है जमीन

- 1999 में फैक्ट्री हुई बंद

- 2002 हाईकोर्ट में मामला

- 3 हजार कर्मचारी बेरोजगार

- 14 बैंकों की 283 करोड़ उधारी

- 2002 में 25 एकड़ में हाइवे निर्माण

प्रोजेक्ट

- 710 करोड़ का मैन्युफैक्चरिंग हब

- इलेक्ट्रानिक आइटम प्रोडक्शन हब

- फूड पार्क, टैक्सटाइल पार्क

पेंच

14 बैंकों का करोड़ों रुपयों के बकाया वसूली और सैकड़ों वर्कर्स की गाढ़ी कमाई की भरपाई होनी बाकी है। जिसके लिए फैक्ट्री के सामान और जमीन बेचकर वसूली के आदेश मुंबई हाईकोर्ट ने डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल को दिए हैं। जिसके बाद जमीन किसकी है यह पेंच फंस गया है और तैयार हुए मेगा प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया।

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रामगंगा नगर की खाली पड़ी जमीन पर बड़े प्रस्ताव

पीलीभीत बाईपास से कुछ ही दूरी पर स्थित रामगंगा नगर आवासीय परियोजना की खाली पड़ी करीब 15 हजार वर्ग मीटर जमीन पर बीडीए ने कई बड़े प्रस्ताव रखे थे। तत्कालीन डीएम के आदेश पर यहां आईटी पार्क, डिग्री कॉलेज, कॉन्वेंट स्कूल का प्रस्ताव था। जिसके बन जाने के बाद रामगंगा नगर के संवरने की संभावना बीडीए ने जताई है।

योजना एक नजर में।

- 2004 में बीडीए ने बसाया रामगंगा नगर

- 259.36 हेक्टेयर में बसी है योजना

- 150 हेक्टेयर में 12 सेक्टर में बने आवास

- 109 हेक्टेयर से अधिक जमीन है खाली

- 1500 लोगों को आवास आवंटित

- 400 निम्न आय वर्ग के लोग हैं बसे

प्रस्ताव एक नजर में

- 11 हजार वर्ग मीटर में आईटी पार्क

- 4 हजार वर्ग मीटर में केंद्रीय भूमि जल बोर्ड ऑफिस

- 8 सौ वर्ग मीटर में रीजनल यूनिवर्सिटी

- 2 सौ वर्ग मीटर में सीयूजीएल ऑफिस

- 10 हजार वर्ग मीटर में एलआईसी ऑफिस

- 1 हजार वर्ग मीटर में बीडीए जोन ऑफिस

पेंच

प्रस्तावित योजनाओं को स्वीकृति तो बीडीए ने दे दी है। लेकिन रामगंगा नगर बसने के बाद ही योजनाएं धरातल पर उतरने की शर्त रखी गई है। इसे बसाने के लिए बीडीए तमाम प्रयास कर रहा है पर खुद को ठगा सा महसूस कर रहे लोग यहां बसने को तैयार नहीं। यहां योजनाओं को लोगों का इंतजार बरकरार है।

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पुरानी रेलवे लाइन की खाली पड़ी है जमीन

वर्षो से बंद पड़ी शाहदाना से इज्जतनगर की पुरानी रेल लाइन को हटाने के बाद खाली होने वाली 19.33 एकड़ जमीन पर काफी बड़े प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं। शहर के बीचोंबीच इस बेशकीमती जमीन पर प्रशासन, नगर निगम, बीडीए समेत रेल लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अपनी-अपनी योजनाएं बना रखी हैं। अगर इस खाली पड़ी जमीन का डेवलपमेंट हुआ तो शहर की सूरत काफी हद तक बदली सी नजर आएगी।

प्रोजेक्ट

- शहदाना ग्राउंड से मॉडल टाउन तक शॉपिंग प्लॉजा

- मॉडल टाउन के अंदर शॉपिंग व वॉकिंग कांप्लेक्स

- प्रेमनगर धर्मकांटा तक शॉपिंग एरिया

- धर्मकांटा से गांधी उद्यान तक ऑडिटोरियम

- जोन फाइव में ठेले व फड़ वालों का बाजार

पेंच

शाहदाना माल गोदाम और इज्जतनगर रेलवे स्टेशन के बीच वर्षो से बंद पड़ी रेलवे लाइन को नए रूप में डेवलप करने की प्लॉनिंग पर रेल लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी और प्रशासन के विचार मेल नहीं खा रहे हैं। आरएलडीए खाली पड़ी जमीन को रेजिडेंशियल लैंड यूज चाहता है तो वहीं, प्रशासन, नगर निगम, बीडीए और डेवलपर्स कॉमर्शियल लैंड यूज की मांग कर रहे हैं। जिस पर सब आमने-सामने हैं।

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बाकरगंज में 160 बीघा जमीन से हटेगा कूड़े का पहाड़

शहर के नर्क के नाम से पहचाने जाने वाले बाकरगंज से अब कूड़े का पहाड़ हटाने की योजना पर मुहर लग गई है। 160 बीघा खाली होने वाली इस जमीन पर नगर निगम बड़े प्रोजेक्ट लगाने की तैयारी में है। करीब साल भर बाद खाली होने वाली इस जमीन पर प्रस्ताव फिलहाल अधर में हैं। फिलहाल नगर निगम इस जमीन को ग्रीन बेल्ट, शॉपिंग मॉल और प्रोडक्शन कंपनी को देने के फिराक में हैं।