ऐसी है जानकारी
संत कबीर नगर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी ने इस स्मारक के प्रपोजल को खास निवेदन के साथ प्रधानमंत्री तक पहुंचाया है। इसको लेकर शरद त्रिपाठी का कहना है कि आज के समय में पश्चिम एशिया से दक्षिण एशिया की ओर प्रवेश करने वाले और धीरे-धीरे देश की जड़ों में समाते जा रहे उग्रवाद का जवाब हैं संत कबीर दास।
नहीं है कोई स्मृति
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश न ही तो उत्तर प्रदेश की कामयाब सरकार उन्हीं कबीर की 600 साल पुरानी विरासत के प्रचार को लेकर कुछ कर रही है और न ही केंद्र सरकार। उन्होंने बताया कि 2014 में जब उन्होंने अपना पद ग्रहण किया था, तब उनको ये देखकर काफी दुख हुआ था कि जिन संत कबीर के नाम पर जगह का नामकरण किया गया, उन्हीं संत को लेकर यहां कुछ खास नहीं किया गया। इसपर गौर करते हुए उन्होंने पीएम मोदी और सांस्कृतिक मंत्रालय को एक प्रपोजल भेजा है। इस प्रपोजल के तहत उन्होंने यहां पर संत कबीर दास के नाम एक स्मारक बनवाने की मांग की है। ये स्मारक ताजमहल और लाल किले के तर्ज पर होगा।
इसके साथ ही अपने प्रपोजल में उन्होंने एक और चीज की मांग की है। वह ये कि इस स्मारक में
हर शाम जगमगाते प्रकाश की व्यवस्था हो और साथ में भजन संध्या का भी आयोजन हो। उन्होंने संत कबीर के जीवन से जुड़े म्यूजियम और उनको लेकर स्कूलों में पढ़ाए जाने को भी इस प्रपोजल में सम्मिलित किया। उन्होंने आग्रह किया कि इनको या तो संत कबीर नगर में ही बनाया जाए या फिर बनारस में।
जल्द शुरू हो सकता है काम
संत कबीर दास से जुड़े करोड़ों के इस प्रोजेक्ट में स्मारक के आसपास की सड़क और पर्यटकों से जुड़े इन्फ्रास्टक्चर को भी शामिल किया गया है। इस प्रपोजल को लेकर यूनियन कल्चर मिनिस्टर महेश शर्मा का कहना है कि चूंकि संत कबीर दास के अनुयायी इस समय सिर्फ उत्तर-प्रदेश में ही नहीं, बल्िक बिहार, पंजाब, हरियाणा तक फैले हुए हैं। ऐसे में मंत्रालय की ओर से शरद त्रिपाठी के प्रस्ताव का आंकलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार भी चाहती है कि संत कबीर दास के दोहों और उनकी लेखनी को एक ही जगह पर संग्रहित किया जाए। जल्द ही इस मामले पर विचार विमर्श करके इसपर काम शुरू किया जाएगा।
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