- मेमू ट्रेन में थी 16 बोगियां

- कंवेंशनल रैक की तुलना में बेहतर है मेमू ट्रेन

PATNA CITY : बिहटा रेलवे स्टेशन पर गुरुवार की सुबह जो हंगामा हुआ, वो सब लोकल नेताओं की चाल थी। अपनी नेतागिरी चमकाने की वजह से लोकल नेताओं ने बेवजह हंगामे को तूल दिया। हंगामा कर रहे लोगों ने बक्सर फतुहा पैसेंजर ट्रेन में बोगियों की संख्या कम होने का मुद्दा बनाया था। सच्चाई यह है कि ट्रेन में बोगियां कम नहीं थीं। दरअसल बक्सर से फतुहा जाने वाली पैसेंजर ट्रेन पहले कंवेंशनल रैक में चला करती थी, जिसमें क्8 बोगियां हुआ करती थी। बीते क्0 जुलाई से ईस्ट सेंट्रल रेलवे ने इस ट्रेन को कंवेंशनल रैक की जगह मेमू ट्रेन के रूप में चलाना शुरू किया। इसमें कुल क्म् बोगियां हैं। कंवेंशनल रैक की तुलना में मेमू ट्रेन की बोगियों में ज्यादा पैसेंजर्स के बैठने और खड़े होने का स्पेस है। पहले की बोगियों में क्ख्00 पैसेंजर्स के बैठने क्ख्00 पैसेंजर्स के खड़े होने की व्यवस्था थी, जबकि मेमू ट्रेन में क्ख्भ्0 पैसेंजर्स के बैठने और ब् हजार पैसेंजर्स के खड़े होने की व्यवस्था है। बावजूद इसके लोकल नेताओं ने जबरन मुद्दा बना बिहटा स्टेशन पर हंगामा किया।

तो ट्रेन नहीं होती लेट

ईसीआर ने जब से बक्सर फतुहा पैसेंजर ट्रेन को मेमू रैक चलाना शुरू किया है, तब से ये ट्रेन लगातार अपने टाइम से पटना और फतुहा पहुंच रही है। पहले कंवेंशनल रैक में चलने के कारण ये ट्रेन कभी भी अपने टाइम पर नहीं चलती थी। साथ ही जहां-तहां चेन पुलिंग कर बेवजह ट्रेन रोक दी जाती थी। इस वजह से संपूर्ण क्रान्ति एक्सप्रेस, गरीब रथ एक्सप्रेस और पूर्वा एक्सप्रेस सहित पीछे चल रही कई ट्रेनें लेट हो जाया करती थीं।

नई जरूरतों के साथ बदलें आदतें

बिहटा में हुए हंगामे को रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन ने गंभीरता से लिया है। बक्सर-फतुहा पैसेंजर ट्रेन से डेली ट्रैवल करने वाले पैसेंजर्स को रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन ने टाइम पर स्टेशन पहुंचने की सलाह दी है। इस बारे में ईसीआर के सीपीआरओ अरविन्द कुमार रजक ने कहा कि मेमू ट्रेन का परिचालन सार्वजनिक हित में बेहतर है। अपने निजी स्वार्थो के लिए कुछ लोग दूसरों के हित की अनदेखी करने में लगे हैं। पैसेंजर्स को अपनी आदतें नई जरूरतों के साथ बदलनी होंगी।