पहले बताया गए थे 80 फीसदी एक्टिव डीएनए

ऑक्सफोर्ड यूनिवरिसिटी के रिसर्चर्स ने अपनी एक स्टडी में पाया है कि मनुष्य के डीएनए में केवल 8.2 फीसदी हिस्सा ही फंक्शनल है. पहले के आंकड़ों में बताया गया था कि इसका 80 फीसदी हिस्सा एक्टिव होता है. उन्होंने बताया कि जीनोम का बचा हुआ वह डेवेलपिंग हिस्सा होता है, जो डीएनए कोड के बनने और टूटने में काम आता है. इसे जंक डीएनए कहते हैं. अपने आंकड़ों को साबित करने के लिए ऑक्सफोर्ड की टीम ने यह जांच की कि मैमल्स के सैंकड़ों लाखों साल के विकास के दौरान ऐसे कितने डीएनए हैं, जिन्होंने बदलाव स्वीकार नहीं किया.  इसका मतलब यह है कि ऐसे डीएनए महत्वपूर्ण हैं और इनकी कोई भूमिका जरूर होगी.

जेनेटिक बीमारियों की रिसर्च में मिलेगी मदद

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के फंक्शनल जीनोमिक्स के प्रोफेसर क्रिस पोइंटिंग के मुताबिक उन्हें नहीं लगता कि नए आंकड़े पुराने आंकड़ों से बहुत ज्यादा अलग हैं. 2012 में साइंटिस्ट्स ने पाया था कि डीएनए का 80 फीसदी हिस्सा एक्टिव होता है. उन्होंने कहा कि अब हमें यह पता करना होगा कि नए आंकड़ों के हिसाब से आठ फीसदी हिस्सा किस तरह के बदलाव के लिए जिम्मेदार है. इसे पता करके हम बीमारियों में जेनेटिकस का रोल भी एक्सप्लेन कर पाएंगे.

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