तीन साल पहले दर्ज हुई थी FIR

साल 2007  में जेपीएससी द्वारा लेक्चरर के पोस्ट के लिए लगभग 750 कैंडिडेट्स सेलेक्ट किए गए थे। आरोप है कि इसमें इन सभी आरोपियों ने ऊंची पहुंचवाले और पैसेवाले अपने-अपने कैंडिडेट्स को लेक्चरर के पोस्ट पर बहाल कर दिया था। इस बाबत दूसरे सक्सेसफुल कैंडिडेट्स ने हाईकोर्ट में जेपीएससी ऑफिशियल्स के खिलाफ रिट फाइल की थी। कोर्ट ने इस मामले की जांच का जिम्मा विजिलेंस डिपार्टमेंट को सौंपा था। नौ जून 2010 को जेपीएससी के एक्स चेयरमैन दिलीप प्रसाद समेत 32 लोगों पर विजिलेंस कोर्ट में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। पर, एक साल तक विजिलेंस से कोई सुनवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को जांच करने का आदेश दिया था।

अपनों को पहुंचाया था फायदा
विजिलेंस के एडवोकेट गोविंद जी विजयवर्गीय ने बताया कि जेपीएससी का मेंबर रहते हुए गोपाल प्रसाद सिंह ने कॉपीज के इवैल्यूएशन से लेकर एग्जामिनर्स तक में अपने लोगों को रखवाया। कॉपीज का इवैल्यूएशन जेपीएससी ऑफिस के बजाय गोपाल प्रसाद के गोड्डा और दुमका स्थित घर में किया गया। इसके अलावा अपने नजदीकी लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए नंबरों की हेरफेरी कर कई लोगों को जेपीएससी के जरिए बहाल करवा दिया गया। उस वक्त विजिलेंस जांच में यह सामने आया था कि लेक्चरर बहाली में गोपाल प्रसाद सिंह, शांति देवी और एलिस उषा रानी समेत दिलीप प्रसाद ने अपने बेटे और रिश्तेदारों को नौकरी दे दी थी।

बेटों को बनवाया था BDO
जेपीएससी के एक्स मेंबर गोपाल प्रसाद पर आरोप है कि उन्होंने पद का इस्तेमाल करते हुए अपने बेटों कुंदन कुमार सिंह और रजनीश कुमार को सेकेंड जेपीएससी में पास करवा दिया। दोनों का ही सलेक्शन बीडीओ के लिए हुआ। हालांकि बाद में दोनों को सस्पेंड कर दिया गया था। यही नहीं, गोपाल प्रसाद पर लेक्चरर बहाली में भी अपने आठ रिश्तेदारों को गलत तरीके से बहाल करवाने का आरोप है। गोपाल प्रसाद के सरेंडर के बाद जेपीएससी के घोटालेबाजों का सारा कुनबा अब जेल में है। जेपीएससी के एक्स चेयरपर्सन दिलीप प्रसाद, एक्स एग्जामिनेशन कंट्रोलर एलिस उषा रानी सिंह, एक्स मेंबर शांति देवी, सरस्वती गगराई, अनिल वीरेंद्र कुल्लू, आरती बेहरा, एक्स एक्सपर्ट बटेश्वर पंडित, सोहन राम समेत कई आरोपी जेल में बंद हैं। हालांकि, जेपीएससी मेरिट स्कैम का एक और आरोपी राधा गोविंद नागेश अब भी फरार ह