वर्ष 1995 से दिल्ली मेट्रो से जुड़े 79 साल के श्रीधरन शनिवार को मेट्रो भवन में होने वाले एक कार्यक्रम में मंगू सिंह को ये ज़िम्मेदारी सौंपेंगे। 56 साल के मंगू सिंह ने रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वे 1981 बैच के इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ़ इंजीनियर्स के अधिकारी हैं।

मंगू सिंह ने श्रीधरन के साथ कोलकाता और दिल्ली मेट्रो प्रोजेक्ट में काम किया है। उनकी देखरेख में ही दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन का निर्माण किया गया था।

मेट्रो मैन

मेट्रोमैन की नाम से मशहूर ई श्रीधरन को दिल्ली की यातायात व्यवस्था को बदलने और आधुनिक करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने ये काम 16 साल के कम समय में किया है।

दिल्ली मेट्रो से जुड़ने से पहले श्रीधरन ने 58 साल तक सरकारी नौकरी की। रिटायर होने के बाद वो अपनी बाक़ी की ज़िंदगी अपने गांव केरल के त्रिशूर में बिताएंगे।

श्रीधरन ने दिल्ली मेट्रो से जुड़े अपने अनुभवों को काफी संतोषजनक बताया। उन्होंने इसका श्रेय 'काम करने के विभिन्न तरीकों' और 'जल्दी फ़ैसला लेने की क्षमता' को दिया।

श्रीधरन के नेतृत्व में दिल्ली मेट्रो ने न सिर्फ़ दिल्ली के विभिन्न इलाक़ों बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के तहत आने वाले शहरों नोएडा, गुड़गांव और ग़ाज़ियाबाद तक अपनी सेवा शुरू कर दी है। श्रीधरन के नेतृत्व में दिल्ली मेट्रो की सभी परियोजनाओं का काम समय से पहले पूरा होने का रिकॉर्ड है।

शुरुआती साल

श्रीधरन का जन्म 12 जून 1932 को केरल के पलक्कड़ ज़िले में हुआ था। श्रीधरन की शुरुआती पढ़ाई 'बेसिल इवांजेलिकल मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल' और फिर पालाघाट के 'विक्टोरिया कॉलेज' में हुई। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई काकीनाडा के 'गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज' से की। बाद में वे भारतीय रेलवे से जुड़ गए।

1963 में आए एक तूफ़ान में रामेश्वरम को तमिलनाडु से जोड़ने वाला पंबन सेतु टूट गया था, जिसे ठीक करने के लिए रेलवे ने छह महीने का समय तय किया था, लेकिन श्रीधरन ने इसे सिर्फ़ 46 दिनों में बनाकर तैयार कर दिया था।

श्रीधरन को इस उपलब्धि के लिए रेलवे की तरफ से पुरस्कृत भी किया गया था। 1970 में श्रीधरन उप प्रमुख इंजीनियर के तौर पर कोलकाता मेट्रो से जुड़े।

वर्ष 1990 में श्रीधरन भारतीय रेल से रिटायर हो गए, इसके तुरंत बाद वे सीएमडी के तौर पर कोंकण रेलवे से जुड़ गए। यहां भी उन्होंने सात साल के रिकॉर्ड समय में इस अति-आधुनिक रेल परियोजना को पूरा कर लिया।

सम्मान

1995 में दिल्ली मेट्रो से जुड़ने के बाद वर्ष 2005 आते-आते ई श्रीधरन को दिल्ली मेट्रो का प्रबंध निदेशक बना दिया गया था।

मीडिया ने उनके काम को देखते हुए 'मेट्रो मैन' की उपाधि दी, तो वर्ष 2005 में फ़्रांस की सरकार ने उनके योगदान को देखते हुए उन्हें फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'नाइट ऑफ द लिज़ों ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया।

जुलाई 2009 में दूसरे चरण के मेट्रो लाइन निर्माण के दौरान, दक्षिणी दिल्ली के ज़मरूदपुर में हुए एक हादसे में पांच लोगों की मौत होने के बाद श्रीधरन ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था, जिसे मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने स्वीकार नहीं किया था।

श्रीधरन ने तभी ये घोषणा कर दी थी, कि दूसरे चरण का निर्माण कार्य ख़त्म होने बाद वे रिटायर हो जाएंगे। भारत सरकार ने श्रीधरन को उनके प्रभावशाली काम और उपलब्धियों के लिए वर्ष 1963 में रेलवे मिनिस्टर अवॉर्ड, 2001 में पद्मश्री और 2005 में पद्मविभूषण से नवाज़ा गया था। इसके अलावा भी उन्हें उनके उत्कृष्ट काम के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

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